Monday, October 7, 2024
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बड़े विलफुल डिफॉल्टर कैलाश अग्रवाल अरेस्ट

मुंबई। बैंकों और दूसरी संस्थाओं से 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर विलफुल डिफॉल्टर बने वरुण इंडस्ट्रीज के को-प्रमोटर कैलाश अग्रवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। देश के सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टर्स में से एक कैलाश को पिछले सप्ताह एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया।

कैलाश अग्रवाल

अग्रवाल देश के टॉप 10 विलफुल डिफॉल्टर्स में से एक हैं। वह अपने बिजनस पार्टनर किरण मेहता के साथ देश से बाहर चले गए थे। 5 अगस्त को जब कैलाश अग्रवाल दुबई से लौटे तो सीबीआई ने उन्हें दबोच लिया। स्थानीय कोर्ट ने उन्हें रिमांड पर भेज दिया है।

अग्रवाल और मेहता ने कथित तौर पर चेन्नई स्थित इंडियन बैंक को 330 करोड़ का चूना लगया। इसके अलावा कई अन्य बैंकों से 1,593 करोड़ रुपये लिए। सीबीआई प्रवक्ता आरके गौड़ ने बताया, ‘वह भागे हुए थे और जांच से बच रहे थे।’

अधिकारियों ने बताया कि अग्रवाल और मेहता ने 2007 से 2012 के बीच इंडियन बैंक और दूसरे पब्लिक सेक्टर बैंकों से लोन लिए। सीबीआई के मुताबिक, 2013 में ये डिफॉल्टर होने लगे और शेयर्स के बदले मार्केट से काफी पैसा उठा लिया।

पिछले साल इंडियन बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने वरुण इंडस्ट्रीज, अग्रवाल और मेहता के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का केस रजिस्टर किया।

मार्च 2013 में ऑल इंडिया बैंक एंप्लायीज असोसिएशन द्वारा तैयार विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची के मुताबिक वरुण इंडस्ट्रीज और इसकी सहयोगी कंपनी वरुण जूल्स पर 10 सरकारी बैंकों का 1,242 करोड़ रुपये बकाया था।

इसके अलावा कंपनी ने प्राइवेट बैंक्स और फाइनैंस कंपनियों से भी लोन ले रखा था। इस सूची में सूरत बेस्ड डायमंड कारोबारी सबसे ऊपर हैं, जिनपर 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।

इसके बाद विजय माल्या का नाम है, जिनपर 5,600 करोड़ रुपये का कर्ज है और विलफुल डिफॉल्टर होने के बाद भागकर लंदन चले गए।

इंटरकनेक्ट फीस कम हुई तो फ़ोन कॉल्स होंगी सस्ती

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नई दिल्ली। मोबाइल कॉल और डेटा सस्ता होने की दौड़ शुरू हुए करीब एक साल का वक्त गुजर चुका है। इसके और कम होने की संभावना जताई जा रही है। टेलिकॉम रेग्युलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) मोबाइल ऑपरेटर्स की उस फीस में कटौती कर सकता है जो वह कनेक्टिंग कॉल्स के लिए एक दूसरे को भुगतान करते हैं।

एक सूत्र ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘फिलहाल इंटरकनेक्ट यूसेज चार्जेस (आईयूसी) की दर 14 पैसे प्रति मिनट है लेकिन यह आसानी से 10 पैसे प्रति मिनट से कम हो सकता है।’

पिछले साल सितंबर में जब मुकेश अंबानी ने अपने रिलायंस जियो के जरिये लाइफटाइम मुफ्त कॉल का प्लान लॉन्च किया, तब से लगातार आईयूसी एक मुद्दा बना हुआ था। जियो, जो उपभोक्ताओं को फ्री कॉल की सुविधा देता है पर आईयूसी का भार बढ़ता जा रहा था।

