कैंसर डेथ सेंटेंस नहीं, इसके परे भी जीवन है : मनीषा कोइराला

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जयपुर। कैंसर कोई डेथ सेंटेंस नहीं, उसके परे भी जीवन है। बॉलीवुड अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने रविवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में ये बात कही। उन्होंने कहा, समय बहुत सीमित है, जो कुछ भी आपके पास है उसकी कद्र कीजिए। सेशन ‘हील्ड: लाइफ लर्निंग्स फ्रॉम मनीषा कोइराला’ में अभिनेत्री से फेस्टिवल के प्रोड्यूसर संजोय रॉय ने बात की।

‘हम सभी आपस में एक-दूसरे में गुंथे हुए’
सवाल-जवाब के दौरान मनीषा से कहा, वह एक चीज जिसने मुझे इस बीमारी से बाहर निकालने में मदद की वह है समय। यह समझना कि समय सीमित है, यह सबसे बड़ी बात है। इससे जो मेरे पास था, मेरा जीवन, मेरा समय, मैंने उसकी कद्र करना सीखा। मैं इन सब चीजों के प्रति कृतज्ञ हुई और फिर मैंने इन सब पर ध्यान देना व उनका सम्मान करना शुरू किया।

मनीषा ने कहा, जहां तक मुझ में बदलाव आने की बात है तो मैंने यह समझा कि हम आपस में परस्पर संबद्ध हैं। हम सभी आपस में एक दूसरे में गुंथे हुए हैं। मैंने यह भी महसूस किया व मैंने आत्मविश्लेषण किया कि अगर मुझे स्वस्थ होना है तो मुझे अपनी गलतियां सुधारनी होंगी। एक व्यक्ति ने सवाल पूछा कि आपको जब कैंसर होने का पता चला तो क्या आपने यह एक क्षण को सोचा कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ?

मनीषा ने कहा, नहीं मैंने ऐसे तो नहीं सोचा, लेकिन यह काफी कष्टदायक था। कैंसर के प्रति अवेयरनेस के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि उस दौरान मैं अपना पूरा ध्यान पॉजिटिव स्टोरीज पर फोकस कर रही थी। मेरा मानना है कि कैंसर डेथ सेंटेंस नहीं है, कैंसर के परे भी जीवन है।

यह पूछे जाने पर कि आपसे क्या सीखें, इस पर मनीषा ने कहा- मैं सिखाने से बहुत डरती हूं। मैं बस इतना कह सकती हूं कि कोई परेशानी आती है तो उससे बिखर जाना स्वाभाविक है। मैं यह नहीं कहूंगी कि आप डरें मत, आप बौखलाएं नहीं, लेकिन हमारे पास एक चॉइस रहती है कि हम उसे एक चैलेंज के रूप में देखें या हम उसको अपने आप से बाहर देखेंगे। तो यह हमारा देखने का रवैया है।

यह परेशानी मेरे जीवन में कुछ सिखाने के लिए आई
यह परेशानी मेरे जीवन में आई ताकि मैं कुछ सीख सकूं। मैं खुद को संतुलित रख सकूं। यह पूछे जाने पर कि आप अपनी किताब या जीवन पर कब फिल्म बनाएंगी, मनीषा ने कहा, मैंने इस पर अभी विचार नहीं किया है, अभी मुझे जीवन में और बहुत कुछ सीखना-समझना है, मुझे और बहुत कुछ करना है। जब ये तजुर्बे पूरे होंगे और जब वह घड़ी आएगी तब वह फिल्म और रुचिकर होगी।