Sunday, October 6, 2024
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प्राइस वार के चलते एयरटेल, वोडा, आइडिया का AGR घटा

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जियो के नेटवर्क से शुरू होने वाली ज्यादातर कॉल्स दूसरी कंपनियों के नेटवर्क पर खत्म होती हैं। 

कोलकाता। देश की टॉप 3 टेलिकॉम कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर अपने टॉप एंड कस्टमर्स को बचाने के लिए रिलायंस जियो इन्फोकॉम से मुकाबला कर रही हैं। जियो की अग्रेसिव प्राइसिंग की वजह से तिमाही आधार पर अप्रैल-जून क्वॉर्टर में उनके अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) में गिरावट आई है।

अप्रैल-जून तिमाही में तीनों कंपनियों के एजीआर में बड़ी कमी आई है। इसकी दो वजहें हैं। एक तो ग्राहकों ने खर्च घटा दिया है और दूसरा टैरिफ घट गया है। दरअसल, जियो की अग्रेसिव प्राइसिंग के बीच ग्राहकों को साथ बनाए रखने के लिए इन कंपनियों को अपने रेट्स घटाने पड़े हैं।

अप्रैल-जून क्वॉर्टर में भारती एयरटेल का एजीआर तिमाही आधार पर 4.6 पर्सेंट गिरकर 9,900 करोड़ रुपये रह गया, जबकि वोडाफोन इंडिया का 2.3 पर्सेंट की गिरावट के साथ 7,100 करोड़ रुपये और आइडिया सेल्युलर का 3.8 पर्सेंट फिसलकर 6,200 करोड़ रुपये रहा।

यह जानकारी ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्यॉरिटीज ने एक नोट में दी है। उसने टेलिकॉम रेग्युलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के डेटा की पड़ताल के बाद दी है।

आईसीआईसीआई सिक्यॉरिटीज के ऐनालिस्ट संजेश जैन ने बताया कि जियो का ग्रॉस रेवेन्यू जून तिमाही में 1,100 करोड़ रुपये रहा, लेकिन उसका एजीआर माइनस 1,000 करोड़ रुपये रहा।

उसकी वजह यह है कि कंपनी को जितनी आमदनी हुई, उससे कहीं अधिक पैसा उसे इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज (आईयूसी) के तौर पर दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को देना पड़ा। जैन ने क्लायंट्स को भेजे नोट में इसका जिक्र किया है।

विदेशी ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के ऐनालिस्टों का कहना है कि जियो की आईयूसी कॉस्ट में तेज बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि जून क्वॉर्टर में कंपनी के नेगेटिव एजीआर का मतलब यह है कि उसे इंटरकनेक्ट पेमेंट के तौर पर 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा।

स्विस ब्रोकरेज फर्म ने बताया कि जियो के 2,150 करोड़ रुपये के आईयूसी पेआउट का मतलब यह है कि यह जनवरी-मार्च 2017 तिमाही से 43 पर्सेंट अधिक है। मार्च तिमाही में कंपनी ने 1,500 करोड़ रुपये का भुगतान इस मद में किया था।

क्या है आईयूसी
जियो के नेटवर्क से शुरू होने वाली ज्यादातर कॉल्स दूसरी कंपनियों के नेटवर्क पर खत्म होती हैं। इसलिए उसे आईयूसी के तौर पर अधिक पैसा चुकाना पड़ रहा है। अगर किसी एक ऑपरेटर के नेटवर्क से शुरू हुई कॉल दूसरे ऑपरेटर के नेटवर्क पर खत्म होती है तो पहले ऑपरेटर को दूसरी कंपनी को एक फीस चुकानी पड़ती है, जिसे आईयूसी कहते हैं।

इसी वजह से जियो आईयूसी में कटौती का दबाव बना रही है, जो अभी 14 पैसे प्रति मिनट है। वहीं, एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियां इसे बढ़ाने की मांग कर रही हैं। टेलिकॉम इंडस्ट्री का कुल एजीआर जून तिमाही में मार्च तिमाही के मुकाबले 4.7 पर्सेंट घटकर 28,300 करोड़ रुपये रहा।

गुपचुप दाम बढ़ा रही पेट्रोलियम कंपनियां

पहली जुलाई से पेट्रोल का दाम 9% बढ़ा, डीजल 7% चढ़ा, इनके दाम चढ़ने से इकॉनमी में महंगाई के सिर उठाने की आशंका भी बनती है।

