विश्व कविता दिवस पर 75 काव्य साधकों को समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान

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कोटा। सीएडी स्थित राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में विश्व कविता दिवस पर समरस संस्थान साहित्य सृजन भारत के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृतकाल को समर्पित “काव्यांजलि कार्यक्रम के साथ 75 काव्य साधकों को समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया गया।

समारोह की अध्यक्षता डॉ. विवेक मिश्र प्रोफेसर हिंदी कला महाविद्यालय कोटा ने की। शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय उदयपुर की प्रोफेसर डॉ. कामिनी व्यास रावल समारोह की मुख्य अतिथि थी। अति विशिष्ठ अतिथि डॉ. पूर्वा अग्रवाल अतिरिक्त निदेशक पेंशन कोटा संभाग , विशिष्ठ अतिथि रजनी शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार उदयपुर, राजा राम जैन कर्मयोगी थे।

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की आराधना एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। मां सरस्वती की प्रस्तुति संगीत शिक्षक गोविन्द प्रकाश पंवार द्वारा प्रस्तुत की गई। जिसने उपस्थित काव्य साधकों को मंत्र मुग्ध कर दिया । सभी आमंत्रित अतिथियों का माल्यार्पण एवं पुष्प गुच्छ देकर कार्यक्रम संयोजिका डॉ. शशि जैन ने सम्मानित किया। इस अवसर पर राजेन्द्र कुमार जैन सेवा निवृत सहायक रजिस्ट्रार ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आज से 24 वर्ष पूर्व 21 मार्च 1999 को कविताओं के संरक्षण, विकास एवं प्रसार के लिये इस दिन को मनाया जाना तय किया गया था। लेकिन आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस तथा चेटजीपीटी ने इस रचनात्मक लेखन को काफी आसान एवं प्रभावी बना दिया, जो इस क्षेत्र मे अभिरुचि रखने वालों को आत्मनिर्भर बनामे मे सक्षम साबित हुई है।

डॉ. फरीद ने कहा कि सुबह गजल की है घर-घर , कविता की शाम है। अब देश क्या विदेश में कोटा का नाम है। दीपक तो सिर्फ नाम है, सूरज सा काम है। अनमोल इनकी सेवा को, कवि का प्रणाम है। एक समय था जब कवियों को कोई जानता न था। सम्मान-मान क्या, कोई पहचानता न था, क्या अलख जगाई दीपक ने ख्याति है नाम है।

मुख्य अतिथि डॉ कामिनी ने कहा कि कविता समाज के हर वर्ग की कहानी में शामिल है। डॉ. पूर्वा अग्रवाल ने युवा वर्ग खासकर कोचिंग मे पढ़ रहे प्रतियोगी विद्यार्थियों को समर्पित कविता प्रस्तुत की। जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि कविता स्वप्न और विकल्प की रंगभूमि होती है। जब जब कवि वेदना और जगत में ठनती है ,कविता जन्म लेती है।

उन्होंने मुक्तक पेश करते हुये कहा कि लगती है चोट तो एक टीस सी दे जाती है, नियती बस यहीं एक सीख ही दे जाती है। डॉ. विवेक कुमार मिश्र ने कहा कि कविता मनुष्यता की सभ्यता में मनुष्य के राग संसार का इतिहास है।

इस अवसर पर 75 काव्य साधको को समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया। जिनमें डॉ. वेदेही गौतम, अर्चना शर्मा, रीता गुप्ता, साधना शर्मा, डॉ. रंजना शर्मा, वंदना शर्मा, श्यामा शर्मा, सुनीता जैन, गरिमा गौतम, रेणु सिंह राधे, डॉ. प्रतिमा व्यास, डॉ. कृष्णा कुमारी, नंदकिशोर शर्मा, अनमोल, ज्ञान सिंह गंभीर, बाबूलाल वर्मा, महेश पंचोली, मुकेश मोरवाल, डॉ. नंदकिशोर महावर, सलीम स्वतंत्र, गोविंद प्रसाद पवार, डॉ. प्रशांत भारद्वाज, जमील कुरैशी, अहमद अली हुसैन, सीमा घोष, डॉ. रघुनाथ मिश्र ‘सहज’, डॉ विवेक मिश्र, रवि शंकर शाक्यवाल, मंजू किशोर रश्मि, राजेंद्र कुमार जैन आदि शामिल थे ।