नई दिल्ली। इसमें कोई संदेह नहीं की किसान उन फसलों की बिजाई पर अधिक ध्यान देते हैं जिससे उन्हें आगे अच्छा फायदा होने का भरोसा रहता है। चालू खरीफ सीजन में भी इसका स्पष्ट संकेत दिखाई पड़ रहा है।
दलहन -तिलहन फसलों की खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जबकि मोटे अनाजों पर कम जोर दिया जा रहा है। नकदी या औद्योगिक फसलों में गन्ना एवं कपास के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है मगर जूट -मेस्ता का रकबा कुछ पीछे चल रहा है।
जहां तक खरीफ सीजन के सबसे प्रमुख खाद्यान्न- धान का सवाल है तो पिछले साल की तुलना में इस बार इसके उत्पादन क्षेत्र में कोई बड़ा अंतर नहीं दिख रहा है। मोटे अनाजों में खासकर मक्का के बिजाई क्षेत्र में जबरदस्त बढ़ोत्तरी के संकेत मिल रहे हैं क्योंकि एक तो सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2225 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर दिया है और दूसरे, एथनॉल निर्माण उद्योग में इसकी भारी मांग निकलने की संभावना है जिससे इसका भाव आगे ऊंचा एवं तेज रहने के आसार हैं।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन में 28 जून तक धान का उत्पादन क्षेत्र 22.73 लाख हेक्टेयर, दलहनों का 22.54 लाख हेक्टेयर, तिलहनों का 42.93 लाख हेक्टेयर मोटे अनाजों का 30.89 लाख हेक्टेयर, गन्ना का 56.88 लाख हेक्टेयर तथा कपास का उत्पादन क्षेत्र 59.13 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
चावल तथा दलहनों का घरेलू बाजार भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार है और तिलहनों का दाम भी कुल मिलाकर किसानों के लिए लाभप्रद माना जा सकता है। वैसे सोयाबीन की कीमत कमजोर पड़ रही है।
खरीफ फसलों की जोरदार बिजाई जारी है और किसानों को दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश का मजबूत सहारा मिल रहा है। बाजार भाव भी अनुकूल है। इससे प्रतीत होता है कि इस बार कुछ फसलों के बिजाई क्षेत्र में जोरदार इजाफा हो सकता है।