नई दिल्ली। पहली जुलाई से अब तक पेट्रोल और डीजल के दाम कितनी वृद्धि हुई है? दरअसल कीमतों में रोज बदलाव होने से ज्यादातर लोगों का ध्यान इस पर नहीं गया है।

सरकारी ऑइल कंपनियां पहली जुलाई से पेट्रोल का दाम 5.64 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 3.72 रुपये प्रति लीटर बढ़ा चुकी हैं।

इंडियन ऑइल कॉरपोरेशन की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल बुधवार को 68.73 रुपये प्रति लीटर और डीजल 57.05 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बेचा जा रहा था। पहली जुलाई को पेट्रोल का दाम 63.09 रुपये अैर डीजल का 53.33 रुपये प्रति लीटर था।

दूसरे राज्यों में इन फ्यूल्स के दाम लोकल टैक्स के हिसाब से बदल सकते हैं। पेट्रोल, डीजल, जेट फ्यूल, क्रूड ऑयल और नैचरल गैस को गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स के दायरे में नहीं रखा गया है। हालांकि कुकिंग गैस और लुब्रिकेंट्स जीएसटी के दायरे में हैं।

पेट्रोल, डीजल, कुकिंग गैस और केरोसिन के दाम का मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है क्योंकि इनका सीधा असर लोगों के घरेलू बजट पर पड़ता है। इनके दाम चढ़ने से इकॉनमी में महंगाई के सिर उठाने की आशंका भी बनती है।

यही वजह है कि कुकिंग गैस और केरोसिन के दाम अब भी पूरी तरह से डीरेग्युलेट नहीं किए गए हैं, लेकिन ग्लोबल लेवल पर क्रूड के दाम घटने से सरकार को ट्रांसपोर्टेशन फ्यूल को डीकंट्रोल करने में मदद मिली है। पेट्रोल के दाम से 2010 में और डीजल से 2014 में सरकारी कंट्रोल हटाया गया था।

इस साल जून तक सरकारी कंपनियां हर पखवाड़े कीमतों में बदलाव करती थीं ताकि उन्हें इंटरनेशनल प्राइसेज के मुताबिक किया जा सके और करेंसी में उतार-चढ़ाव के मुताबिक एडजस्टमेंट हो सके।

हालांकि राजनीतिक अनिश्चितता से बचने के लिए कई बार कुछ पखवाड़ों तक दाम जस के तस रहने दिए जाते थे, खासतौर से चुनावों के दौरान।

16 जून से कंपनियों ने इनकी कीमतों में रोज बदलाव करना शुरू किया था। इससे कीमतों में बदलाव भले ही कम दिखता हो, लेकिन आम उपभोक्ता का खास ध्यान उन पर नहीं पड़ रहा था।

पहली जुलाई से पेट्रोल का दाम 9 पर्सेंट और डीजल का 7 पर्सेंट बढ़ने का मतलब यह है कि रोज कीमतें बदलने का मकसद पूरा हो रहा है।

देश में पेट्रोल और डीजल के दाम का संबंध इनके अंतरराष्ट्रीय भाव से है, न कि क्रूड ऑइल से। इसी दौरान क्रूड ऑइल की इंडियन बास्केट में भी 9 पर्सेंट बढ़ोतरी हुई है।

कीमतों में रोज बदलाव शुरू होने का पेट्रोल पंप डीलरों ने कड़ा विरोध किया था और उन्होंने प्राइस घटने से प्रॉफिटेबिलिटी को झटका लगने और इनवेंटरी पर लॉस होने का दावा किया था।

16 जून से 30 जून के बीच पेट्रोल का दाम 2.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल का 1.03 रुपये प्रति लीटर घटा, लेकिन जुलाई में कीमतें चढ़नी शुरू हुईं तो डीलरों ने विरोध बंद कर दिया।

मामूली सुधार के साथ खुले सेंसेक्स और निफ्टी

नई दिल्ली। शेयर बाजार ने गुरुवार को भी अपने पिछले सेशन की बढ़त बरकरार रखी और सेंसेक्स, निफ्टी मामूली सुधार के साथ खुले। 30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 44.21 पॉइंट चढ़कर 31,612.22 पर जबकि 50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 12.25 की तेजी से 9,864.75 अंक पर खुला।