कंपनी आईयूसी की दरों में कमी चाहती थी। जियो की नजर में आईयूसी वर्तमान ऑपरेटरों द्वारा बनाई गई कृत्रिम बाधा है। दूसरी ओर एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियां इससे हजारों करोड़ रुपये कमाती हैं। ये पुरानी कंपनियां इस दर में और इजाफा चाहती हैं।

उदाहरण के लिए देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी एयरटेल की पिछले साल की आईयूसी डीलिंग करीब 10279 करोड़ रुपये थी। कंपनी इस कॉस्ट को 30 पैसे प्रति मिनट के ‘वास्तविक मूल्य’ तक ले जाना चाहती है।

ट्राई के अध्यक्ष आर एस शर्मा को एक लिखे एक हालिया खत में भारती इंटरप्राइसेज के चेयरमैन सुनील मित्तल ने लिखा, ‘आईयूसी की मौजूदा दर पहले ही लागत से कम है।’ उन्होंने ट्राई को इसकी दर एक ‘निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र द्वारा तय’ करने की बात कही।

जियो हालांकि एक ‘बिल ऐंड कीप’ (BAK) तरीका अपनाने की पक्षधर है। इसमें कंपनियां एक-दूसरे के बजाय ग्राहकों से वसूली कर सकती है। जियो वाइस कॉल के लिए 4जी आधारित (VoLTE) तकनीक का इस्तेमाल करती है।

कंपनी का कहना है कि आईयूसी की कोई प्रासंगिकता नहीं है चूंकि सारी इंडस्ट्री आईपी-आधारित (इंटरनेट प्रोटोकॉल) मॉडल्स की ओर बढ़ रही है। एयरटेल का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत होने तक पूरे देश में VoLTE सर्विस मुहैया करा देगी वहीं आइडिया भी इसकी तैयारी कर रही है।

ट्राइ ने आईयूसी की समीक्षा के लिए पिछले साल 5 अगस्त को एक परामर्श जारी किया था जिसके सिफारिशें एक महीने में आ सकती हैं। आईयूसी को लेकर ट्राई की योजनाओं पर एक सूत्र ने कहा कि आईयूसी की दरों में कटौती किए जाने की संभावनाएं काफी अधिक हैं।

इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि इंटरनेट के जरिए कॉल करने पर महज 3 पैसे प्रति मिनट का ही खर्च आता है। सूत्र ने कहा, ‘रेट जरूर कम होंगे। आज के दौर में जब डेटा रेट काफी कम हुए हैं और नेटवर्क VoLTE अथवा 4G की ओर बढ़ रहे हैं ऐसे में 14 पैसे प्रति मिनट काफी ज्यादा रेट है।’

बैंकर्स हड़ताल टालने के प्रयास, बैठक बुलाई

नई दिल्ली । 22 अगस्त को राष्ट्रव्यापी बैंकरों की हड़ताल को रोकने के प्रयास में भारतीय बैंक संघ (आईबीए) और मुख्य श्रम आयुक्त ने वार्ता के लिए यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) को बुलाया है। यह जानकारी अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के एक शीर्ष नेता ने दी है।

एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया, “आईबीए ने 16 अगस्त को मुंबई में एक बैठक के लिए यूएफबीयू को बुलाया भेजा है और मुख्य श्रम आयुक्त ने हमें 18 अगस्त को नई दिल्ली में एक बैठक के लिए बुलाया है।”

यूएफबीयू नौ बैंक यूनियन का एक संघ है। यूएफबीयू सरकारी बैंकों के निजीकरण, विलय एवं बैंकों के समेकन और कॉर्पोरेट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) के लिए सरकार के फैसले की आलोचना कर रहा है।

साथ ही उसने मांग की है कि लोन को जानबूझ कर डिफॉल्ट करना क्रिमिनल अफेंस माना जाए। साथ ही एनपीए की वसूली पर संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू किया जाए।

