केशवराय पाटन शुगर मिल चलवाने का स्पीकर बिरला ने दिलाया भरोसा

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कोटा विकास प्राधिकरण से गांवों को मुक्त कराने की मांग

कोटा। राष्ट्रीय किसान समन्वय समूह के संयोजक एवं हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को कोटा विकास प्राधिकरण से गांवों, खेतों को मुक्त करने, केशवराव पाटन शुगर मिल को चालू कराने संबंधी किसान वर्ग की समस्याओं को लेकर लोक सभा स्पीकर ओम बिरला से भेंट की।।

इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि नए मास्टर प्लान में गांव और खेती किसानी को केडीए से अलग कराने का प्रयास करेंगे। शुगर मिल के संचालन के लिए कृषि मंत्री को कोटा आमंत्रित कर किसानों से बात कराएंगे। किसान नेता ने 30 अगस्त को स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का निमंत्रण भी दिया।

प्रतिनिधिमंडल में पर्यावरणविद् बृजेश विजयवर्गीय भी साथ रहे। दशरथ कुमार ने बताया कि हमने कोटा व बूंदी जिले के विभिन्न गांवों का दौरा करने के बाद कहा कि राज्य में पूर्व वर्ती शासन में जन विरोधी कोटा विकास प्राधिकरण का विरोध करने वाले नेतागण अब मौन क्यों हैं? जबकि इसमें कोटा और बूंदी के 365 गांव की खेती को समाप्त करने का प्रावधान है।

राजस्थान सरकार इस दिशा में काम करने को तत्परता दिखा रही है जो कि कांग्रेस की किसान विरोधी नीतियों के प्रति समर्थन जैसा आत्मघाती कदम है। किसान नेता ने कहा कि 30 अगस्त को किसान नेता स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की जयंती पर आयोजित किसान सम्मेलन में किसान प्रतिनिधि सरकार के इस कदम पर सवाल उठाएंगे।

उन्होंने कहा कि चुनाव से पूर्व खुद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी बिना ग्राम सभा की सहमति से गांवों का शहर विलय करने पर असहमति जता चुके हैं। भाजपा सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

दशरथ कुमार ने बूंदी के विधायक हरिमोहन शर्मा द्वारा कोटा विकास प्राधिकरण से केवल बूंदी जिले के गांवों को मुक्त करने तथा बूंदी विकास प्राधिकरण के गठन की मांग पर असहमति प्रकट की।

उन्होंने कहा कि गांवों की खेती और किसानी कोटा विकास प्राधिकरण की भेंट चढ़ रहे हैं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी इस बात से अवगत कराया जा चुका है, उसके बावजूद भी राज्य में भाजपा की सरकार किसान हितों के पक्ष में होनी चाहिए।

विकास प्राधिकरण के पूर्व सरकार के किसान विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है जो कि ग्राम स्वराज की अवधारणा के खिलाफ है। खुद भाजपा के विचारक रहे स्वर्गीय दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख तथा लोकनायक जयप्रकाश नारायण के ग्राम उत्थान के विचारों के विपरीत काम नहीं किया जाना चाहिए।