लोक सभा अध्यक्ष की प्रेरणा से 20 हजार शिक्षकों का हुआ एक ही मंच पर सम्मान

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बदलती परिस्थितियों में युवाओं को भारत के नवनिर्माण के लिए तैयार करें शिक्षकः बिरला

कोटा। 20 हजार शिक्षकों का एक ही मंच पर सम्मान हुआ। सुनने में किसी को भले ही विश्वास नहीं हो, परन्तु यह कर दिखाया लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने। शिक्षक सम्मान समारोह में सरकारी व निजी स्कूल और काॅलेज के 20 हजार शिक्षक शामिल थे।

प्रत्येक शिक्षक को तिलक लगाने और माला पहनाने के बाद सम्मान स्वरूप शाॅल भेंट की गई। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में शिक्षक पहुंचे। इस दौरान प्रवेश द्वार पर लंबी कतार भी लग गई। लेकिन इन शिक्षकों ने अनुशासन को बनाए रखते हुए कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिए

भामाशाह मंडी परिसर में आयोजित शिक्षक अभिनंदन समारोह में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि एक बालक को जन्म भले ही माता-पिता देते हैं, लेकिन उसका व्यक्तित्व-निर्माण और चरित्र-निर्माण शिक्षक ही करते हैं। जो कुछ भी एक शिक्षक के पास होता है, वह सबकुछ अपने शिष्य को समर्पित कर देता है। यही कारण है कि आज भी शिक्षकों का सबसे अधिक सम्मान किया जाता है।

आजादी के बाद पिछले 75 वर्षों में देश का गौरव-सम्मान बढ़ा है। यह शिक्षकों के कारण हुआ जिन्होंने चुनौतियों के बीच ऐसे युवा तैयार किए जो देश को विकास के पथ पर ले गए। लेकिन अब जब हम आजादी के शताब्दी वर्ष में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं, तब बदलती परिस्थितियों में युवाओं को भारत के नवनिर्माण के लिए तैयार करने का दायित्व भी शिक्षकों का ही है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इन 75 वर्षों में शिक्षकों के दिए ज्ञान ने हमारे युवाओं में जिस बौद्धिक क्षमता और कार्यकुशलता का विकास किया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी बनाने की भावना से संस्कारित किया। जब विद्यार्थियों में निराशा का भाव आया तो शिक्षकों ने ही उसमें पुनः आत्मविश्वास जागृत किया। उसी के बल पर आज भारत का युवा सम्पूर्ण विश्व में नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है।

बिरला ने कहा कि आज भी शिक्षक अपने परिवार से अधिक अपने विद्यार्थियों के प्रति समर्पित रहते हैं। वे विद्यार्थियों के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास के साथ उसके सर्वांगीण उत्कृष्टता को लक्षित करते हैं। अब उनकी जिम्मेदारी है कि वे विद्यार्थियों को तकनीक, कौशल और नवाचार की दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित करें। उन्में सेवा और त्याग के साथ देश के नवनिर्माण के लिए सर्वश्रेष्ठ योगदान देने का जुनून उत्पन्न करें।

गुलामी की मानसिकता को तोड़ेगी नई शिक्षा नीतिः प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में शिक्षकों को गौरवशाली इतिहास रहा है। भारत सदियों तक गुलाम रहा। विदेशी आक्रांताओं ने राजाओं को तो झुका दिया लेकिन वे शिक्षकों को नहीं झुका सके। यही कारण है कि हमारी संस्कृति और संस्कार आज भी जीवित हैं। महाभारत से लेकर स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों तक शिक्षकों ने ही वे पीढ़ी तैयार की जो राष्ट्र के गौरव सम्मान के लिए सर्वोच्च बलिदान देने में अग्रणी रही।

यही कारण है कि आजादी के महज 75 वर्षों में हम भारत को सदियों तक गुलाम रखने वाले ब्रिटेन को पीछे छोड़ विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। भारत सरकार ने अब जो नई शिक्षा नीति बनाई है वह गुलामी की मानसिकता को तोड़गी। देश अब एक ऐसी शिक्षा पद्धति की ओर बढ़ रहा है जहां हमारी शिक्षा व्यवस्था 21वीं सदी की आवश्यकता के अनुरूप आधुनिक तो होगी साथ ही वह हमारी संस्कृति और संस्कारों से भी जुड़ी रहेगी। नई शिक्षा नीति भारत को एक बार पुनः विश्वगुरू बनाने का विजन डाॅक्यूमेंट है। उन्होंने शिक्षकों के प्रति अपनी आस्था जताते हुए कहा कि चाणक्य, रामदास, स्वामी विवेकानंद के यह अनुयायी ही अपने विद्यार्थियों के माध्यम से भारत को विश्वगुरू बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

सेल्फी बूथ पर नज़र आया उत्साह: कार्यक्रम के दौरान शिक्षक अभिनंदन आयोजन समिति द्वारा बनवाए गए सेल्फी बूथ को लेकर भी उत्साह नज़र आया। कार्यक्रम स्थल पर लगाई गई सेल्फी बूथ पर बड़ी संख्या में लोग नज़र आए। महिला शिक्षकों व उनके साथ आए बच्चे भी सेल्फी बूथ पर अपनी तस्वीर को कैमरे में कैद करते नज़र आए।

शिक्षकों ने छुए शिक्षकों के पांव: कार्यक्रम में ऐसा दृश्य भी दिखा जब सम्मान प्राप्त करने आए शिक्षक उनके विद्यार्थीकाल के दौरान उन्हें पढ़ाने वाने शिक्षकों को देख भावुक हो गए। उन्होंने अपने शिक्षकों के पांव छुए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।