कोटा दशहरा 2022: रणजीत रजवाड़ा ने गुलाम अली की गज़लें सुनाकर दाद बटोरी

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कोटा। मेला दशहरा में रविवार की शाम विजयश्री रंगमंच ग़ज़लों से गुलजार हुआ। युवा गायक रणजीत रजवाड़ा ने रूहानी आवाज का जादू बिखेरा। देर रात तक चली फरमाइशों पर रजवाड़ा ने ज्यादातर गुलाम अली की गज़लें सुनाकर दाद बटोरी।

रणजीत रजवाड़ा ने ग़ज़ल की शुरुआत “लो फिर उम्मीदों की रात आई है, इस महफ़िल में फिर हमें खींच लाई है…” शेर पढ़कर की। उन्होंने सबसे पहले “बेकरारी सी बेकरारी है.. दिन भी भारी था, ये रात भी भारी है…” प्रस्तुत की। इसके बाद रजवाड़ा ने राजस्थान के राज्य गीत “केसरिया बालम…पधारो म्हारे देस…” से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इसके बाद रजवाड़ा की ग़ज़लों का सुरूर श्रोताओं पर चढ़ता ही चला गया। उन्होंने अपने आने वाले एलबम ‘तुम्हारे बाद..’ की ग़ज़ल “तुम्हारे बाद किसी से भी दोस्ती न हुई…” पेश की। इसके बाद “नजर से नज़र मिलाकर तो देखो…” पेश की तो वाह वाह से परिसर गूंज उठा।

गुलाम अली की सुपर हिट गज़ल “चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है…” के द्वारा रजवाड़ा ने अपनी गायकी का जादू बिखेरा तो तालियों की गड़गड़ाहट गुंजायमान हो गई। उन्होंने “नैना तोसे लागे, सारी रैना जागे…”, “आज जाने की जिद न करो…”, “दिल में इक लहर सी उठी..”, “बिछड़ के तुमसे मुकम्मल जिंदगी न हुई…” पेश कर दाद बटोरी।

इसके बाद गुलाम अली की “हंगामा है क्यों बरपा…”, “थोड़ी सी जो पी ली है…” जैसी ग़ज़लों पर श्रोताओं ने जमकर तालिया बजाई। श्रोताओं की फरमाइश पर “हम तेरे शहर में आए हैं, मुसाफिर की तरह…”, “सिर्फ एक मुलाकात का मौका दे दे…” और “ये दौलत भी ले लो..यह शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी..” जैसी ग़ज़ल सुनाई। एक के बाद एक ग़ज़ल के माध्यम से रजवाड़ा ने खूब समां बांधा।

उनसे पहले रजवाड़ा के साथ आई मुंबई की दीपिका गौर ने भी गायकी से समां बांध दिया। इससे पहले स्थानीय कलाकार मुकेश शर्मा ने भी शानदार गजलों की प्रस्तुति दी। इस दौरान कीबोर्ड पर अजय तिवारी, सारंगी पर संदीप मिश्रा, वंशी पर मिलिंद और तबले पर फारूक खान ने प्रस्तुति दी।

गजल संध्या का शुभारंभ अतिथि पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत, पूर्व आईएएस राकेश जायसवाल, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना, पूर्व उप महापौर राकेश सोरल, समाजसेवी रामस्वरूप मीणा, दीपक राजवंशी, मेला समिति अध्यक्ष मंजू मेहरा, उप महापौर सोनू कुरेशी, पवन मीणा, अनिल सुवालका, इसरार मोहम्मद, अनूप कुमार, अजय सुमन, चेतना माथुर, भगवती कुमारी, आयुक्त वासुदेव मालावत, राजपाल सिंह, अतिरिक्त आयुक्त अम्बालाल मीणा, अशोक त्यागी, मेला अधिकारी गजेंद्र सिंह, अतिरिक्त मेला अधिकारी प्रेमशंकर शर्मा, मेला प्रभारी प्रकाशचंद, एक्यू कुरेशी ने किया।