कोटा में होने लगे हृदय रोगियों के रोटेबलेशन तकनीक से ऑपरेशन

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कोटा। Rotablation Angioplasty: जिन मरीजों की नसों में अधिक कैल्शियम जमा होने और लंबे ब्लॅाकेज होने की वजह से एंजियोप्लास्टी (angioplasty) नहीं हो पाती है, उन मरीजों के लिए रोटेबलेशन (ROTABLATION) तकनीक कारगर है।

इस तकनीक की खास बात यह है कि ये नसों से कैल्शियम के ब्लॉकेज (calcium blockage) को निकालकर एंजियोप्लास्टी (angioplasty) करने का रास्ता खोलती है। कोटा में इस तकनीक की मदद से हार्ट ऑपरेशन हो रहे है। सब्जीमंडी निवासी 67 वर्षीय कमला देवी का इलाज रोटेबलेशन तकनीक की मदद से किया गया।

यूं खोलते ब्लॉकेज
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभम जोशी एवं डॉ. कार्तिक जायसवाल ने बताया की कई मरीजों के हृदय की धमनी में कैल्शियम जमा होने और लंबे ब्लाकेज के कारण एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती। ऐसे मरीजों के लिए रोटेबलेशन तकनीक कारगर है। एंजियोग्राफी (angiography) के बाद अधिकांश मामलों में एंजियोप्लास्टी की जरूरत होती है। कई मामलों में बाईपास सर्जरी की जरूरत होती है।

लेकिन, नसों में कठोर कैल्शियम या ब्लाकेज की स्थिति में एंजियोप्लास्टी करते समय हृदय तक स्टेंट (stent) ले जाना मुश्किल होता है। ऐसे में रोटेबलेशन तकनीक का उपयोग कर स्टेंट (stent) लगाना आसान हो जाता है। इसमें डायमंड के छर्रे वाली ड्रिल होती है जो हृदय के अंदर तेज रफ्तार से घूमती है।

इसके तहत कैथेटर के मुंहाने पर एक नैनो ड्रिल मशीन (डायमंड बर) होती है। जिससे खून की नली या संबंधित आर्टरी (arteries) में जमा कैल्शियम को तोड़कर एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए रास्ता बनाया जाता है। जमा कैल्शियम का चूरा बनाकर उसे साफ कर दिया जाता है।

रोटेबलेशन तकनीक का प्रयोग भी एंजियोप्लास्टी की तरह ही होता है। फर्क यह है कि एंजियोप्लास्टी में नस के अंदर जाने वाले वायर में बलून व स्टेंट (stent) लगा होता है। इस तकनीक में डायमंड के छर्रे वाली ड्रिल होती है जो तेज रफ्तार से घूमती है। डॉक्टर इसकी सहायता से नस में जमा कैल्शियम को हटा देते हैं। इस तरह नसों के लंबे ब्लॉक को पूरी तरह खोल दिया जाता है।

लोकेशन जानना अहम
जिन मरीजों की नसों में कैल्शियम जमा होता है या लम्बे ब्लॉकेज होते हैं। उनकी एंजियोप्लास्टी की बजाय बायपास सर्जरी की जाती थी लेकिन Rotablation technique आने के बाद से अधिकांश मामलों में बायपास सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे मरीजों में यह तकनीक कारगर है। हालांकि इसके लिए ब्लॉकेज कहां पर है काफी कुछ इस पर भी निर्भर करता है।