कोटा में सैलून संचालक की अनूठी पहल, सरकारी स्कूलों में बच्चों की निशुल्क कटिंग

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कोटा। कोचिंग सिटी के नाम से देश दुनिया में विख्यात कोटा से अनूठी पहल सामने आई है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है। दरअसल यहां सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब, जरूरतमंद परिवारों के बच्चों की पढ़ाई में उनके बढ़े हुए बाल बाधक नहीं बनें। उन्हें टीचर की डांट नहीं झेलनी पड़े। इस परेशानी का समाधान निकालने के लिए एक स्कूल संचालक ने खास मुहिम शुरू की है।

कोटा शहर के बालिता इलाके के एक सैलून संचालक बृजेश सेन ने दरअसल सरकार स्कूलों में निशुल्क स्कूली बच्चों की कटिंग शुरू की है। इस अनोखी पहल के पीछे सैलून संचालक का मकसद है कि गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों की समय पर हेयर कटिंग हो। साथ ही उन्हें स्कूल में शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़े।

गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में अधिकतर बच्चे गरीब और जरूरतमंद परिवारों के होते हैं। मां-बाप मजदूरी पर चले जाते हैं। समय पर वह बच्चों की कटिंग नहीं करवा पाते हैं। कई बच्चों के सामने आर्थिक समस्या होती है। इस कारण वह लंबे दिनों बाद जाकर हेयर कट करवा पाते हैं। इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए और बच्चों के चेहरे पर हर समय सकारात्मक मुस्कान देखने के लिए बृजेश सेन ने यह अनूठी पहल शुरू की।

400 बच्चों की सैलून स्टाफ के साथ की कटिंग
सैलून संचालक बृजेश सेन ने कहा कि गरीब जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को संभाल देने की छोटी सी कोशिश उनकी हाल ही में शुरू की है। अब तक वह करीब 400 सरकारी स्कूल के बच्चों की हेयर कटिंग अपने स्टाफ की मदद से कर चुके हैं। स्टाफ में राज,दुर्गेश, शुभम बच्चों की कटिंग करने में उनका सहयोग करते हैं।

बृजेश ने कहा कि अब तक राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय बालिता, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बालिता, राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामचंद्रपुरा बस्ती बालिता और राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सींता गांव में जाकर उन्होंने बच्चों की हेयर कटिंग की है।

पहले परमिशन फिर लगाते हैं हेयर कटिंग कैंप
बृजेश सेन ने कहा कि पहले वह स्कूल-स्कूल जाकर स्कूल प्रशासन की हेयर कटिंग को लेकर परमिशन लेते हैं। अनुमति मिल जाने पर तीन से चार घंटे का हेयर कटिंग कैंप स्कूल में लगाते हैं। गरीब जरूरतमंद बच्चों को इस तरह से एक छोटा सा संबल देने का प्रयास करते हैं। सप्ताह में तीन दिन इस तरह से उनकी मुहिम स्कूलों में चल रही है और बच्चे बहुत खुश हैं।

हाईजीन का भी रखा जाता है पूरा ध्यान
बृजेश ने कहा कि हेयर कटिंग के काम में वह सफाई (हाईजीन) का पूरा ध्यान रखते हैं। बृजेश ने कहा कि हेयर कट से बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखकर उन्हें खुद ही आत्म संतुष्टि होती है। वह हमेशा बच्चों के चेहरे पर सकारात्मक मुस्कान देखना पसंद करते हैं। इसी मकसद से उन्होंने यह काम शुरू किया। आने वाले दिनों में वह नाखून कटिंग का कैंप भी स्कूल में हेयर कटिंग के साथ लगाएंगे।