जयपुर। राजस्थान में मास्क नहीं पहनने वालों को एक साल की जेल होगी। किन्तु, सर्वे टीम पर हमला करने वालों और थूक-थूक कर कोरोना फैलाने वालों को नहीं। उनको तो महंगी डिश परोसी जाएगी। यही है गहलोत सरकार की सच्चाई। सरकार ने मॉडिफाइ लॉकडाउन के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
अगर कोई बिना मास्क पहने घूमता नजर आया तो उसे एक साल के लिए जेल की हवा खानी पड़ेगी। उस पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने इस संबंध में सभी जिला जिला कलेक्टर्स को निर्देश भी जारी किए हैं।
सरकार के इस आदेश से तो लगता है कोई मास्क बनाने वाली कम्पनी से कोई बड़ी डील हुई है। वैसे ही जब से कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ा है बाजार में मास्क की काला बाज़ारी हो रही है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि मास्क की जगह आप अपना अंगोछा या रुमाल से भी अपना मुंह ढक सकते हैं।
परन्तु अंग्रेजों की मानसिकता वाले अफसर हमेशा सरकार को गुमराह कर गलत निर्णय आम जनता पर थोपते आये हैं। संप्रदाय विशेष के जो लोग राजस्थान में डॉक्टर्स और सर्वे टीम पर हमला कर रहे हैं उनके ऊपर तो कार्रवाई करने का साहस सरकार में नहीं है। यह आपदा प्रबंधन कानून सरकार वहां क्यों नहीं लागू करती। एक कहावत है कि कुम्हार कुम्हारी से तो जीते नहीं और गधी के कान उमेठता है।
दरअसल मास्क पहनने की अनिवार्यता को लेकर मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने प्रदेश के सभी जिला क्लेक्टरर्स को आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में आज से 3 मई तक लागू मॉडिफाइड लॉक डाउन के तहत मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। सभी जिला कलेक्टर्स एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सब इंस्पेक्टर, पुलिस, रेवेन्यू इंस्पेक्टर, सफाई निरीक्षक से आदेशों की सख्ती से पालना करवाएं और इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही बरती न जाए।