Heatstroke deaths: तापघात से मौतों को छुपाने रही है सरकार: शांति धारीवाल

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कोटा में पिछले दिनों सार्वजनिक स्थानों और फ़ुटपाथ पर लावारिस हालात में मृत मिले दो दर्जन से भी अधिक लोगों के शवों में से कई का पोस्टमार्टम भी करवाया है तो फिर फ़िर उस पोस्टमार्टम की रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाता। आमतौर पर राजनीतिक नेतृत्व एवं प्रशासन यही दलील पेश करता है कि पोस्टमार्टम की कार्यवाही के बाद ही मौत की वजह ‘हीट वेव ‘ होने की बात सामने आ सकती है। प्रशासन पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर क्यों पर्दादारी कर रहा है, यह समझ के परे है।

-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा। Heatstroke deaths: राज्य के पूर्व नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री और कोटा उत्तर से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक शांति धारीवाल ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए भीषण गर्मी और तापघात से लोगों की मौत का आंकड़ा छुपाने का आरोप लगाया।

राजस्थान में कोटा के प्रवास पर आये श्री धारीवाल ने बुधवार को कहा कि कोटा संभाग ही नहीं बल्कि समूचा राजस्थान भीषण गर्मी और लू की चपेट में है और जैसी की आशंका रहती है, इस मौसमी मार से लोगों के मौते हो रही है। उन्होंने दावा किया कि अकेले कोटा शहर में 28 से ज्यादा लावारिस शव बरामद किये गए हैं। पूरे जिले में तो मौतों का यह आकंड़ा कही अधिक होगा लेकिन राजस्थान सरकार भीषण गर्मी और तापघात से मौते होने का आंकड़ा छुपा रही है।

श्री धारीवाल ने गर्मी और तापघात से मौते होने का तथ्य छुपाने की दो प्रमुख वजह बताई। पहली यह कि सरकार लू-तापघात से मौतों का आंकड़ा अपनी जिम्मेदारी पर पर्दा डालने के लिए दबा रही है। क्योंकि भीषण गर्मी और तापघात से ज्यादातर मौते फ़ुटपाथों पर रहने वाले बेसहारा-लावारिस लोगों की हुई है जिनको लू के थपेड़ों से बचाने के लिए लिए पर्याप्त आश्रय स्थलों को बनाने, वहां जरूरतमंदों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करने के अपने कर्तव्य को निर्वहन करने में सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है।

हर साल जब भी आवश्यकता होती है तो राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप नगर निगम या नगर पालिका-परिषदें, नगर विकास न्यास शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद-असहाय लोगों को लू के थपेड़ों से बचाने के लिए लिए पर्याप्त आश्रय स्थलों को बनाने, निराहार एवं अन्य जरूरतमंदों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करती है। अब जिम्मेदारी पूरा करने में असमर्थ रहने के बाद सरकार सच्चाई को उजागर नहीं होने देना चाहती।

श्री धारीवाल ने कहा कि राज्य सरकार भीषण गर्मी और तापघात से मौते के मामले में मुआवजा देने की अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए भी मौतों के आंकड़े की पर्दादारी कर रही है। जबकि राज्य सरकार के पास आपदा प्रबंधन की मद में पर्याप्त पैसा पड़ा है। लेकिन राज्य सरकार की किसी जरूरतमंद को आर्थिक मदद देने की नीयत ही नहीं है।

श्री धारीवाल ने आरोप लगाया कि पोस्टमार्टम का बहाना बनाकर भी तथ्यों को अपने हिसाब से तोड़मरोड़ कर पेश कर रही है। प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं कि जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दर्ज नहीं हो, तब तक लू या तापघात से मौतों की पुष्टि नहीं की जा सकती। लेकिन कोटा में तो लावारिस मिले शवों का पोस्टमार्टम भी हुआ है तो प्रशासन पोस्टमार्टम की रिपोर्टस् को सार्वजनिक करने से क्यों कतरा रहा हैं? पोस्टमार्टम हुआ है तो मौत के कारणों का खुलासा किया जाये।

श्री धारीवाल ने सलाह दी कि सरकार और प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी से बचने के बजाये भीषण गर्मी और तापघात से हो रही मौते रोकने के अपने कर्तव्य का पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करना चाहिए और जरूरतमंद-असहाय लोगों को झुलसाती गर्मी से बचाने के हर संभव उपाय करने चाहिए।