यह जरूरी नहीं है कि हर कोई हमारे अनुकूल हो: आदित्य सागर मुनिराज

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राष्ट्रीय प्राकृत भाषा पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

कोटा। अकलंक शोध संस्थान द्वारा प्राकृत भाषा पर आदित्य सागर मुनिराज ससंघ के सान्निध्य में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्ष पीयूष बज ने बताया कि संगोष्ठी में प्राकृत की ऐतिहासिकता व महत्व पर चर्चा की गई।

इस सेमिनार में देश भर से प्राकृत भाषा के विद्वानों ने प्राकृत भाषा के महत्व और इतिहास पर प्रकाश डाला। एसोसिएशन के सचिव अनिमेष जैन ने बताया कि इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सुदीप कुमार जैन अध्यक्ष प्राकृत विभाग लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली थे।

वक्ताओं ने बताया कि प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है। प्राकृत भाषा प्राचीनतम प्रचलित जनभाषा है। जैन और बौद्ध धर्मग्रंथों में प्राकृत का व्यापक प्रयोग हुआ। कई महत्वपूर्ण काव्य और नाटक भी प्राकृत में लिखे गए।

प्राकृत ने आधुनिक भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, बंगाली, मराठी आदि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्राकृत भाषा प्राचीन भारतीय समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। वक्ताओं ने उदाहरण स्वरूप कई शब्द जो प्राकृत भाषा से आज भी काम लिए जा रहे हैं उनका अपभ्रंश हो चुका है, ये शब्द आम जनभाषा के शब्द बन चुके हैं। उन्होंने प्राकृत की पहचान उपस्थित लोगों से करवाई।

दूसरों को समझाने में अपनी जिंदगी को बर्बाद न करें
इस अवसर पर आदित्य सागर मुनिराज ने कहा कई दूसरों को समझाने की कोशिश में अपनी जिंदगी को बर्बाद न करें। एक सीमा तक ही हस्तक्षेप करें, फिर अपनी जिंदगी पर ध्यान दें और खुश रहें। संबंधों को समझना और संभालना हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन जब दूसरे लोग नहीं मानते हैं, तो हमें उन्हें अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि हर कोई हमारे अनुकूल हो।

व्यक्तित्व का निर्माण छोटे-छोटे अनुभवों से होता है, लेकिन अगर व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर चटकता है, तो वह मूरत नहीं बन पाता। हमें अपनी जिंदगी दूसरों के लिए बर्बाद नहीं करनी चाहिए। नीति को अपने जीवन का टैग बनाकर रखना चाहिए, जैसे ब्रांडेड कपड़ों का टैग। यह जीवन में दिशा और पहचान प्रदान करता है।

इस अवसर पर सकल समाज के जे के जैन,चातुर्मास समिति के टीकम पाटनी, पारस बज, राजेन्द्र गोधा, पारस कासलीवाल, पीयूष बज, अनिमेष जैन, संदीप जैन, एश्वर्य जैन, पवन जैन सहित कई श्रावक मौजूद रहे।

आदित्य सागर का आरकेपुरम में मंगल प्रवेश कल
कोटा। आदित्यसागर मुनिराज, अप्रमित सागर, सहज सागर मुनिराज एवं क्षुल्लक श्रेयस सागर महाराज का ससंघ भव्य मंगल प्रवेश आरकेपुरम में सोमवारको सुबह प्रातः 7:30 बजे होगा। मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि इस मंगल प्रवेश के लिए क्षेत्र जैनधर्मावलम्बी आतुर हैं।