भारतीय विरासत सहेजने की जिम्मेदारी शिक्षण संस्थाओं को उठानी होगी: डॉ. सेठ

0
230

कोटा। हमारी सांस्कृतिक विरासत अमूल्य है और हजारों वर्षों की तपस्या के बाद इसे स्थापित किया गया है। लेकिन, आज यह हमसे दूर होती जा रही है। इसके संरक्षण की जिम्मेदारी शिक्षण संस्थाओं को उठानी होगी। क्योंकि वर्तमान में नई पीढ़ी में शिक्षा के संस्कारों का संवहन करने में शिक्षण संस्थान ही सक्षम हैं।

स्पिक मैके के संस्थापक पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने यह बात मंगलवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में कही। एलन के इन्द्र विहार स्थित संकल्प कैम्पस में डॉ.किरण सेठ का निदेशक नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी द्वारा अभिनंदन किया गया।

डॉ. किरण सेठ ने यहां शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एलन से पढ़कर जाने वाले बच्चे बहुत बेहतर कर रहे हैं और यहां शिक्षा के साथ दिए जा रहे संस्कारों के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई। वर्तमान में हमें बच्चों को भारतीय योग, वादन, गायन और नृत्य से परिचित करवाना है। क्योंकि ये सभी विधाएं ध्यान की विधाएं हैं और बच्चों को बौद्धिक रूप से मजबूत बनाती हैं। हम बच्चों को आधुनिक तो बना रहे हैं लेकिन, उसके साथ हमारी संस्कृति से जोड़े रखते हैं तो ये आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा योगदान होगा।

डॉ. सेठ ने कहा कि वर्तमान में बच्चे जो भी सीखते हैं वो प्रायोगिक तौर पर परखा जाता है। वो देखते हैं और फिर सीखते हैं, हम भाषण देकर उन्हें ज्यादा कुछ नहीं सीखा सकते। इसलिए हमें हमारे व्यवहार में बदलाव लाना होगा। बच्चे यदि सम्मान करते हैं तो यह प्रभाव दर्शाना होगा। वे मन से आदर करें, यह प्रभाव पैदा करना होगा। चरण स्पर्श करते हैं तो उसमें सम्मान होना चाहिए, आदर होना चाहिए, तभी वह प्रभावी होगा।

डॉ. सेठ ने कहा कि स्पिक मैके द्वारा सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए वर्कशॉप डेमोंस्ट्रेशन प्रोग्राम किया जाता है, जिसमें बच्चों को शास्त्रीय संगीत की विधाओं से परिचित करवाया जाता है। इसके बाद बड़ा परिवर्तन देखने को भी मिला है। इसमें एलन सहयोग करता है तो निश्चित तौर पर एक बड़े बदलाव का आगाज होगा।

अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए एलन के निदेशक बृजेश माहेश्वरी ने कहा कि एलन संस्कार से सफलता तक का ध्येय लेकर चलता है। हम संस्कारों के साथ-साथ शास्त्रीय विधाओं से भी बच्चों परिचित करवाने का पूरा प्रयास करेंगे।