चना और सरसों की संपूर्ण उपज समर्थन मूल्य पर खरीदी जाए: किसान संघ

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  • फसल खराबे में से मुआवजा राशि काटने का विरोध
  • मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा
  • भारतीय किसान संघ की आंदोलन की चेतावनी

कोटा। भारतीय किसान संघ की ओर से बुधवार को मुख्यमंत्री के नाम संयुक्त निदेशक रामनारायण मालव को ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान प्रांत अध्यक्ष शंकरलाल नागर, संभाग अध्यक्ष विक्रम सिंह सिरोहिया, जिला अध्यक्ष गिरिराज चौधरी, प्रदेश मंत्री जगदीश कलमंडा, प्रांत प्रवक्ता आशीष मेहता, संभाग उपाध्यक्ष हेमराज नागर, महिला प्रमुख रमा शर्मा, जिला मंत्री देवीशंकर गुर्जर, जिला कोषाध्यक्ष रूपनारायण यादव के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष सरसों का सकल उत्पादन 120 लाख टन है। जबकि राज्य सरकार की ओर से केवल 15 लाख टन सरसों की खरीद का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार चने की भी उसकी सकल उत्पादन की तुलना में बहुत कम खरीद की जा रही है। जबकि सरसों और चने का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत कम है।

ऐसे में किसानों की संपूर्ण उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाए। भारतीय किसान संघ ने मांग की है कि बेमौसम बारिश के कारण कुछ फसलों में खराबी आने के कारण नियमों में शिथिलता देते हुए खरीदी हो और अधिकतम स्थानों पर शीघ्र कांटे लगाए जाएं। राज्य सरकार गेहूं पर 500 रुपए तथा चना व सरसों पर अतिरिक्त 1000 रुपए का बोनस दे। इसके साथ ही आलू और प्याज की उपज को भी बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत खरीद कर किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जाए।

आपदा राहत राशि बीमा क्लेम के अलावा दी जाए
भारतीय किसान संघ ने कहा कि सरकार के द्वारा फसल बीमा राशि और फसल खराबा मुआवजा राशि दोनों की गणना एक साथ की जा रही है। जो कि किसान के साथ सरासर अन्याय है। फसल बीमा का किसान के द्वारा प्रीमियम जमा कराया जाता है जिसकी एवज में उसे बीमा राशि का क्लेम प्राप्त होता है। जबकि फसल के खराबे की मुआवजा राशि केंद्र सरकार की तरफ से जारी की जाती है। ऐसे में राज्य सरकार फसल बीमा और फसल खराबा की गणना एक साथ नहीं कर सकती। यह किसानों को अलग-अलग दिया जाए। भारतीय किसान संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस विषय को लेकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।