यूएफबीयू ने 22 अगस्त को बैंकिंग क्षेत्र और अन्य मुद्दों में सुधार के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल का नोटिस दिया है। वेंकटचलम ने कहा, “मुद्दों को हल करने के लिए हमने सभी विकल्प खुले रखे हैं, आईबीए और केंद्र सरकार को भी इसी दिशा में सोचना चाहिए।”

 

गोल्ड पर जीएसटी दर बढ़ाएं : इकोनॉमिक सर्वे

नई दिल्ली । सोने पर तीन फीसद की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर काफी कम है और इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है, क्योंकि इसका ज्यादातर इस्तेमाल देश के अमीर लोग करते हैं। इकोनॉमिक सर्वे के लेखक और भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का कुछ ऐसा ही मानना है।

वित्त वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वे वॉल्यूम II को बीते शुक्रवार संसद में पेश किया गया था। इसमें कहा गया, “सोने और आभूषण उत्पाद जो कि बहुत अधिक अमीर लोगों की ओर से बेहिसाब खपत वाली वस्तुएं हैं और उन पर 3 फीसद की जीएसटी दर बहुत कम है।”

दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी कर की आवश्यकता थी। इसमें कहा गया, “स्वास्थ्य और शिक्षा को पूरी तरह से बाहर रखना इक्विटी के साथ असंगत है, क्योंकि ये अमीर लोगों की ओर से बेहिसाब रूप से उपभोग की जाने वाली सेवाएं हैं।”

 स्वास्थ्य और शिक्षा पूरी तरह से टैक्स नेट से बाहर हैं और जीएसटी के तहत इसे छूट दी गई है। इसके अलावा अल्कोहल, पेट्रोलियम, एनर्जी प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिसिटी और कुछ लैंड और रियल एस्टेट से जुड़े लेनदेन जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।

लेकिन जीएसटी के इतर केंद्र और राज्य इस पर कुछ कर लगाते हैं। इलेक्ट्रिसिटी को जीएसटी के फ्रेमवर्क में लाने से इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा में इजाफा होगा क्योंकि बिजली पर लगाने वाले कर में मैन्युफैक्चरर की कॉस्ट भी शामिल होती है जिसे इनपुट टैक्स क्रेडिट के माध्यम से क्लेम किया जा सकता है।

नोट – इस खबर पर अपना कमेंट अवश्य लिखें। क्या जनता पर टैक्स का इतना ज्यादा भर डालना उचित है। जितनी टैक्स की दरें भारत में हैं, उतनी दुनिया के किसी देश में नहीं है। जीएसटी में एक देश एक रेट का नारा भी झूठा है। 

आधार को PAN से जोड़ने की कोई समय सीमा नहीं: जेटली

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोक सभा में बताया है कि सरकार ने आधार को पैन जोड़ने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है।

जेटली से जब सवाल किया गया कि क्या सरकार ने 12 अंक वाले आधार कार्ड को पर्मानेंट एकाउंट नंबर से जोड़ने की कोई आखिरी तारीख तय की है या नहीं तो इस पर उन्होंने जवाब दिया है कि सरकार की ओर से फिलहाल कोई आखिरी तारीख तय नहीं की गई है। 28 जून, 2017 तक देशभर में कुल 25 करोड़ पैन कार्डधारक है, जबकि 111 करोड़ लोगों को आधार कार्ड जारी कर दिया गया है।

देशभर में 11.44 लाख PAN कार्ड बंद 
देशभर में करीब 11.44 लाख से अधिक पैन कार्ड या तो बंद कर दिये गये हैं या फिर निष्क्रिय कर दिये गये हैं। ऐसा अधिकांश उन मामलों में किया गया है जहां पर किसी के पास एक से अधिक पैन कार्ड था। यह जानकारी वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने दी है।

