तेल के भाव में तेजी से इस साल सरसों की बुवाई का रकबा बढ़ा

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नई दिल्ली।Edible Oil Rate: त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों के बढ़ते भाव पर काबू पाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए थे, जिसका असर दिखना शुरू भी हो गया है। सरसों तेल के भाव में जोरदार तेजी की वजह से इस साल सरसों (Mustered) की बुवाई का रकबा 12-15 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है। एक बार मार्च-अप्रैल में सरसों की फसल पकने के बाद ही सरसों तेल (Mustered Oil) के भाव में कमी देखने को मिल सकती है।

हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में बढ़ा रकबा
इस साल सरसों की फसल से वारे न्यारे होने से खुश किसान इस बार गेहूं से अधिक सरसों की बुवाई को तरजीह दे रहे हैं। इस बार गेहूं का रकबा कम और सरसों का रकबा बढ़ने जा रहा है। पिछले तीन दशक में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि किसान दलहन-तिलहन की फसल लगा रहे हैं।

किसानों का रुख पलटा
इससे जहां किसानों की आमदनी अधिक होगी, वहीं भूमि की उर्वरा शक्ति में गजब का इजाफा हो सकता है। इस बदलाव को लेकर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी बेहद उत्साहित है। हरियाणा और राजस्थान के बाद अब मध्य प्रदेश में भी किसान तिलहन फसलों की तरफ रूख करने लगे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि, पिछले तीन-चार साल से सरसों के दाम में बढोत्तरी हुई है, इसलिए किसान अब सरसों की फसल उपजाने की व्यवस्था कर रहे हैं। इस बार पिछले कई सालों की तुलना में पहली बार सरसों की फसल का 60,000 हेक्टेयर तक बढ़ गया है।

त्योहारों के बाद भाव में नरमी
त्योहारों पर तेजी दिखाने के बाद अब खाद्य तेलों के भाव में कुछ नरमी आई है। रिफाइंड का भाव 10 रुपये प्रति लीटर नीचे आया है। सरसों तेल में भी पांच से दस रुपये प्रति लीटर की राहत मिली है। त्योहारों पर उबाल लेने के बाद अब खाद्य तेलों में कुछ नरमी आई है। सोया रिफाइंड का भाव 155 रुपये प्रति लीटर पर था जो अब 145 रुपये प्रति लीटर पर आ गया है। इसी तरह से सरसों का तेल न्यूनतम 195 रुपये पर चल रहा था जो अब 185 रुपये पर आ गया है। इसका भी न्यूनतम भाव 10 रुपये प्रति लीटर कम हुआ है।स हालांकि अधिकतम भाव में पांच रुपये की लीटर की ही नरमी आई है। यह 210 से घटकर 205 रुपये पर आया है।

पिछले महीने दी थी राहत
पिछले महीने सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए खाद्य तेलों पर लगने वाले इंपोर्ट ड्यूटी में कमी की थी। उसके बाद देश भर में खाद्य तेलों के भाव में ₹5 से लेकर ₹20 प्रति लीटर तक की कमी आई है, लेकिन असल सवाल यह है कि पिछले साल भर में खाद्य तेलों के भाव में 80 से 100 फ़ीसदी की तेजी के बाद 5 से ₹20 प्रति लीटर तक की कमी कितनी राहत देने वाली है?

फसल उपजने के बाद ही राहत
भारत में खाद्य तेलों की कुल खपत में सरसों तेल की हिस्सेदारी 11 फ़ीसदी के करीब है। केंद्र सरकार का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में सरसों तेल के भाव में काफी वृद्धि हुई है। सरकार के मुताबिक आमतौर पर सर्दियों में सरसों के तेल के भाव बढ़ते हैं, इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। हालांकि, इस साल सरसों की बुवाई का रकबा 12-15 फ़ीसदी तक बढ़ सकता है। एक बार मार्च-अप्रैल में सरसों की फसल पकने के बाद सरसों तेल के भाव में कमी देखने को मिल सकती है।