मुंबई। बैंकों और दूसरी संस्थाओं से 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर विलफुल डिफॉल्टर बने वरुण इंडस्ट्रीज के को-प्रमोटर कैलाश अग्रवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। देश के सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टर्स में से एक कैलाश को पिछले सप्ताह एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया।
अग्रवाल देश के टॉप 10 विलफुल डिफॉल्टर्स में से एक हैं। वह अपने बिजनस पार्टनर किरण मेहता के साथ देश से बाहर चले गए थे। 5 अगस्त को जब कैलाश अग्रवाल दुबई से लौटे तो सीबीआई ने उन्हें दबोच लिया। स्थानीय कोर्ट ने उन्हें रिमांड पर भेज दिया है।
अग्रवाल और मेहता ने कथित तौर पर चेन्नई स्थित इंडियन बैंक को 330 करोड़ का चूना लगया। इसके अलावा कई अन्य बैंकों से 1,593 करोड़ रुपये लिए। सीबीआई प्रवक्ता आरके गौड़ ने बताया, ‘वह भागे हुए थे और जांच से बच रहे थे।’
अधिकारियों ने बताया कि अग्रवाल और मेहता ने 2007 से 2012 के बीच इंडियन बैंक और दूसरे पब्लिक सेक्टर बैंकों से लोन लिए। सीबीआई के मुताबिक, 2013 में ये डिफॉल्टर होने लगे और शेयर्स के बदले मार्केट से काफी पैसा उठा लिया।
पिछले साल इंडियन बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने वरुण इंडस्ट्रीज, अग्रवाल और मेहता के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का केस रजिस्टर किया।
मार्च 2013 में ऑल इंडिया बैंक एंप्लायीज असोसिएशन द्वारा तैयार विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची के मुताबिक वरुण इंडस्ट्रीज और इसकी सहयोगी कंपनी वरुण जूल्स पर 10 सरकारी बैंकों का 1,242 करोड़ रुपये बकाया था।
इसके अलावा कंपनी ने प्राइवेट बैंक्स और फाइनैंस कंपनियों से भी लोन ले रखा था। इस सूची में सूरत बेस्ड डायमंड कारोबारी सबसे ऊपर हैं, जिनपर 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
इसके बाद विजय माल्या का नाम है, जिनपर 5,600 करोड़ रुपये का कर्ज है और विलफुल डिफॉल्टर होने के बाद भागकर लंदन चले गए।