अहदाबाद। Fake organic rice: सीमा शुल्क विभाग ने ऑर्गेनिक चावल के नाम पर सामान्य चावल का निर्यात करने के एवज में दो फर्मों पर जुर्माना लगया है। दोनों कंपनियों (निर्यातकों) को कहा गया है कि यदि वे चाहती हैं कि उसके 25,500 टन तथा 16,700 टन चावल की खेप (कार्गो) को जब्त नहीं नहीं किया जाए तो इसके बदले में उसे 95 लाख रुपए तथा 65 लाख रुपये के अर्थदंड का भुगतान करना पड़ेगा।
समझा जाता है कि कार्गो को रोके रखने एवं डैमरेज खर्च के तौर पर प्रति दिन 17 लाख रुपए का भुगतान किया गया था और अब निर्यातक फर्मों से इसकी वसूली की जा रही है। कस्टम विभाग ने भ्रामक सूचना देने के लिए इन दोनों फर्मों पर 75 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
विभाग का कहना है कि निर्यातकों ने ऑर्गेनिक चावल के निर्यात की जानकारी दी थी, जबकि वास्तव में गैर बासमती सफेद चावल का शिपमेंट किया जा रहा था। उस समय सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ था। पिछले महीने कस्टम कमिश्नर (अपील) ने इस आशय का आदेश पारित करते हुए एक कम्पनी पर 95 लाख रुपए तथा दूसरे कम्पनी पर 65 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया था।
उनसे कहा गया था कि चावल की खेप को जब्त होने से बचाने के लिए उसे इस राशि का यथाशीघ्र भुगतान करना होगा। चूंकि दोनों फर्मों के चावल की मात्रा अलग-अलग है इसलिए उस पर भिन्न-भिन्न स्तर का जुर्माना लगाया गया है।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि सीमा शुल्क विभाग को और अधिक सख्त कदम उठाना चाहिए था और जो जुर्माना लगाया गया है वह काफी हल्का है। दरअसल यह मामला ‘फ्रॉड’ का है और भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाने की जरूरत है।
वैसे अब सरकार ने सफेद तथा सेला-चावल के शुल्क मुक्त तथा नियंत्रण मुक्त निर्यात की अनुमति प्रदान कर दी है। लेकिन यह मामला अगस्त का है। जुलाई 2023 में ही सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जो सितम्बर 2024 तक जारी रहा।