गुरुवार को शुरुआती ट्रेडिंग में इन्फोसिस, आईटीसी, टीसीएस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एलऐंडटी, सन फार्मा, ल्युपिन और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (M&M) के शेयरों में तेजी आई। लेकिन, एचडीएफसी बैंक, मारुति सुजुकी, कोटक महिंद्री बैंक, एचयूएल, बजाज ऑटो और एसबीआई के शेयर दबाव में दिखे।

निफ्टी मिडकैप के शेयरों ने 0.2 प्रतिशत तेजी दिखाई। भारत रोड नेटवर्क के आईपीओ 6-8 सितंबर के बीच आनेवाले हैं। इसके मद्देनजर SREI इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयरों ने 3.5 प्रतिशत की बढ़त हासिल की।

यूनाइटेड स्पिरिट्स, यूनाइटेड ब्रूअरीज, अलेंबिक फार्मा, मैकलिऑड रसेल, प्राज इंडस्ट्रीज और उगर सूगर वर्क्स के शेयर 6 प्रतिशत तक चढ़ गए। इधर, फोर्टिस हेल्थकेयर, डीएलएफ, इलाहाबाद बैंक, देना बैंक, स्पार्क, आंध्रा बैंक, कैस्ट्रॉल, जेपी इन्फ्राटेक और यूनियन बैंकों के शेयरों पर दबाव दिखा।

वक्रांगी का अमेजॉन से टाई अप, देखिए वीडियो

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कोटा। वक्रांगी लि. देश की एक बड़ी कंपनी में शामिल हो गई है। पिछले दिनों 5000 करोड़ के टर्न ओवर वाली इस कम्पनी का अमेजॉन कम्पनी से टाई अप हुआ है। कम्पनी के मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य आरबी विजय ने बताया कि वक्रांगी के माध्यम से जो उपभोक्ता अमेजॉन से कोई खरीदारी करता है, उसे रेट में डिस्काउंट दिया जाता है।

विजय ने हमारे चैनल LEN DEN NEWS को दिए साक्षात्कार में बताया कि उनकी कम्पनी कम लागत में अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने के लिए जानी जाती है। कम्पनी की विस्तृत जानकारी के लिए पाठक आरबी विजय के साक्षात्कार का वीडियो जरूर देखें –

यूसी ब्राउजर पर डाटा चोरी के आरोप की सरकार करेगी जाँच

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यूसी ब्राउजर यूजर और डिवाइस की जानकारी चीन में रखे रिमोट सर्वर में भेजता है।

मुंबई। चीन में बने स्मार्टफोन के बाद वहां की कंपनियों के मोबाइल ऐप पर केंद्र सरकार का ध्यान गया है। चीनी कंपनी अलीबाबा की स्वामित्व वाली यूसी ब्राउजर (UC Browser) पर आरोप है कि वो भारत का डाटा लीक कर रही है।

दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अली बाबा भारत में अपनी सर्विसेज तेजी से बढ़ा रहा है। अली बाबा का मोबाइल प्लेटफॉर्म UC Browser ने भी देश में निवेश किया है और इसका न्यूज ऐप भी है।

यूसी ब्राउजर देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए गए ब्राउजर में से एक है। सरकार अली बाबा की कंपनी यूसी ब्राउजर की जांच कर रही है। जांच का मकसद यह जानना है कि यह ब्राउजर कैसे यूजर की लोकेशन और डेटा रिमोट सर्वर में भेजता है।

सरकार डेटा सिक्योरिटी के मामले पर लगभग सभी चीनी कंपनियों के हैंडसेट की जांच करनी शुरू की है। मंत्रालय ने 28 कंपनियों से 28 अगस्त तक इस मामले में जवाब देने को कहा है। यूसी ब्राउजर यूजर और डिवाइस की जानकारी चीन में रखे रिमोट सर्वर में भेजता है।

इन जानकारियों में अंतरराष्ट्रीय मोबाइल सब्सक्राइबर आइडेंटिटी यानी (आईएमएसआई) और अंतरराष्ट्रीय मोबाइल इक्विप्मेंट आइडेंटिटी यानी (आईएमईआई) जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक वाईफाई के जरिए मोबाइल इंटरनेट यूज करने के दौरान फोन और ऐक्सेस प्वॉइंट की नेटवर्क इनफॉर्मेशन भी रिमोट सर्वर में भेजे जाते हैं।  यूसी ब्राउजर ने भारत के करीब 50 फीसदी ब्राउजर बाजार पर कब्जा किया हुआ है।

