नई दिल्ली। TDS-TCS का डीटेल देने वाला फॉर्म 26AS अब नए रूप में आएगा। इस फॉर्म में कुछ बदलाव कर TDS-TCS के अलावा शेयरों की खरीद-फरोख्त की भी जानकारी मिलेगी। 1 जून से यह प्रभावी होगा। आईटीआर यानी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले सबसे पहला दस्तावेज, जिसे वेरिफाइ करने की जरूरत है, वह होता है फॉर्म 26AS।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी CBDT ने बृहस्पतिवार को संशोधित फॉर्म 26एएस को नोटिफाई कर दिया। इनमें स्रोत पर टैक्स कलेक्शन (TCS) या कटौती (TDS)का ब्योरा होता है। अब इस फॉर्म में संपत्ति और शेयरों के लेनदेन की सूचना को भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही फॉर्म 26एएस को नया रूप दिया गया है। अब इसमें टीडीएस-टीसीएस के ब्योरे के अलावा कुछ निश्चित वित्तीय लेनदेन, करों के भुगतान, किसी करदाता द्वारा एक वित्त वर्ष में डिमांड-रिफंड से संबंधित पेंडिंग या पूरी हो चुकी प्रक्रिया की सूचना को शामिल किया गया है।
ITR फाइलिंग के वक्त फॉर्म 26 AS की जरूरत
सारे लेनदेन का ब्योरा आयकर रिटर्न में देना होगा। इसके क्रियान्वयन के लिए बजट 2020-21 में इनकम टैक्स ऐक्ट में एक नई धारा 285 बीबी को शामिल किया गया था। सीबीडीटी ने कहा कि संशोधित 26एएस फॉर्म एक जून से प्रभावी होगा। इस फॉर्म की जरूरत ITR फाइलिंग के वक्त पड़ती है।
क्या होता है फॉर्म 26AS?
फॉर्म 26एएस ऐनुअल कन्सॉलिडेटेड(एकीकृत)) टैक्स स्टेटमेंट होता है, जिसे आप अपने पर्मानेंट अकाउंट नंबर(पैन) के जरिए इनकम टैक्स की वेबसाइट से हासिल कर सकते हैं। आप अपनी आमदनी पर टैक्स का भुगतान कर चुके हैं या आपकी आय से टीडीएस(टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) काटा जा चुका है, इन सभी बातों की जानकारी आयकर विभाग के डेटाबेस में होती है।
सारा डीटेल जानने के लिए आप फॉर्म 26एएस देख सकते हैं। इनके अलावा, इस फॉर्म में डिडक्टर से जुड़े डीटेल भी मिलते हैं। मसलन, आपको डिडक्टर का नाम और टैक्स डिडक्शन अकाउंट नंबर यानी TAN की जानकारी भी मिल जाएगी। इतना ही नहीं, फॉर्म 26AS में न सिर्फ टैक्स भुगतान जुड़ी जानकारी होती है, बल्कि संबंधित वित्त वर्ष में आपके द्वारा हासिल किए गए टैक्स रिफंड का भी ब्योरा होता है।