सोयाबीन का रकबा पिछले से साल 10 लाख हेक्टेयर बढ़कर 119 लाख हेक्टेयर के पार

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नई दिल्ली। उद्योग व्यापार समीक्षकों की उम्मीद के विपरीत सोयाबीन के उत्पादन क्षेत्र में अभी तक अग्रता बनी हुई है जबकि अत्यंत कमजोर बाजार भाव को देखते हुए इसके क्षेत्रफल में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही थी। सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 109 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 119 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जबकि बिजाई की प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है।

जहां तक मूंगफली की बात है तो पहले इसकी बिजाई गत वर्ष से पीछे चल रही थी। मगर जब गुजरात एवं राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतो में किसानो की सक्रियता बढ़ी तब क्षेत्रफल भी बढ़ने लगा। अब इसका उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 33.15 लाख हेक्टेयर से 4.19 लाख हेक्टेयर बढ़कर 37.34 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है दक्षिणी राज्यों में इसकी बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है मगर पश्चिमी एवं मध्यवर्ती प्रांतो में बिजाई जारी है। आगे सोयाबीन और मूंगफली -दोनों के क्षेत्रफल में सुधर आने के आसार है।

लेकिन खरीफ कालीन तिल की बिजाई अभी पिछड़ गई है और अरंडी का रकबा पीछे चल रहा है। आधिकारिक आकड़ो के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान तिल का उत्पादन क्षेत्र 7.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 5.61 लाख हेक्टेयर तथा अरंडी का बिजाई क्षेत्र 1.14 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 26 हजार हेक्टेयर रह गया है अरंडी का सर्वाधिक पैदावार गुजरात एवं राजस्थान में होता है।

शुरुआती दौर में आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना में सीमित क्षेत्रफल में अरंडी की खेती की जाती है। सूरजमुखी का उत्पादन क्षेत्र 42 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 57 हजार हेक्टेयर तथा नाइजरसीड का रकबा 3 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 22 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया है। अगस्त के अंत तक तिलहनों के क्षेत्रफल की तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी।