नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था। सोमवार को लंच के पहले जस्टिस नीना बंसल कृष्णा के सामने यह याचिका पेश की गई।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने कहा कि फैसला दोपहर 2:30 बजे सुनाया जाएगा। इसी बेंच ने 29 जुलाई को केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके अलावा, 17 जुलाई को कोर्ट ने इसी मामले में सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
29 जुलाई की सुनवाई में, सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को गिरफ्तार किए बिना जांच पूरी नहीं हो सकती थी। उसी दिन, सीबीआई ने इस मामले में अपना अंतिम आरोप पत्र भी दाखिल किया।
इसमें केजरीवाल समेत पांच अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। इस आरोप पत्र में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम नहीं था। यह सीबीआई की पांचवीं और अंतिम सप्लिमेंट्री चार्ज शीट थी।
केजरीवाल के अलावा, आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक, पी सारथ चंद्र रेड्डी, विनोद चौहान, और व्यापारी अमित अरोड़ा और आशीष माथुर के नाम भी आरोप पत्र में शामिल किए गए। सीबीआई के वकील डी पी सिंह ने तर्क दिया कि ऐसे पर्याप्त सबूत हैं जो दिखाते हैं कि केजरीवाल कथित घोटाले के ‘मास्टरमाइंड’ थे। वहीं दूसरी ओर, केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को “इंश्योरेंस अरेस्ट” करार दिया।
केजरीवाल को इस मामले में पहली बार 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। फिर 26 जून को सीबीआई ने उन्हें तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया, जहां वे न्यायिक हिरासत में थे। यह मामला दिल्ली की अब रद्द कर दी गई शराब नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। यह नीति नवंबर 2021 में लागू की गई थी और सितंबर 2022 में रद्द कर दी गई थी। इसे रद्द करने से कुछ महीने पहले, मई में, दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने इस नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।