नई दिल्ली। फिक्की के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में भी 50 से 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया गया है। इस दौरान देश में थोक मूल्य सूचकांक में 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5.5 प्रतिशत के करीब रह सकता है।
इसके पूर्व कुछ पूर्वानुमानों में देश के सकल घरेलू उत्पाद में आठ फीसदी से ज्यादा की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध के साथ कुछ अन्य प्रभावों के कारण माना जा रहा है कि वृद्धि दर अपेक्षित रूप से कम रह सकती है।
प्रमुख औद्योगिक संगठन फिक्की के जारी अनुमानों में वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में 3.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है। अनाज, दलहन, अन्य फसलों और इनसे जुड़े प्रसंस्कृत उत्पादों में बढ़ोतरी से देश को खाद्यान्न मामलों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के साथ-साथ निर्यात में भी बढ़ोतरी हो सकती है। देश के किसानों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से जुड़े लोगों को यह खबर अच्छी लग सकती है।
मार्च 2022 में देश के प्रमुख उद्योगपतियों के अनुमानों पर आधारित इस सर्वे में फिक्की ने माना है कि इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल उत्पादों के मूल्यों में बढ़ोतरी होने से कई गणित गड़बड़ा सकते हैं। पेट्रोल जैसे उत्पादों के मूल्यों में बढ़ोतरी दूसरे महत्त्वपूर्ण उत्पादों के मूल्यों में भी महंगाई बढ़ा सकती है जिससे उपभोक्ताओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। युद्ध के कारण पहली छमाही में महंगाई वैश्विक तौर पर ज्यादा रह सकती है जबकि दूसरी छमाही में इसका असर कुछ कम होने का अनुमान लगाया गया है।