नई दिल्ली। जिन लोगों ने बिजनेस के लिए कैश लोन और ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी ली हुई है, उनको हर हाल में अपना करेंट एकाउंट बंद करना होगा। लेकिन, बैंकिंग रेगुलेटर यानी रिजर्व बैंक ने यह नियम लागू कराने के लिए बैंकों को जारी दिशा-निर्देश लागू करने की समय सीमा को तीन महीने बढ़ाकर 31 अक्टूबर तक कर दिया है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों को संबंधित दिशा-निर्देश इस तरह से लागू करने के लिए कहा है कि कंपनियों या कारोबारियों के कामकाज में कोई दिक्कत न आए। उसने कहा है कि बैंक अतिरिक्त समय में दिशा-निर्देश के मुताबिक ग्राहकों के साथ आपसी तालमेल करके कोई रास्ता निकालें। जिन मामलों का निपटारा नहीं हो पाएगा, उनको इंडियन बैंक एसोसिएशन IBA के पास भेजा जाएगा।
आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, करेंट एकाउंट के बजाय सारे लेन-देन कैश क्रेडिट या ओवरड्राफ्ट खाते के जरिए ही किए जा सकेंगे। इसके साथ ही बैंक सभी करेंट अकाउंट, कैश क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी वाले खातों की नियमित मॉनिटरिंग करेंगे। यह मॉनिटरिंग कम से कम तिमाही आधार पर होगी।
रिजर्व बैंक ने अगस्त 2020 में बैंकों को दिशा-निर्देश से जुड़ा सर्कुलर जारी होने के तीन महीने के भीतर उसे लागू करने के लिए कहा था। लेकिन उसने बैंकों के हिचकिचाहट दिखाने के बाद समय सीमा को बढ़ाकर 15 दिसंबर 2020 और फिर जुलाई 2021 अंत तक कर दिया था। उसके बाद बहुत से करेंट एकाउंट बंद किए जाने से कारोबारियों को कामकाज में दिक्कत होने पर समय सीमा अक्टूबर तक कर दी गई।
OD वालों को करेंट एकाउंट खोलने की इजाजत
RBI ने बैंकों को कुछ शर्तों के साथ उन कस्टमर के लिए करेंट एकाउंट खोलने की इजाजत दी थी जिनके पास किसी भी लेंडिंग बैंक या वित्तीय संस्थान में कैश क्रेडिट या ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी नहीं है। शर्त यह थी कि एकाउंटहोल्डर का एक्सपोजर पांच करोड़ से कम होना चाहिए।
रिजर्व बैंक ने लेंडिंग बैंकों को उन ग्राहकों के भी करेंट एकाउंट खोलने की इजाजत दी थी जिनका एक्सपोजर 5 करोड़ से 50 करोड़ रुपए तक हो। इसके अलावा नॉन लेंडिंग बैंकों को ऐसे ग्राहकों के कलेक्शन के लिए करेंट एकाउंट खोलने की इजाजत दी गई है।