हाड़ौती में फॉरेस्ट व वन अभ्यारण्य विकसित करने के लिए होटल फेडरेशन ने मुहिम छेड़ी

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प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर संबंधित समस्याओं के निराकरण के संयुक्त प्रयास होंगे: माहेश्वरी

कोटा। होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान कोटा संभाग की हाड़ौती फॉरेस्ट टूरिज्म डवलपमेंट बोर्ड की बैठक गुरुवार को संभागीय अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में मुकुंदरा एवं रामगढ़ अभ्यारण्य में बाघ छोड़े जाने का स्वागत करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब तक इन अभ्यारण्यों का संपूर्ण विकास नहीं होगा एवं पर्यटकों के लिए बफर जोन से कोर जोन में सफारी शुरू नहीं करवाई जाएगी तब तक इन अभ्यारण्य में सफारी करने वालों का आकर्षण नहीं बढ़ेगा।

साथ ही अभ्यारण्य क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ बाहरी क्षेत्र की सड़कों की भी मरम्मत एवं पर्यटकों के भ्रमण के लिए नए रास्ते विकसित करने की दिशा को भी गति देनी होगी। बैठक मे वक्ताओं ने कहा कि बाघ लाने की घोषणाएं तो हो जाती है, लेकिन उनको अमल में लाने मे भारी विलंब होता है। जिसके कारण इन अभ्यारण्यों में आने वाले बाघों की शिफ्टिंग भी बहुत धीमी गति से की जा रही है।

अगर ऐसा नही होता तो आज इन दोनों अभ्यारण्य में पर्याप्त मात्रा में बाघ-बाधिन होते। बैठक मे बोर्ड के चेयरमेन अहतशामुद्दीन एवं वाइस चेयरमैन कोशल बंसल ने कहा कि इन अभ्यारण्यों को पूर्ण विकसित करने के लिए बफर जोन के साथ कोर जोन में सफारी शुरू करवाने के लिए हमारा बोर्ड पूरी तरह से कटिबद्ध है। इन अभयारण्यों के लिए जो भी घोषणा हो रही है, उसको अमल में लाने के लिए प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर सभी के प्रयासों से सार्थक बनाएंगे।

हमारी टीम फॉरेस्ट अधिकारियों से इस बात का पूरा विवरण मांगेगी कि किन कारणो से घोषणाएं होने के बाद भी इनको अमल में नहीं लाया जा रहा। इसके लिए हम होटल फेडरेशन के माध्यम से प्रदेश व देश स्तर पर पूरा प्रयास करेंगे। चेयरमेन काजी अहतशामुद्दीन ने कहा कि रणथंभोर में से यहां पर बाघ लाने के लिए वह प्रयास करेंगे और अन्य जो भी समस्याएं है उसके लिए भी केंद्र और राज्य के वन मुख्यालय तक भी जाना पड़ा तो वहां तक भी जाएंगे।

बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष अनुराग गर्ग ने कहा कि हमारी फेडरेशन के अध्यक्ष हुसैन खान संरक्षक सुरेंद्र सिंह शाहपुरा जो निरन्तर इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाड़ौती में पर्यटन की विपुल सम्पदा है और पर्यटकों का वन्य जीव अभ्यारण्य, जल सफारी, नौकायन वन सफारी ही सबसे बड़ा आकर्षण होता है। ऐसी संपदा राजस्थान में किसी भी संभाग में नहीं है, जो हाड़ौती मे है।

हम सभी के प्रयासों से हाडौती को एक नई बेहतरीन डेस्टिनेशन के रूप में देखा जा रहा है। पिछले 6 माह से फेडरेशन कोटा संभाग द्वारा किए गए प्रयासों के चलते हाड़ौती पर्यटन के दृष्टिकोण से पूरे प्रदेश में चर्चित हो गया है, लेकिन आज आवश्यकता है की हाड़ौती में पर्यटन के दृष्टिकोण से संपूर्ण विकास करने की। निश्चित ही अगर ऐसा होता है तो हाड़ौती के पर्यटन को पंख लगेंगे और देश प्रदेश में हाड़ौती पर्यटन के नए दृष्टिकोण के रूप मे अपनी पहचान बनाएगा।

