Water and Peace Sammelan: जियो और जीने दो, जल से शांति लोगों का घोषणा पत्र पारित

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श्री महावीरजी में जल एवं शांति लोक सम्मेलन का आयोजन

-बृजेश विजयवर्गीय
कोटा।
Water and Peace Sammelan: चम्बल बेसिन के डांग क्षेत्र में सहायक नदियां शेरनी, महेश्वरा नदी के उद्गम पर जल संरक्षण के कार्यों का अवलोकन कर चम्बल नदी की मौजूदा हालात पर जल विशेषज्ञों, पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने श्री महावीरजी तीर्थ पर दो दिवसीय मंथन किया।

श्री महावीरजी, बनवारीपुर, करौली, राजस्थान में तरुण भारत संघ, राष्ट्रीय जल बिरादरी और सुखाड़ बाढ़ विश्व जन आयोग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जल एवम शांति लोक सम्मेलन का समापन हुआ है। इस सम्मेलन में दुनिया भर से जल ,जंगल और जमीन के लिए काम करने वाले 200 से अधिक लोग शामिल हुए।  सभी ने सर्वसम्मति से “जियो और जीने दो -जल से शांति लोगो का घोषणा पत्र” पारित किया गया ,जो इस प्रकार है –

हम राजस्थान राज्य के करौली और धौलपुर जिलों के निवासी शांति और सुरक्षा के जीवंत प्रमाण हैं, जिसे जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी के नेतृत्व में जल संरक्षण के अपने स्वयं के काम से हासिल किया है। जल संरक्षण से प्रकृति और समाज का कायाकल्प हुआ है, हमारे मन, शरीर और आत्मा में परिवर्तन आया है। इससे हमारी जीवनशैली प्रकृति और मानवता से सामाजस्य स्थापित करते हुए हिंसा से अहिंसा में परिवर्तित हो गई है। हमारे जीवन में स्थिरता आ गयी है और अब हम शांति, सुरक्षा और खुशी से रहते हैं।

अपमानजनक और असुरक्षित जीवन से दूर अब हम जल संरक्षण एवं जल सम्मान से प्रभाव से बनी स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं से समृद्ध हो रहे है। ये अर्थव्यवस्थाएं न्यायसंगत और जैविक है। जलवायु परिवर्तन के अप्रत्यासित संकटों, संघर्षों, युद्ध, दुष्परिणामों और जल से संभावित जाखिमों से परे है।

जल, नदी व जंगल हमारे लिए केवल प्राकृतिक वस्तुएं नहीं है, यह तो हमारे अस्तिव व आत्मा से जुडें है। इनमें हमें उतना ही प्रेम है, जितना स्वयं है। हम अपने जल संरक्षण प्रयासों का उत्सव मनाते हैं, जिससे भूजल संसाधनों को फिर से भरने, मौसमी नदियों और जैव विविधता को पुनर्जीवित करने में मदद मिली है। कम लागत, विकेंद्रीत, स्वदेशी मूल ज्ञान आधारित और समुदाय-केंद्रित जल संरक्षण से प्रकृति, घरेलू जरूरतों, आजीविका, पशुधन, वन्यजीव और प्रवासी पक्षियों के लिए पानी की उपलब्ध हुआ।

दुनिया भर में जल संबंधी आपदाओं का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। विस्थापन और संकटपूर्ण प्रवासन के कारण तनाव और संघर्ष है। इससे अस्थिरता और अशांति पैदा हो रही है। जल में शांति हैं और जल से शांति है। यह जियो और जीने दो का संदेश देता है। बाहरी जल का सम्मान करते हुए, हमने पाया है कि, स्थायी शांति जल में ही हैं। अब हमारा दिल, दिमाग और आत्मा हाथ सब जल संरक्षण के माध्यम से शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

यह साल 2024 अहम है, जब भारत समेत 60 से ज्यादा देशों में चुनाव हो रहे हैं। चट्टानी सतहों में भी नीली नदियों और भूजल भंडारों को पुनर्जीवित करने के हमारे अनुभव के आधार पर हम दुनिया भर के राजनीतिक और सरकारी नेताओं से विकेंद्रीकृत और समुदाय केंद्रित जल संरक्षण के माध्यम से जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और सम्पूर्ण वैश्विक मानवता के लिए जल सुरक्षा का सम्मान करने का आह्वान करते हैं। यह स्वदेशी मूल ज्ञान के प्रयोग से संभव है।

भारत में, हम सभी राजनीतिक दलों से अपने घोषणापत्रों में भारत के सभी जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और लोग के लिए न्यायसंगत और टिकाऊ जल सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने और काम करने का आग्रह करते हैं। शांति, सुरक्षा, खुशहाली और टिकाऊ स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए जल-सुरक्षित भारत आवश्यक है। इससे समग्र न्यायसंगत प्राकृतिक पुनर्जनन की प्रक्रिया शुरू होगी।

भारत के पास ज्ञान और अध्यात्म है, वह विश्व नेता बन सकता है। लेकिन यह तभी संभव है, जब हम पानी और पंचमहाभूतों से प्राकृतिक पुनर्जनन की प्रक्रिया शुरू करके, अपने भारत को आत्मनिर्भर बनायेंगे। 

हमारे पास एक पृथ्वी, एक ग्रह और एक जल है। हम इस ग्रह पर रहने वाले सभी लोगों से आग्रह करते हैं कि, वे पानी को अपना जीवन बनाएं और इसके कायाकल्प के लिए पानी के साथ आत्मीय संबंध विकसित करें। हम सरकार से जल पुनर्जीवन को बढ़ावा देने, समुदाय संचालित विकेन्द्रीकृत जल संरक्षण को सक्षम करने और जल संरक्षण के माध्यम से प्रकृति पुनर्जीवन के आसपास अपनी अर्थव्यवस्थाओं को केंद्रित करने के लिए पूरी ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाने का आग्रह करते हैं। हम सभी लोगों से पानी का सम्मान करने और उसे पुनर्जीवित करने का आह्वान करते हैं।

हम चंबल के लोगों ने प्रकृति और पानी का सम्मान करके, जियो और जीने दो का व्यवहार बनाया है। हम आत्मनिर्भर, मजबूत और समर्थ बने है । इससे हमारे लिए शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हुआ है।’ आइए हम सामूहिक रूप से जल संरक्षण के माध्यम से शांति निर्माण की दिशा में काम करें। हम इसके लिए अपना समर्थन और अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह घोषणा पत्र जल एवं शांति लोक सम्मेलन के प्रतिभागियों द्वारा समर्थित और अपनाया गया।

इनकी रही भागीदारी
चम्बल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि सम्मेलन में रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित तरुण भारत संघ के अध्यक्ष जलपुरुष राजेंद्र सिंह, पर्यावरण विशेषज्ञ बिट्टू सहगल सैंक्चुअरी नेचर फाउंडेशन, राजेंद्र कुमार तिवारी पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, पदमश्री लक्ष्मण सिंह, तरुण भारत संघ के निदेशक मौलिक सिसोदिया, हरियाणा काढ़ा के पूर्व चीफ इंजीनियर राजीव वंशल, सुखाड़ बाढ़ विश्व जन आयोग के सचिव डॉ. आशुतोष तिवारी, तरुण भारत संघ की उपाध्यक्ष डॉ. इंदिरा खुराना, तरुण भारत संघ निदेशक मौलिक सिसोदिया, स्वीडन के भूवैज्ञानिक जोनस, फ्रांस के वैज्ञानिक योसिन, मराठी लेखिका रीता शलवाडोर आदि मौजूद रहे।