कोटा नगर निगम उत्तर में दो दिन बाद बढ़ेगा नेता प्रतिपक्ष मुद्दे पर विवाद

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कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा में नगर निगम उत्तर में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के मसले पर भारतीय जनता पार्टी के पार्षद दल में विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यह विवाद दो दिन बाद 12 नवंबर को उस समय और बढ़ने की आशंका है जब कोटा नगर निगम उत्तर एवं दक्षिण में नेता प्रतिपक्ष का पदभार ग्रहण करेंगे।

उल्लेखनीय है कि कोटा के दोनों नगर निगमों में निर्वाचित भारतीय जनता पार्टी के पार्षद दलों में अंतर्कलह के कारण चुनाव के दो साल बाद भी किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने बीते सप्ताह कोटा नगर निगम दक्षिण में विवेक राजवंशी को जबकि कोटा नगर निगम उत्तर में लव शर्मा को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया था।

कोटा नगर निगम दक्षिण में तो किसी तरह का विवाद कम से कम अभी तक सामने नहीं आया है। अलबत्ता नगर निगम उत्तर में प्रदेश नेतृत्व के इस निर्णय के खिलाफ बहुसंख्यक पार्षद उठ खड़े हुए हैं जिनका यह सीधा आरोप है कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने बिना किसी सहमति के अपनी ओर से एकतरफा फैसला करते हुए यह नियुक्ति की है। पार्षद दल में अंतर्कलह है कि यह स्थिति तब है जब यह तय है कि अभी अगले तीन साल और उन्हें हर हाल में प्रतिपक्ष में ही बैठना है।

पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के इस फैसले के खिलाफ कोटा नगर निगम उत्तर के 14 सदस्यों के पार्षद दल में से बहुमत से 8 पार्षदों ने न केवल अपनी लिखित में राय व्यक्त करते हुए बल्कि पार्टी नेतृत्व के फैसले को नकारते हुए एक बैठक करके पार्टी के घोषित नेता प्रतिपक्ष के समानांतर अपनी ओर से सर्वसम्मति से वार्ड संख्या छह से निर्वाचित पार्षद नंदकिशोर मेवाड़ा को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर चुके हैं।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओर से नगर निगम उत्तर में आयुक्त को नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के बारे में पत्र सौंपा जा चुका है और उन्हें दो दिन बाद 12 नवम्बर को पदभार ग्रहण करना है। हालांकि कोटा नगर निगम उत्तर के भारतीय जनता पार्टी के आठ पार्षद अपने अधिकार के प्रति सचेत हैं और वे पहले ही न केवल निगम के आयुक्त बल्कि कोटा के जिला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त को लिखित में हस्ताक्षरित पत्र देकर स्पष्ट कर चुके हैं कि 14 सदस्य पार्षद दल में बहुमत के 8 पार्षद नंदकिशोर मेवाड़ा को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर चुके हैं इसलिये प्रशासनिक स्तर पर उन्हे ही नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता दी जाए, किसी और को नहीं।

इस बारे में कोटा नगर निगम उत्तर से पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल खेमे से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व में पार्षद रह चुके बृजेश शर्मा नीटू ने आज स्पष्ट किया कि आठ पार्षदों के पहले ही नंदकिशोर मेवाड़ा को नेता प्रतिपक्ष घोषित करने संबंधी पत्र प्रशासन को सौंपा जा चुका है जिसे प्रशासन को कैविएट के रूप में लेना चाहिए। यानि किसी को भी कोटा नगर निगम उत्तर में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व सौंपे जाने से पहले समस्त पार्षद दल को बुलाकर उनसे इस बारे में पूछा जाना चाहिए और जिस किसी के पास बहुमत है, उसे ही नेता प्रतिपक्ष घोषित करना चाहिए।

बहुमत की राय माने प्रशासन :नीटू
बृजेश शर्मा नीटू का कहना है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार ही प्रशासन को बहुमत की राय स्वीकार करते हुए उसी व्यक्ति को नेता प्रतिपक्ष मानना चाहिए जिसे पार्षद दल के पार्षदों का बहुमत से समर्थन हासिल है अन्यथा यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उलट होगा। यहां यह बता दें कि कैविएट शब्द लैटिन भाषा के शब्द कैवेट से बना है जिसका अर्थ ऎसे व्यक्ति के लिए है जो अपने अधिकार के प्रति सावचेत है।

भाजपा के खिलाफ साजिश का आरोप
इन आठ पार्षदों ने पूर्व में राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे पत्र में यह भी आरोप लगाए हैं कि कोटा शहर में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक सुनियोजित तरीके से कोशिशें की जा रही है। कोटा शहर में मंडल से लेकर जिला अध्यक्ष तक और अब कोटा नगर निगम (उत्तर) में नेता प्रतिपक्ष जैसे पद पर ऐसे लोगों को नियुक्त किया जा रहा है जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में तो भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में लेकिन विधानसभा सहित अन्य चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया है।

पार्टी विरोधी लोगों को थोपने की कोशिश
इन लोगों का मुख्य लक्ष्य येन-केन-प्रकारेण कांग्रेस के लाभ पहुंचाने का रहा है। ऐसे लोगों के दबाव में काम करना पार्टी की विचारधारा और उसके प्रति निष्ठा के खिलाफ है। पार्षदों ने यह भी कहा कि वे पार्टी के खिलाफ नही है बल्कि भाजपा में पार्टी विरोधी लोगों को ही थोपने की कोशिशों के प्रति अपना विरोध जता रहे है। यह पार्षद तो यह भी चेतावनी दे चुके है कि यदि नंदकिशोर मेवाड़ा को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया गया तो वह कोटा नगर निगम प्रशासन को लिखित में प्रस्ताव देकर भारतीय जनता पार्टी से अपनी असंबद्धता घोषित करवा लेंगे। ऎसे में भारतीय जनता पार्टी के केवल 6 पार्षद ही बचेंगे।