नई दिल्ली। सरकार पांच और नैशनल हाइवेज को जल्द लीज पर देकर रोड कंस्ट्रक्शन के लिए फंड जुटाएगी। रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री को मौजूदा फाइनैंशल इयर में टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) मॉडल के तहत 14 ऑपरेशनल नैशनल हाइवेज को लीज पर देने से लगभग 10,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
इस मॉडल के तहत, हाइवेज को 30 वर्षों की अवधि के लिए कॉम्पिटिटिव बिडिंग के जरिए लीज पर प्राइवेट इक्विटी और पेंशन फंड्स और अन्य इन्वेस्टर्स को दिया जाएगा।
इनके लिए सरकार को चुकाई गई रकम के बदले इन्वेस्टर्स को टोल मिलेगा और उन्हें कॉन्ट्रैक्ट की अवधि के दौरान प्रॉजेक्ट को मेनटेन करना होगा।
रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री का दावा है कि इन्वेस्टर्स को इन प्रॉजेक्ट्स से अच्छा रिटर्न मिलेगा क्योंकि देश में टोल कलेक्शन सालाना 7-8 पर्सेंट बढ़ रहा है।
आंध्र प्रदेश और गुजरात में लगभग 700 किलोमीटर की लंबाई के 9 प्रॉजेक्ट्स के लिए पहली ही बिड मंगाई जा चुकी हैं। कंपनियां इन प्रॉजेक्ट्स के लिए 9 जनवरी तक बिड दे सकती हैं।
इस वर्ष के अंत तक और हाइवेज को लीज पर देने के लिए बिड मंगाई जा सकती हैं। सरकार को पहले चरण में हाइवेज को लीज पर देने से करीब 6,000 करोड़ रुपये और दूसरे चरण में लगभग 4,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। सरकारी फंडिंग से बने सभी नैशनल हाइवे प्रॉजेक्ट्स की मालिक नैशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) है।
सरकार आने वाले वर्षों में चरणबद्ध तरीके से कुल 75 ऑपरेशनल नैशनल हाइवेज को लीज पर देने की योजना बना रही है। मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इस वर्ष हमें नैशनल हाइवेज को दो चरणों में लीज पर देने से लगभग 10,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
इन प्रॉजेक्ट्स को लेकर इन्वेस्टर्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।’ इन हाइवे प्रॉजेक्ट्स में पीएसपी इन्वेस्टमेंट्स, सीपीपीआईबी, सीडीपीक्यू और अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए) सहित कुछ इन्वेस्टर्स ने दिलचस्पी दिखाई है।
रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री हाइवेज के कंस्ट्रक्शन की अपनी महत्वाकांक्षी योजना के लिए बजट के अलावा अन्य सोर्स से फंड जुटाने पर भी विचार कर रही है।
मिनिस्ट्री ने मौजूदा फाइनैंशल ईयर में 15,000 किलोमीटर की सड़कें बनाने का बड़ा लक्ष्य रखा है। मिनिस्ट्री को इस वर्ष बजट में लगभग 65,000 करोड़ रुपये का ऐलोकेशन मिला था।