नई दिल्ली । विदेश व्यापार नीति की मध्यावधि समीक्षा करते हुए सरकार ने निर्यातकों को भारी भरकम 8,450 करोड़ रुपये का तोहफा दिया है। निर्यातकों को यह तोहफा मर्केडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआइएस) के तहत प्रोत्साहन की दर दो प्रतिशत बढ़ाकर दिया गया है।
खास बात यह है कि सरकार के इस फैसले से चमड़ा, हस्तशिल्प, कारपेट, खेल, कृषि और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट जैसे रोजगार देने वाले क्षेत्रों को फायदा होगा। विदेश व्यापार नीति 2015 से 2020 की अवधि के लिए है।
इस नीति की मध्यावधि समीक्षा की जानकारी देते हुए वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इस नीति का मकसद प्रक्रिया को सरल बनाकर निर्यातों को प्रोत्साहन देना, उच्च रोजगार देने वाले क्षेत्रों को मदद मुहैया कराना, जीएसटी के फायदे पहुंचाना, सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहन और अत्याधुनिक विश्लेषण प्रणाली के जरिये निर्यात बढ़ाना है।
सरकार ने एमईआइएस के तहत प्रोत्साहन की दर दो प्रतिशत बढ़ायी है। प्रभु ने ट्वीट कर कहा कि इस निर्णय से सालाना प्रोत्साहन राशि 34 प्रतिशत बढ़कर 8450 करोड़ रुपये हो जाएगी।
प्रभु ने कहा कि विदेश व्यापार नीति का फोकस नए बाजार की तलाश और परंपरागत बाजारों में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने पर रहेगा। साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक वैल्यू चेन में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विदेश व्यापार नीति से हर साल चमड़ा उत्पाद निर्यातकों को करीब 749 करोड़ रुपये, हैंडमेड कारपेट और जूट उत्पादों को 921 करोड़ रुपये, कृषि उत्पादों को 1354 करोड़ रुपये, मैरीन उत्पादों को 759 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जो को 369 करोड़ रुपये व मेडिकल उपकरण निर्यातकों को 193 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का लाभ होगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार गारमेंट क्षेत्र के उत्पादों के लिए निर्यात प्रोत्साहन की दर दो फीसदी से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर चुकी है। माना जा रहा है कि इससे गारमेंट निर्यातकों को 2743 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि कृषि वस्तुओं के निर्यात पर भी सरकार का फोकस है ताकि किसानों की आय बढ़ायी जा सके। जीएसटी का जिक्र करते हुए प्रभु ने कहा कि इससे निर्यात क्षेत्र में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि निर्यात क्षेत्र की बेहतरी दिखने लगी है। बीते 14 महीने में निर्यात वृद्धि सकारात्मक रही है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने एक अप्रैल 2015 को विदेश व्यापार नीति घोषित की थी। इसके तहत 2020 तक निर्यात बढ़ाकर 900 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही इसमें वैश्विक निर्यातों में भारत की हिस्सेदारी दो प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य भी है।