मंडी व्यापारियों को इलेक्ट्रॉनिक कांटे लगाने जरूरी

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कोटा| भामाशाह मंडी में अब हर व्यापारी को इलेक्ट्रॉनिक कांटे लगाने होंगे। अब पुराने परंपरागत कांटे नहीं चलेंगे। इसके लिए मंडी समिति ने मंडी के सभी व्यापारियों को नोटिस दे दिए हैं। इसमें कहा गया है कि वे 25 अगस्त तक अपनी दुकानों के कांटे बदल लें।

इसके बाद समिति कार्रवाई करेगी। यह निर्णय सरकार ने किसान आंदोलन के बाद किया और पूरी मंडियों में इसके आदेश जारी कर दिए। भामाशाह कृषि उपज मंडी समिति के सचिव आरपी कुमावत ने बताया कि जब से मंडी बनी है, तब से व्यापारी पल्ले वाले कांटे में जिंस की तुलाई करते थे।

पुराने कांटे पर किसानों को 100 किलो पर 100 से 200 ग्राम तक नुकसान होता है। किसानों ने हाल में आंदोलन कर यह मांग उठाई थी। इसे देखते हुए सीएम ने आदेश जारी किए हैं कि मंडी में व्यापारी इलेक्ट्रॉनिक्स कांटे लगाएं।

 

 

 

राजस्व संग्रह पर निर्भर करेगा जीएसटी स्लैब में बदलाव: मेघवाल

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कोलकाता। वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज कहा कि नयी माल एवं सेवा कर जीएसटी प्रणाली के तहत कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाए जाने का फैसला तो आने वाले दिनों में राजस्व संग्रह
में बढोतरी पर निर्भर करेगा।

इस समय जीएसटी प्रणाली में पांच कर स्लैब हैं जिनमें छूट वाली शून्य प्रतिशत के साथ साथ 5, 12, 18 व 28 प्रतिशत के कर स्लैब है। मेघवाल ने कहा कि जीएसटी से पहले जहां केवल 80 लाख डीलर ही पंजीबद्ध थे वहीं इसके कार्यान्वयन के बाद 13.2 लाख और जुड़े हैं।

उन्होंने कहा कि इनमें से 56,000 तो केवल पश्चिम बंगाल से ही हैं जो सर्वाधिक हैं। जीएसटी नेटवर्क जीएसटीएन के संबंध में उन्होंने कहा कि इसमें और सुधार होगा। उन्होंने कहा, पंजीबद्ध डीलरों को कुछ परेशानियां हो सकती हैं लेकिन यह प्रणाली अपने आप में संपूर्ण है।

यहां एक संगोष्ठी में मेघवाल ने कहा कि डीलरों को इनपुट क्रेडिट तथा रिवर्स चार्ज प्रणाली के संबंध में रिकार्ड को कंप्यूटरीकृत रूप में रखना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की अघोषित आर्थकि गतिविधियों को समाप्त करने के लिए यह जरूरी है।

पूर्वोत्तर , हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में कर प्रोत्साहनों के बारे में मेघवाल ने कहा कि इसका फैसला तो जीएसटी परिषद करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी राज्यों के साथ विचार विमर्श के बाद ही जीएसटी को लागू किया है। यह बहुमत के आधार पर नहीं किया गया।

 

 

एक इंडस्ट्री जो बन गई मिसाल, देखिए वीडियो

कोटा।  राजस्थान का कानपुर कहे जाने वाले कोटा शहर में धीरे -धीरे उद्योग ख़त्म होते जा रहे हैं। गोपाल मिल ,जेके इंडस्ट्रीज, सेमकोर, आईएल समेत कई बड़े उद्योग बंद हो गए। इससे कई श्रमिक बेरोजगार हो गए।

परन्तु डीसीएम श्रीराम ग्रुप की एक यूनिट श्रीराम रेयॉन्स करीब तीन दशक पूर्व बंद हो गई थी। फिर ऐसा क्या हुआ जो एक -डेढ़ साल बंद रहने के बाद यह उद्योग उठ खड़ा हुआ। ऐसा कौन सा चमत्कार या करिश्मा हुआ, जो दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वही मशीने, वही श्रमिक, सब कुछ वही। क्या आप नहीं जानना चाहेंगे इसकी कहानी।