पेटीएम, स्नैपडील में भी लगा है अलीबाबा का पैसा  
यूसी ब्राउजर अलीबाबा के मोबाइल कारोबार समूह का हिस्सा है। अलीबाबा ने भारत में पेटीएम व इसकी पैतृक कंपनी वन97 में काफी बड़ा निवेश किया है। इसके अलावा उसने स्नैपडील में भी पैसा लगाया है।

यूसी ब्राउजर ने पिछले साल दावा किया था कि भारत व इंडोनेशिया में उसके 10 करोड़ से अधिक मासिक सक्रिय उपभोक्ता हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में गूगल क्रोम के बाद यूसी ब्राउजर दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ब्राउजर है।

गौरतलब है कि 2015 के मई महीने में भी टोरंटो विश्वविद्यालय ने पहली बार यूसी ब्राउज की सुरक्षा पर सवाल उठाया था। अगर हैदराबाद की लैब की जांच में आरोप सही साबित हुए तो सरकार इस ऐप के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी।

इससे पहले स्मार्टफोन बनाने वाली चीनी कंपनियों पर भी डेटा चोरी करने का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया जा चुका है।मालूम हो कि भारत सरकार ने चीनी मोबाइल कंपनियों पर पहले ही नजर टेढ़ी कर चुकी है।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को नोटिस भेजा गया है। इसमें पूछा गया है कि आखिर उन्होंने डाटा लीक से लेकर साइबर सुरक्षा के लिए फोन में क्या इंतजाम किए हैं।

सटोरिये सक्रिय होने से प्याज महंगा

  • दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमत साल भर पहले के 22 रुपये किलो से बढ़कर अब 38 रुपये किलो हो गई है।

  • मुंबई में इसकी कीमत 34 रुपये किलो, कोलकाता में 40 रुपये किलो और चेन्नई में 29 रुपये किलो है। 

नई दिल्ली। पिछले साल अगस्त के मुकाबले इस महीने प्याज की आवक में भारी बढ़ोतरी के बावजूद प्याज के दाम कई गुना बढ़ गए हैं। प्याज के दाम बढऩे के पीछे सटोरियों का खेल चलने की आशंका बताई जा रही है।

खरीफ वाले प्याज की फसल कम होने का हवाला देकर दाम बढ़ाए जा रहे हैं। फसल 30 फीसदी कमजोर बताई जा रही है। खपत से अधिक आपूर्ति के बीच दाम बढऩे को सामान्य स्थिति नहीं कहा जा सकता।

मुख्य उत्पादक  राज्य महाराष्ट्र की प्रमुख मंडी लासलगांव व दिल्ली की मंडी में प्याज की आवक व कीमतों के बारे में राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) द्वारा जारी आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि दाम बढऩे की वजह आवक में कमी नहीं है।

क्योंकि इस माह लासलगांव मंडी में 23 अगस्त तक करीब 2.75 लाख क्विंटल आवक हुई, जो पिछले अगस्त की आवक करीब 1.50 लाख क्विंटल से 80 फीसदी अधिक है।

इसी तरह दिल्ली में इस अगस्त अब तक करीब 2 लाख क्विंटल प्याज आया, जो पिछले अगस्त के 1.55 लाख टन से करीब 30 फीसदी ज्यादा है।

कीमतों के तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि  लासलगांव में 80 फीसदी ज्यादा आवक के बावजूद पिछले अगस्त माह में 300-950 रुपये बिकने वाला प्याज इस अगस्त 500-2,650 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका।

इसी तरह दिल्ली में 30 फीसदी आवक के बावजूद पिछले अगस्त 300-1,250 रुपये बिकने वाला प्याज इस अगस्त 500-2,625 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका।

जाहिर है 30 से 80 फीसदी तक अधिक आवक होने के बाद प्याज के दाम 2 से 3 गुना तक बढऩा दर्शाता है कि प्याज के सटोरिये कृत्रिम रूप से दाम बढ़ा रहे हैं।

एनएचआरडीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खरीफ में प्रतिकूल बारिश और पिछले साल कम दाम मिलने से 30 फीसदी प्याज कम लगा है।

जिससे खरीफ की नई फसल कम हो सकती है। उत्पादक क्षेत्रों में नया प्याज आने लगा है। हालांकि इस साल इसमें देरी है। अधिकारी ने आगे नई फसल की आपूर्ति होने पर प्याज के दाम गिरने की संभावना जताई।

आजादपुर मंडी स्थित आलू-प्याज कारोबारी संघ के महासचिव राजेंद्र कुमार शर्मा कहते हैं कि नई आपूर्ति से बीते कु छ दिनों में 200 रुपये क्विंटल प्याज की कीमतें गिर चुकी हैं।

शर्मा मानते हैं कि पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद प्याज के दाम तेजी से बढ़े हैं। इसकी वजह उत्पादक क्षेत्रों के सटोरियों द्वारा दाम बढ़ाना है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की खुदरा कीमत साल भर पहले के 22 रुपये किलो से बढ़कर अब 38 रुपये किलो हो गई है। मुंबई में इसकी कीमत 34 रुपये किलो, कोलकाता में 40 रुपये किलो और चेन्नई में 29 रुपये किलो है। 

नंदन नीलेकणी फिर बनेंगे इन्फोसिस के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष

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नीलेकणी इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और उन्होंने 2 महीने के अमेरिकी दौरे को स्थगित कर दिया है

नई दिल्ली। इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी एक बार फिर इन्फोसिस के गैर कार्यकारी अध्यक्ष बन सकते हैं। इस मामले से जुड़े कई सूत्रों ने  यह जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि नीलेकणी इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और उन्होंने 2 महीने के अमेरिकी दौरे को स्थगित कर दिया है। वह बेंगलुरु में ही रहकर चर्चा और मंथन करेंगे।

इस मामले के एक जानकार ने बताया, ‘उन्हें अभी भी अपना मन बनाना है, लेकिन संभावना है कि ऐसा होगा। वह गंभीरता से इस पर विचार कर रहे हैं। लेकिन वह गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर लौटेंगे, ऑपरेशंस या बिजनस रोल में नहीं।’

एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि नीलेकणी की वापसी के साथ ही इन्फोसिस बोर्ड में भी बड़ा बदलाव दिखेगा। कम से कम चार सदस्यों पर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है। इनमें चेयरमैन आर. शेषशायी, को-चेयरमैन रवि वेंकटेश, ऑडिट कमिटी के चेयरपर्सन रूपा कुडवा और जेफ लेहमन शामिल हैं।

कुछ अडवाइजरी फर्में, पूर्व सीईओ और को-फाउंडर नंदन निलेकणी से गैर-कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में लौटकर सारे पचड़े को खत्म करने की सलाह दे चुके हैं। निलेकणी ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) जॉइन करने के लिए जून 2009 में इस्तीफा देने के बाद से इन्फोसिस से लगातार दूरी बना रखी है।

माना जाता है कि जब मूर्ति साल 2013 में जब दोबारा कंपनी में लौटे तो उन्होंने निलेकणी को भी ऐसा करने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माने। इन्फोसिस के संस्थागत निवेशकों का प्रतिनिधत्व करने वाले करीब 12 कोष प्रबंधकों ने नंदन नीलेकणि को इन्फोसिस के निदेशक मंडल में वापस लाने का सुझाव दिया है।

कोष प्रबंधकों का कहना है कि इससे अंशधारकों का भरोसा फिर कायम किया जा सकेगा और कंपनी के संकट को हल किया जा सकेगा। यह नीलेकणि को वापसी की वकालत करने का दूसरा मौका है। इससे पहले निवेश सलाहकार कंपनी आईआईएएस ने कहा था कि नीलेकणि को कंपनी के गैर कार्यकारी चेयरमैन के रूप में वापस लाया जाना चाहिए।

नीलेकणी मार्च, 2002 से अप्रैल, 2007 तक कंपनी के सीईओ रहे थे। पिछले सप्ताह इन्फोसिस के पहले गैर-संस्थापक सीईओ बने विशाल सिक्का ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद लगातार दो सत्रों में कंपनी का शेयर 15 प्रतिशत टूट गया था और उसके बाजार पूंजीकरण में 34,000 करोड़ रुपये की कमी आई थी।

