सात राज्यों से 39 मंदिरों की 390 मूर्तियो की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न
कोटा। Panchkalyanak Pratistha Mahotsav: श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में आध्यात्मिक विशुद्ध ज्ञान वर्षायोग समिति द्वारा आयोजित श्री मज्जिनेन्द्र 1008 अरिष्ट नेमिनाथ भगवान के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन गुरुवार हो मोक्षकल्याण पूजन व विश्वशांति यज्ञ के साथ हो गया। अंतिम दिन मोक्ष कल्याणक के उपरान्त बैंड-बाजों के साथ जिनेंद्र भगवान की चांदी के रथ में यात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर जी ससंघ का सान्निध्य भी प्राप्त हुआ।
390 मूर्तियां की प्राण प्रतिष्ठा
चंद्रप्रभु दि.जैन मंदिर के अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा ने बताया कि इस पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड सहित 7 राज्यों 39 मंदिरों से 390 मूर्तियां की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस समारोह में दुबई से भी श्रावक शामिल हुए थे।
मूर्ति प्रतिष्ठा के साथ हर्ष की लहर
जैनेन्द्र जज साहब ने बताया कि कुन्हाडी चंद्रप्रभु दि.जैन मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ एवं भगवान सम्भवनाथ की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के साथ नई स्टफिक मणि की मूर्तियां वेदी पर प्रतिष्ठित की गई। भगवान के जयकारें लगे ओर कोर्ट से वेदी व मूर्ति के सम्बंध में जारी दो विवादों में कोर्ट ने चंद्रप्रभु दि.जैन मंदिर समिति के पक्ष में फैसला सुना दिया है। पूरे कुन्हाडी सकल समाज में हर्ष की लहर दौड गई।
सकल समाज ने सौपा श्रीफल
सकल दि.जैन समाज समिति कोटा द्वारा सफल पंचकल्याणक महामहोत्सव सम्पन्न होने पर गुरूदेव श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर जी ससंघ ने श्री फल भेंट किया और गुरू का आभार प्रकट किया। सकल समाज अध्यक्ष विमल जैन नांता ने गुरू देव के सानिध्य में आयोजित पंचकल्याण को एतिहासिक व अभूतपूर्व बताया।
इस अवसर पर सकल समाज के सरंक्षक राजमल पाटोदी, अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जेके जैन, प्रकाश बज, मंत्री विनोद जैन, टोरडी, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, संजय सांवला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, अंकित जैन आर केपुरम, महेंद्र बगड़ा एवं श्री चन्द्र प्रभ दिगंबर जैन मंदिर समिति के लोग उपस्थित रहे।
ऐसे हुआ मोक्ष कल्याणक
कार्याध्यक्ष जे के जैन व प्रकाश बज ने बताया कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य समापन मोक्ष कल्याणक के साथ हुआ। प्रातः 5:30 बजे जाप, अभिषेक, नित्य नियम और ज्ञान कल्याणक पूजन के साथ दिन की शुरुआत हुई। प्रातः 7:15 बजे, कार्यक्रम की मुख्य आकर्षक घटना ऊर्जयंत पर्वत से नेमिनाथ भगवान के मोक्ष गमन का भावपूर्ण मंचन किया गया। इसके साथ ही अग्नि कुमार इंद्र द्वारा अग्नि संस्कार, निर्वाण महोत्सव, सिद्ध गुणारोपण, कल्याणक पूजन और विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन किया गया।
प्रातः 9:00 बजे मुनिश्री ने अपने आशीर्वचन से उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया और आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया गया। प्रातः 10:00 बजे भगवान की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसने सभी दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। अंत में, प्रातः 11:55 बजे भगवान की वेदी में स्थापना की गई और प्रतिष्ठा महोत्सव का विसर्जन किया गया। इस समापन समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और उन्होंने इस पावन अवसर का साक्षी बनकर आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त की। पूरे महोत्सव को शांति और भक्तिमय वातावरण में संपन्न किया गया।
भक्ति में अपना मन लगाकर रखें
आदित्य सागर ने कहा कि भगवान की भक्ति में अपना मन लगाकर रखें। इसी से हमारी आत्मा के परिणाम शुद्ध होते हैं। इसी से मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होगी। हम अक्सर एक त्रुटि करते हैं कि मोक्ष कल्याणक को अंतिम कल्याणक कहते हैं। एक तरह से आत्मा के लिए मोक्षगमन के साथ यह अंतिम पड़ाव हो, किंतु तीर्थंकरत्व की यात्रा जो एक दर्शन को समग्र रूप देती है।
चांदी के रथ पर शोभायात्रा
मोक्ष कल्याणक के आयोजन में प्रात :10.00 बजे भव्य रथ यात्रा पांडाल से महाराणा प्रताप सर्किल, एक्जोटिका गार्डन , कमला उद्यान चौराहा, हाउसिंग बोर्ड रोड होते हुए जैन मंदिर पहुंची। इस यात्रा में चांदी के रथ पर ललितपुर से मंगवाया गया। जिसे मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा ने सारथी बनकर चलाया। इसमें श्रद्धालु भगवान की मूर्तियां लेकर चल रहे थे। मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने भगवान की आरती उतारकर जुलूस का स्वागत किया। 50 मुख्य इंद्र-इन्द्राणी, 16 अष्ठकुमारियां, 25 ढ़ोल सदस्य, कर्नाटक का चिंदे बैण्ड व उदयपुर का सेमारी बैण्ड व अन्य दिव्यघोष,एरावत हाथी शोभा यात्रा का आकर्षण रहे।