राजकोट। Sesame Production: दक्षिण कोरिया ने तिल की खरीद के लिए एक नए टेंडर की घोषणा की है। पहले उम्मीद की जा रही थी कि 8000 टन के आयात का टेंडर जारी होगा मगर वास्तविक टेंडर 10,000 टन का घोषित हुआ है। उससे घरेलू बाजार में तिल के दाम को मजबूत होने का अच्छा सहारा मिल सकता है।
राजकोट के एक अग्रणी व्यापारी (ब्रोकर) का कहना है कि वर्तमान समय में वैश्विक निर्यात बाजार में छिलका युक्त (हल्ड) तिल सीड की भारी मांग देखी जा रही है। इस जोरदार मांग के कारण निकट भविष्य में नैचुरल तथा हल्ड – दोनों श्रेणियों के तिल के दाम में 400/500 रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
फिलहाल देश के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश की मंडियों में तिल की आवक बहुत कम हो रही है जिससे इसका अभाव महसूस किया जा रहा है।आपूर्ति एवं उपलब्धता की यह कमी बाजार भाव को गतिशील बनाए रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
जहां तक खरीफ कालीन तिल की बिजाई का सवाल है तो इस बार न केवल इसकी गति धीमी देखी जा रही है बल्कि कुछ इलाकों में भारी वर्षा एवं खेतों में जल जमाव के कारण फसल को नुकसान होने की आशंका भी बढ़ गई है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान तिल का उत्पादन क्षेत्र गुजरात में 50 प्रतिशत तथा समूचे देश में 21 प्रतिशत घट गया है।
मानसून की बारिश अगस्त तथा सितम्बर में भी जारी रखने की संभावना है जिससे तिल की फसल को नुकसान होने का खतरा आगे भी बरकरार रह सकता है। इससे खरीफ कालीन तिल के उत्पादन में भारी गिरावट आएगी। सितम्बर से देश में विदेशी तिल का आयात आरंभ होने की संभावना है।
ध्यान देने की बात है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव तेज होने से तिल का आयात खर्च काफी ऊंचा बैठ रहा है। हल्ड तिल का वैश्विक बाजार भाव घरेलू बाजार मूल्य से भी ऊंचा होने के कारण आयात महंगा बैठेगा तो आयातक नीचे दाम पर अपने स्टॉक की बिक्री नहीं करना चाहेंगे।
उपरोक्त तथ्यों के अलोक में तिल का घरेलू बाजार भाव आगामी महीनों के दौरान तेज या गतिशील रह सकता है क्योंकि हल्ड तिल की जोरदार मांग बनी रहेगी, कम आवक, सीमित स्टॉक एवं कमजोर उत्पादन के कारण तिल का अभाव रह सकता है तथा विदेशों से आयातित तिल का खर्च ऊंचा बैठेगा।