अब तक 20 लाख कंपनियों ने जीएसटी का भुगतान किया

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21 अगस्त तक 10 लाख कंपनियों की तरफ से टैक्स के रूप में 42,000 करोड़ रुपये आए हैं

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत अब तक 20 लाख कंपनियों ने ऑनलाइन टैक्स का भुगतान किया है और शुक्रवार को समाप्त होने वाली समय सीमा से पहले करीब 30 लाख और रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

जीएसटी नेटवर्क के चेयरमैन नवीन कुमार ने कहा कि टैक्स फाइलिंग की व्यवस्था का देखरेख कर रही जीएसटी नेटवर्क भीड़ से निपटने के लिए अपनी ओर से पूरी तैयारी कर रखी है। पिछले सप्ताह अंतिम समय में कर रिटर्न दाखिल करने वालों की भीड़ बढ़ने के कारण जीएसटीएन पोर्टल ठप हो गया था।

इसके कारण टैक्स फाइल करने की समय सीमा बढ़ाकर 25 अगस्त की गई। कुमार ने कहा, ‘करीब 48 लाख टैक्स पेयर्स ने पोर्टल पर बिक्री आंकड़ा सेव करके रखा है। इसमें से 20 लाख रिटर्न फाइल कर चुके हैं और टैक्स का भुगतान कर चुके हैं।’

21 अगस्त तक 10 लाख कंपनियों की तरफ से टैक्स के रूप में 42,000 करोड़ रुपये आए हैं। ये टैक्स केंद्र जीएसटी, राज्य जीएसटी और एकीकृत जीएसटी के साथ कार और तंबाकू जैसी विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर उपकर के जरिए आए हैं। संग्रह आकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है क्योंकि टैक्स पेयर्स की संख्या दोगुनी होकर 20 लाख पहुंच गई।

कुमार ने टैक्स संग्रह का कोई आंकड़ा नहीं दिया, लेकिन कहा कि शेष 28 लाख टैक्स पेयर्स अगले दो दिनों में टैक्स फाइल करेंगे। यह पूछे जाने पर कि समय सीमा नजदीक आने के साथ रिटर्न फाइलिंग के दबाव को झेलने में जीएसटी नेटवर्क कितना तैयार है, कुमार ने कहा कि 48 लाख पहले ही पोर्टल पर आ चुके हैं और इसीलिए भीड़ बढ़ने की संभावना नहीं है।

जीएसटी पोर्टल पर 19 नवंबर को टैक्स रिटर्न फाइल करने में तकनीकी समस्या की शिकायत के बाद सरकार ने कर भुगतान की समय सीमा 20 अगस्त से बढ़ाकर 25 अगस्त कर दी। कुमार ने कहा, ‘उस दिन एक घंटे हल्की तकनीकी समस्या रही। लाग इन में देरी की समस्या हुई। इसके बावजूद 19 अगस्त को 2.7 लाख रिटर्न फाइल किए गए।’

सेंसेक्स 276 अंकों की बढ़त के साथ 31,593.39 के उच्चस्तर पर

मुंबई। वैश्विक बाजारों के मजबूत रख और घरेलू निवेशकों की लिवाली से बुधवार को बंबई शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन तेजी का सिलसिला जारी रहा और सेंसेक्स 276 अंक और सुधरा।

इन्फोसिस और डॉ. रेड्डीज के शेयरों में लाभ से भी बाजार की धारणा को बल मिला। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी एक बार फिर 9,800 अंक के स्तर को पार कर गया।

कारोबारियों ने कहा कि मजबूत वैश्चिक रुख और लगातार चले लिवाली के सिलसिले से बाजार में बढ़त रही। इसके अलावा हालिया नुकसान वाले इन्फोसिस के शेयर में लिवाली गतिविधियां देखने को मिलीं।

बैंकिंग और वित्तीय कंपनियों के शेयर भी लाभ में रहे। बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स आज पूरे समय सकारात्मक दायरे में रहने के बाद 31,593.39 अंक के उच्चस्तर तक पहुंचा।

अंत में यह 276.16 अंक या 0.88 प्रतिशत की बढ़त के साथ 31,568.01 अंक पर बंद हुआ। कल सेंसेक्स 33 अंक के हल्के सुधार के साथ बंद हुआ था। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 86.95 अंक या 0.89 प्रतिशत की बढ़त के साथ 9,852.50 अंक पर बंद हुआ।