जो कुछ भी हुआ उसका राज जानने के लिए आपको यह वीडियो देखना पड़ेगा। हमारा चैनल LEN DEN NEWS आपके लिए लिए लेकर आया है एक दास्ताँ। बता रहे हैं कम्पनी के सीनियर वाईस प्रेसिडेंट वीके जेटली –

कच्चे व रिफाइंड पाम तेल के आयात शुल्क में बढ़ोतरी

नयी दिल्ली।  सरकार ने विदेशों से सस्ता आयात रोकने और किसानों तथा घरेलू उद्योगों को समर्थन देने के लिये कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया। इसी तरह रिफाइंड पाम तेल पर भी आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया।

सरकार का मानना है कि इससे स्थानीय स्तर पर कीमतों को बल मिलेगा जिससे घरेलू किसानों व रिफाइनर फर्मों को समर्थन मिलेगा। केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड सीबीईसी की शुक्रवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक सोया व सूरजमुखी जैसे अन्य कच्चे खाद्य तेलों के लिए भी आयात शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 17.5 प्रतिशत किया जा चुका है।

आयात शुल्क में इस बढोतरी से मलेशिया तथा इंडोनेशिया से कच्चे तेल व रिफाइंड पाम आयल के सस्ते आयात पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और किसानों का इसका फायदा होगा। तिलहनों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे गिरने की वजह से किसान काफी निराश हैं।

तिलहनों की बंपर पैदावार होने और विदेशों से बढ़ते सस्ते आयात की वजह से कई तिलहनों के दाम बाजार में गिरे हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी समिति ने 27 जुलाई को देश में खाद्य तेल उपलब्धता की समीक्षा की थी।

समिति ने देश में बढ़ते आयात पर भी गौर किया। इसके बाद देश में खाद्य तेलों के सस्ते आयात की निगरानी करने और आयात शुल्क ढ़ाचे को देखने के लिये एक समिति का गठन किया गया। खाद्य तेल उद्योग के संगठन साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसियेसन एसईए ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। संगठन ने कहा है कि इससे किसानों का मदद मिलेगी।

हालांकि, संगठन कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पॉम तेल के बीच आयात शुल्क में 15 प्रतिशत तक का अंतर चाहता है ताकि घरेलू उद्योगों को सहारा मिल सके। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक जून माह में खाद्य तेल आयात 15 प्रतिशत बढ़कर 13.44 लाख टन हो गया।

चालू 2016-17 विपणन वर्ष के आठ माह में खाद्य तेलों का आयात पिछले साल के 97.63 लाख टन से बढ़कर 98.63 लाख टन हो गया। देश में घरेलू मांग को पूरा करने के लिये हर साल खाद्य-अखाद्य तेलों का कुल 1.45 करोड़ टन तक आयात किया जाता है।

 

 

 

ऑडिट रिटर्न :अंतिम तारीख का इंतजार क्यों, देखिए वीडियो

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कोटा। ऑडिट वाली कंपनियों या फर्मों को अपनी आयकर रिटर्न 30 सितम्बर के पहले भरनी है। अगर आप परेशानी से बचना चाहते हैं तो आप अंतिम तारीख का इंतजार नहीं करें, क्योंकि जब सब एक साथ रिटर्न भरते हैं तो आयकर विभाग का सर्वर डाउन हो जाता है। समय पर रिटर्न नहीं भरने पर भारी पेनल्टी लग सकती है।

जिन कंपनियों या फर्मों का दो करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा टर्नओवर है, उन्हें ऑडिट रिटर्न फाइल करना जरूरी है आपको इसकी जानकारी देने के लिए हमारे चैनल LEN DEN NEWS ने टैक्स बार एसोसिएशन कोटा के अध्यक्ष राज ठाकुर से बातचीत की। देखिये यह वीडियो —