जयपुर। कांग्रेस की जाट राजनीति का चेहरा रहीं कमला बेनीवाल भी उपचुनावों से ही निकलीं। उन्होंने 1954 में आमेर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता। इसके बाद वे राजस्थान की उपमुख्यमंत्री से लेकर गुजरात और मिजोरम की राज्यपाल तक बनीं। साल 2003 में कमला बेनीवाल उपमुख्यमंत्री बनी। बतौर मंत्री बेनीवाल के बाद गृह, चिकित्सा और स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि सहित विभिन्न महत्वपूर्ण विभाग रहे। अशोक गहलोत सरकार में भी वे राजस्व मंत्री रहीं।
1977 के चुनावों के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव, राजस्थान कांग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य, राजस्थान महिला कांग्रेस के अध्यक्ष, राजस्थान प्रदेश चुनाव समिति के सदस्य व बाद में चुनाव अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
डॉ. कमला को 2009 में त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। वह पूर्वोत्तर भारत के किसी भी राज्य की पहली महिला राज्यपाल थीं। एक महीने बाद, उन्हें 27 नवंबर 2009 को गुजरात का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने चार साल से अधिक समय तक सेवा की। 6 जुलाई 2014 को उनका तबादला मिजोरम के राज्यपाल पद पर कर दिया गया।
सिंचाई मंत्री के रूप में उन्होंने राजस्थान में लगभग 48,000 जल संचयन संयंत्रों के जिला कार्यक्रम बनाने का कार्य पूरा किया। जयपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने जयपुर में एक संस्कृत विश्वविद्यालय भी स्थापित किया है। लगभग 20 वर्षों तक विभिन्न रैंकों में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ में राजस्थान इकाई के प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया है। 1994 – 95 में इफको द्वारा प्रदत्त भारत का सर्वश्रेष्ठ सहकारी पुरस्कार दिया गया।
उपराष्ट्रपति और पीएम मोदी ने जताया दुख
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को पूर्व राज्यपाल और राजस्थान की पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. कमला बेनीवाल के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उपराष्ट्रपति ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “त्रिपुरा, गुजरात और मिजोरम की पूर्व राज्यपाल और राजस्थान की पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. कमला बेनीवाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूं। वह एक बुद्धिमान प्रशासक और अनुभवी नेता होने के साथ महिला सशक्तिकरण का प्रतीक थीं। दृढ़ता के साथ उनकी सादगी ने उन्हें कई प्रशंसक दिए।