देश के लिए जीने का भाव मन में होना चाहिए: विधानसभा अध्यक्ष देवनानी

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विद्या भारती का प्रतिभा सम्मान समारोह: 76 प्रतिभाएं सम्मनित

कोटा। विद्या भारती शिक्षण संस्थान का प्रतिभा सम्मान समारोह रविवार को श्री रामशांताय सभागार महावीर नगर तृतीय में आयोजित किया गया। समारोह में विशेष उपलब्धि वाले प्रधानाचार्य, आचार्य, दीदीयों समेत 76 मेधावी छात्र-छात्राओं का अभिनंदन किया गया।

मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि भारत सबसे प्राचीन राष्ट्र है। इसी आधार पर भारत को विश्व का नेतृत्व करने का अवसर मिलता रहा है। भारत पहले भी विश्व गुरु था और आज भी विश्व गुरु है। भारत को फिर से विकसित भारत बनाने के लिए हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली और शिक्षक परंपरा को जीवित करना होगा। संस्कार विद्या भारती की विशेषता रही है। इन्हीं में से देश को आगे ले जाने वाले नागरिक तैयार होंगे।

उन्होंने कहा कि आज ऐसे नागरिक की जरूरत है जो राष्ट्र को सबसे पहले, फिर समाज और सबसे अंत में स्वयं को माने। भारत को देश के लिए जीने का भाव रखने वाले नागरिक चाहिए। आज जातिवाद, अलगाववाद, आतंकवाद के युग में संस्कार युक्त नागरिक ही इन समस्याओं से लड़ सकेगा। नई शिक्षा नीति संस्कार युक्त शिक्षा पर जोर दे रही है।

उन्होंने कहा कि रोजगार परक शिक्षा को महत्व मिल रहा है। तरक्की करने के बाद समाज की सेवा का भाव मन में होना चाहिए। अच्छे पुल और सड़कें बनाने मात्र से भारत विकसित नहीं होगा, बल्कि अच्छे संस्कार और राष्ट्रवाद के बीज का रोपण करने से विकसित भारत का संकल्प पूरा हो सकेगा।

विशिष्ट अतिथि ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि विद्या भारती के स्कूल राष्ट्रवादी और संस्कारयुक्त नागरिक तैयार करने का कार्य कर रहे हैं। देश में सरकारी तंत्र के बाद शिक्षा का सबसे बड़ा माध्यम विद्या भारती शिक्षण संस्थान से जुड़े स्कूल ही हैं। जो नगरों, कस्बों के साथ ही सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों, जनजातीय इलाकों और पिछड़ी बस्तियों में भी एकल विद्यालय व संस्कार केन्द्र के माध्यम से शिक्षा देने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षित नौजवान नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्त नागरिक तैयार करने का काम कर रही है। विद्या भारती द्वारा संचालित आदर्श विद्या मन्दिर संस्कृति के अनुरूप शिक्षा देने का काम करते हैं। भारतीय संस्कृति, जीवन मूल्य, संस्कार और सामाजिक सरोकारों से ओतप्रोत शिक्षा व्यवस्था विद्या भारती की पहचान बन गई है। जहां गुणवत्तापूर्ण, संस्कारक्षम, रोजगारपरक शिक्षा मिलती है। जहां अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, राष्ट्रीय प्रतीकों, राष्ट्रीय प्रतिमानों से प्रेम करने वाले राष्ट्रवादी युवा, राष्ट्रभक्त नागरिक तैयार हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शिक्षा तभी व्यक्ति एवं राष्ट्र के जीवन के लिए उपयोगी होगी। जब वह भारत के राष्ट्रीय जीवन दर्शन पर आधारित होगी। मैकाले द्वारा तैयार शिक्षा पद्धति से अपनी संस्कृति और सभ्यता से नफरत करने वाले नागरिक तैयार होते रहे। अब शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत को पीएम मोदी के विजन के अनुरूप विकसित राष्ट्र बनाने में आज की युवा पीढ़ी की बेहद अहम भूमिका है। इसी दूरदर्शी सोच को ध्यान में रखने हुए मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है। इसके बेहद प्रभावी परिणाम भी सामने आने लगे हैं। इस शिक्षा नीति ने अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म की और अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करके भी युवा डॉक्टर-इंजीनियर तक बन रहे हैं। मोदी सरकार अब शिक्षा को कौशल विकास से जोड़कर और रोजगारपरक बनाने जा रही है।

अध्यक्षता कर रहे नवीन माहेश्वरी ने कहा कि कोटा शिक्षा में संस्कार से सफलता तक काम करने की बात करता है। कोटा पूरे देश में सुसाइड में 37वें नंबर पर है। लेकिन षडयंत्र पूर्वक ऐसा बताया जाता है जैसे यह पहले नंबर पर हो। छोटा सा शहर शिक्षा का बड़ा केंद्र बन गया, इसलिए इस प्रकार के षड्यंत्र हो रहे हैं।

विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा का उच्चतम स्तर रहा है उसे ज्ञान परंपरा का आगे ले जाने का काम हम सबको मिलकर करना है। प्रांत प्रचारक मुरलीधर ने कहा कि बीज रूपी बालक को निखारने का काम शिक्षक ही करता है। भारत के विद्यार्थियों की बुद्धिमता का स्तर दुनिया में सर्वाधिक है। यह दुनिया ने भी माना है। भारत की प्रतिभा और प्रज्ञा विश्व में अद्वितीय है। जो विश्व को सकारात्मक प्रेरणा दे रही है। यह प्रतिभा देश के लिए काम आनी चाहिए।