कोटा। रेग्युलेशन एंड डवलपमेंट एक्ट (रेरा) एक मई से पूरे देश में लागू हो चुृका है, लेकिन कोटा समेत प्रदेश के मात्र नौ बिल्डरों ने रेरा ऑथोरिटी में पंजीकरण कराया है। सरकार की हिदायत के बावजूद बिल्डर रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं करवा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि बिल्डर रेरा को लेकर मानसिक रूप से तैयार नहीं है। इसकी अंतिम तिथि 30 जुलाई है।
यह बात रोटरी बिनानी सभागार में सीए कोटा ब्रांच की ओर से आयोजित सीपीई सेमिनार में जयपुर से आए सीए संजय घीया ने कही। उन्होंने बताया कि रेरा से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता आने के साथ कंपनियों व डवलपर्स की जवाबदेही भी बढ़ गई है। इसमें बिल्डर ग्राहकों से सिर्फ कॉपरेट एरिया के नाम पर ही पैसा वसूल कर सकेंगे। एेसा नहीं करने पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो सकता है।
बढ़ेगी मुश्किलें : इंदौर के सीए पंकज शाह ने कहा कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 10 इनकम कंप्यूटेशन स्टैंडडर्स जारी किए हैं, जिसके अनुसार इस वर्ष की आय की गणना कर टैक्स ऑडिट किया जाएगा। व्यापार और अन्य स्त्रोतों से आय दर्शाने वालों को भी इन 10 आईसीडीएस के बारे में बताना होगा।
कोटा ब्रांच अध्यक्ष सौरभ जैन ने बताया कि सेमिनार में सेंट्रल काउंसिल सदस्य श्यामलाल अग्रवाल, सुरेन्द्र कुमार विजय एवं बद्रीविशाल माहेश्वरी ने भी विचार रखे। सीए वीक का शुक्रवार को रोटरी बिनानी सभागार में समापन हुआ। इस मौके पर विभिन्न खेलकूद एवं प्रतियोगिताओं के विजेता-उपविजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
जानकारी देने के बाद रजिस्टर्ड होगा प्रोजेक्ट
रेरा के लागू होने के बाद डवलपर्स को प्रोजेक्ट से जुड़ी हर जानकारी जैसे प्लान, ले-आउट, सरकारी स्वीकृति, जमीन का टाइटल स्टेटस, प्रोजेक्ट पर काम करने वाला सब कॉन्टे्रक्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित लोकल बॉडीज आदि की स्वीकृति ऑथोरिटी को देनी होगी, इसके बाद ही रेरा की वेबसाइट पर प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड होगा।
अंतिम तिथि के बाद बिल्डर प्रोजेक्ट के प्रचार के लिए प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया में विज्ञापन नहीं दे सकेंगे। इतना ही नहीं, प्रोजेक्ट की सोशल मीडिया पर या किसी को एसएमएस से भी जानकारी नहीं दे सकते।