कारोबार के दौरान इसने 9,857.90 अंक का उच्चस्तर और 9,786.75 अंक का निचला स्तर भी छुआ। डॉ. रेड्डीज का शेयर 2.25 प्रतिशत चढ़ गया। इन्फोसिस का शेयर आज नंदन नीलेकणि के कंपनी के प्रमुख पद पर लौटने की अटकलों के बीच 1.98 प्रतिशत चढ़कर 894.50 रपये पर पहुंच गया।

राजस्थान पिलाएगा जैतून के पत्तों की चाय

ये रक्त कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और गर्भाशय कैंसर आदि से बचाव में मददगार है

-दिनेश माहेश्वरी
कोटा। राजस्थान देश भर के चाय प्रेमियों को शीघ्र ही ग्रीन टी का विकल्प उपलब्ध कराने वाला है। इसे जैतून के पत्तों से बनाया गया है। राज्य के कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी ने बताया कि ओलिटिया ब्रांड नाम से इस चाय को बहुत जल्दी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पेश करने वाली हैं।

उन्होंने यहां हमारे  LEN-DEN NEWS चैनल को कहा कि ‘प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जैसे ही मुख्यमंत्री के पास समय होगा, इसे पेश कर दिया जाएगा। यह देश और दुनिया में पहली बार होगा जब जैतून के पत्तों से तैयार ग्रीन टी का विकल्प पेश किया जाएगा।’ सैनी ने बताया कि राजस्थान में इजरायल की मदद से 2007 में जैतून की खेती शुरू की गई थी।

अभी राज्य में पांच हजार हेक्टेयर जमीन पर इसकी खेती होती है। उन्होंने कहा, ‘हमने तब से काफी प्रगति की है। एक जैतून परिशोधन संयंत्र बीकानेर में शुरू हो चुका है और यह भी देश का पहला ऐसा संयंत्र है। हमने जैतून के शहद का भी उत्पादन शुरू किया है।’

यह पूछे जाने पर कि जैतून की चाय के उत्पादन का विचार कैसे आया, उन्होंने कहा, ‘मैं खुद कृषि से पीएचडी हूं, मुझे मालूम है कि जैतून के पत्ते स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। मैंने इस पर अध्ययन करने का निर्णय लिया और तब इस बारे में प्रयोगशाला परीक्षण किया गया।’ उन्होंने प्रयोगशाला में हुए परीक्षणों के परिणाम के कई दस्तावेज भी दिखाया। जु

लाई में हुए एक परीक्षण से पता चला कि जैतून के पत्तों में कई एंटी-ऑक्सीडेंट एवं अन्य अवयव मौजूद हैं। उन अवयवों में से एक लुटेओलिन है। रिपोर्ट के अनुसार, लुटेओलिन सूजनकारी विषाणुओं को खत्म करता है। लुटेओलिन ऑक्सीजन अपमार्जक भी है।’

मंत्री ने कहा कि प्रयोशाला के परिणाम ने इन एंटी-ऑक्सीडेंट की उपस्थिति प्रमाणित की है। ये रक्त कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और गर्भाशय कैंसर आदि से बचाव में मददगार है। अध्ययन और प्रयोशाला परीक्षण में जैतून के पत्तों के इन गुणों का पता चलने पर उन्हें प्रसंस्कृत करने का निर्णय लिया गया।

यह मानसिक तनाव एवं दिल के मरीजों के लिए भी लाभदायक है। चाय के पैकेटों पर बताया गया है कि इसमें कैफीन नहीं है और यह रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाता है। यह थकान भी कम करता है तथा बुढ़ापे से भी बचाता है। उहोंने बताया कि यह चाय एक्जोटिक, नींबू और मिंट जैसे फ्लेवर्स में उपलब्ध रहेगा।

उन्होंने कहा, ‘हम इसे और विस्तृत करने की सोच रहे हैं और अदरक तथा तुलसी जैसे फ्लेवर्स में भी इसे पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।’ मंत्री ने कहा, ‘हमें ब्रिटेन, अमेरिका और खाड़ी देशों समेत कई देशों से प्रस्ताव मिले हैं। वे इस संबंध में करार करना चाहते हैं।’