वैश्विक बाजार में चावल के भाव में भारी तेजी आने की फ़िलहाल उम्मीद नहीं

0
8

हैदराबाद। जुलाई 2023 में जब भारत सरकार ने गैर बासमती सफ़ेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाया था तब थाईलैंड, वियतनाम एवं पाकिस्तान जैसे महत्वपूर्ण निर्यातक देशों को अपने चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में मनमाना इजाफा करने का सुनहरा अवसर मिल गया था। दरअसल भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है और वैश्विक निर्यात बाजार में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।

यहां से निर्यात और वैश्विक निर्यात बाजार में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। यहाँ से निर्यात ठप्प होने के कारण वैश्विक बाजार में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता में भारी गिरावट आने की आशंका पैदा हो गयी। अगस्त 2024 तक यही स्थिति बनी रही। लेकिन सितम्बर में भारत सरकार ने सफ़ेद चावल का निर्यात खोल दिया और इसके लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) नियत कर दिया।

सेला चावल पर निर्यात शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत निर्धारित कर दिया और बासमती चावल के लिए निर्यात 950 डॉलर प्रति टन के मेप को हटा लिया। बाद में सफ़ेद चावल का मेप तथा सेला चावल पर लागू 10 प्रतिशत का निर्यात शुल्क भी समाप्त कर दिया गया।

दरअसल भारत से होने वाला निर्यात न केवल वैश्विक बाजार में चावल की मांग एवं आपूर्ति के समीकरण को संतुलित करता है बल्कि कीमतों में भी संतुलन बनाए रखता है। आमतौर पर भारतीय चावल सबसे सस्ते दाम पर उपलब्ध रहता है इसलिए अन्य निर्यातक देशों को अपने चावल के मूल्य में मनमानी वृद्धि करने की स्वतंत्रता नहीं मिल पाती है।

अब यही स्थिति उत्पन्न हो गयी है। भारत से चावल का निर्यात पूरी तरह नियंत्रण मुक्त और शुल्क मुक्त हो गया है इसलिए फिलिपीन्स तथा इंडोनेशिया तक में इसका निर्यात बढ़ने की उम्मीद की जा रही है जबकि वे दोनों देश परम्परागत रूप से थाईलैंड तथा वियतनाम से चावल मंगाते रहे है। उधर अफ्रीकी देश भी भारतीय चावल की खरीद में पहले जैसे सक्रियता दिखाने लगे हैं।