जैन मंदिर आरकेपुरम में वेदी प्रतिष्ठा एवं यागमण्डल विधान
कोटा। आरकेपुरम स्थित दिगंबर जैन मंदिर त्रिकाल चौबीसी में श्रमण श्रुतसंवेगी आदित्य सागर मुनिराज का भव्य चातुर्मास समारोह वेदी प्रतिष्ठा विधान एवं यागमण्डल अर्घ्य चढ़ाने का विशेष कार्यक्रम रखा गया।
वेदी प्रतिष्ठा विधान के दौरान, भैयाजी ने यागमण्डल व पंचकल्याणक पूजा मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान पूर्वक किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से वेदी के समक्ष नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस दौरान आदित्य सागर मुनिराज संघ ने नीति प्रवचन में कहा कि हमारे बोले गए शब्द हमारे व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। गहरे अर्थ वाले और सोच-समझकर बोले गए शब्द प्रभावशाली होते हैं। मुनिश्री ने कहा कि हमारे बोले गए शब्द हमारे व्यक्तित्व का दर्पण हैं। उन्होंने श्रोताओं से अर्थपूर्ण और विचारपूर्वक बोलने का आग्रह किया।
किसी के बारे में सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें, बल्कि सीधे संवाद करें। किसी की भी निंदा करने से बचें, चाहे वह देव, शास्त्र, गुरु या अन्य कोई हो। उन्होंने कहा कि जैन कहीं गाली नहीं देता है। गुस्से में भी गाली न देने का नियम बना लें और उसका पालन करें। गाली देना जैन धर्म के विरुद्ध है। ऐसा कमजोर चरित्र के व्यक्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि अर्थहीन बातों से बचें और समय का सदुपयोग करें।
इस अवसर पर सकल समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता,कार्याध्यक्ष जे के जैन, मंत्री विनोद टोरडी, टीकम पाटनी, पारस बज, राजेंद्र गोधा, पारस कासलीवाल आरकेपुरम मंदिर समिति से अंकित जैन, अनुज जैन पदम जैन, लोकेश बरमुंडा, पारस जैन, चंद्रेश जैन, प्रकाश जैन, रोहित जैन, सुरेंद्र जैन, संजय जैन, जितेंद्र जैन, राकेश सामरिया, पारस लुहाड़िया, संयम लुहाड़िया, तारा चंद बड़ला, पंकज खटोड़, तारा चंद बड़ला सहित कई लोग उपस्थित रहे।