फेडरेशन की प्रदेश की टीम हाड़ौती के पर्यटन विकास को आगे लाने के लिए एवं नई डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने के लिए अन्य संभागों में भी हाड़ौती के पर्यटन स्थलों का प्रचार प्रसार करने की कार्य योजना बना रही है।

होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान कोटा संभाग के अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी ने कहा कि फेडरेशन द्वारा हाड़ौती फॉरेस्ट टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड का गठन इसलिए किया गया है कि बोर्ड के माध्यम से फॉरेस्ट एवं अभ्यारण्यों को लेकर आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए बोर्ड पूरी तत्परता से कार्य करेगा। जिसमें जिला प्रशासन. जनप्रतिनिधि. वन विभाग. राज्य व केंद्र के वन विभाग से संबंधित समस्याएं और फॉरेस्ट एवं अभ्यारण्यों के विकास को लेकर निरंतर मुहिम चलाएगा।

इसके तहत स्थानीय स्तर पर भी समय-समय पर वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर उन कमियो पर चर्चा करेगी, जिनकी वजह से फॉरेस्ट और अभ्यारण्य में पूर्ण विकास नहीं हो पा रहा है। साथ ही आगामी कार्य योजना भी बनाएगी कि किस तरह से यहां पर वन्य जीवों को लाया जाए एवं बाघों की संख्या को बढ़ाने की दिशा में भी काम होगा।

शीघ्र ही फेडरेशन हाड़ौती के पर्यटन स्थलों के प्रचार प्रसार और ऐतिहासिक धरोहरों के रखरखाव के लिए एक कमेटी का गठन करेगा, जिसमें अनुभवी व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा। साथ ही वन विभाग के डीएफओ एवं अन्य अधिकारियों के साथ बैठक का आयोजन कर हाड़ौती के पर्यटन विकास एवं फॉरेस्ट एवं अभ्यारण के विकास पर चर्चा की जाएगी। विलंब क्यों हो रहा है उनके कारणों के बारे में भी पता किया जाएगा।

इस अवसर पर बोर्ड के सलाहकार दौलत सिंह ने कहा कि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व एवं रामगढ़ अभ्यारण के विकास की एवं बाघों को लाने की गति धीमी चल रही है। उन्होंने कहा कि सरिस्का में पिछले कुछ वर्षों में 10 बाघ थे, आज वहां की सख्या 44 बाघ तक पहुंच गई है। साथ ही रणथंभौर टाइगर में 70 से अधिक बाघ है, जबकि वहां के क्षेत्रफल के हिसाब से 20 बाघ ज्यादा हैं। इसके साथ ही 1000 चीतल इन अभ्यारण्यों में लाने की घोषणा के संकेत मिल रहे हैं।

निश्चित ही आने वाले समय में इन अभयारणों में 9 बाघ बाघिन के लाने की घोषणा जो पूर्व में की गई थी उसे अमल में लाया जाएगा। उसके लिए वन विभाग को धरातल पर रहकर कार्य करना होगा, जिससे इस अभियान को और गति प्रदान की जा सके।

उन्होंने कहा कि बाघ बाधिन की जोड़ी जो कोटा में शिफ्ट की गई है, उसमें बाघ की उम्र 5 वर्ष और बाघिन की उम्र डेढ वर्ष है, जिनका कहीं संतुलन नहीं बैठ रहा है। अतः बाघों की संख्या बढ़ाने से पहले इस तरह की की विसंगतियों को भी दूर किया जाएगा। इस अवसर पर बोर्ड कमेटी के सदस्यों एवं प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग गर्ग का अभिनंदन किया गया ।