Monday, July 8, 2024
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रिकॉर्ड उत्पादन से सस्ती हुई मिर्च

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कोच्चि। मजबूत एक्सपोर्ट के बावजूद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के प्रमुख लाल मिर्च उत्पादक इलाकों में 30 फीसदी
ज्यादा फसल के चलते इसकी कीमतों में और गिरावट आई है। इसे देखते हुए ट्रेडर्स और ज्यादा कोल्ड स्टोरेज की तलाश में जुट गए हैं।
लाल मिर्च के एवरेज प्राइस एक महीने पहले के 80 रुपये प्रति किलो से गिरकर 65 रुपये प्रति किलो पर आ गए हैं। प्रीमियम वैरायटी तेजा की बिक्री करीब 90 रुपये प्रति किलो पर हो रही है, इसका दाम एक साल पहले के मुकाबले 50 फीसदी से ज्यादा गिरा है।
लाल मिर्च का करीब 3 लाख टन ज्यादा प्रॉडक्शन होने का अनुमान है। इसके लिए अधिक कोल्ड स्टोरेज स्पेस की जरूरत होगी। एक प्रमुख उत्पादक, विजयकृष्ण के एमडी रविपति पेरिया ने कहा, ‘कोल्ड स्टोरेज भरे हुए हैं। हमें सरप्लस मिर्च को रखने के लिए 100 और कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होगी। हर कोल्ड स्टोरेज की औसत कैपेसिटी 3,000 टन की है।’
देश में हर साल करीब 14 लाख टन मिर्च पैदा होती है। 2016 की शुरुआत में कीमतों के 150 रुपये प्रति किलो के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने के बाद तीन राज्यों में रकबा बड़े पैमाने पर बढ़ा है। लेकिन, मौजूदा कीमतें उत्पादन लागत से भी नीचे पहुंच गई हैं। मिर्च की उत्पादन लागत करीब 70 रुपये प्रति किलो है।
दूसरी ओर, मौजूदा कीमतें एक्सपोर्ट के लिहाज से बढ़िया हैं। मिर्च की एक बड़ी फर्म, पैपरिका ओलियोस (इंडिया) के डायरेक्टर ए पी मुरुगन ने कहा, ‘हमारी चाइना के ऊपर बढ़त है। चाइना दूसरा बड़ा सप्लायर है। हम चीन से कम कीमत पर मिर्च ऑफर कर रहे हैं।’ हालांकि, चाइना मिर्च का प्रमुख उत्पादक है, लेकिन इसका उत्पादन अपनी डोमेस्टिक जरूरत को पूरा करने लायक भी शायद ही हो। इससे देश को इंपोर्ट के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मुरुगन ने कहा, ‘चाइना और वियतनाम भारी मात्रा में इंडिया से खरीदारी कर रहे हैं। यह खरीदारी मार्च के दौरान सबसे ज्यादा रही है।’
एक्सपोर्ट वॉल्यूम में तेजी की शुरुआत फरवरी के अंत से हुई। उस वक्त से मिर्च की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हुई थी। उस वक्त तक एक्सपोर्ट वैल्यू मात्रा से ज्यादा थी। स्पाइसेज बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2016 में खत्म हुए नौ महीनों के दौरान मिर्च का निर्यात 2,60,250 टन पर पहुंच गया, जिसकी वैल्यू 3,460.75 करोड़ रुपये थी। इसमें सालाना आधार पर क्वॉन्टिटी में 3 फीसदी और वैल्यू में 25 फीसदी का इजाफा हुआ था। एक्सपोर्टर्स के मुताबिक, 2015-16 में इंडिया ने 3,931.70 करोड़ रुपये की 3,47,500 टन मिर्च का निर्यात किया। क्वॉन्टिटी के आधार पर इसके कम रहने के आसार हैं, लेकिन वैल्यू के आधार पर अर्निंग्स के 4,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड पर पहुंचने की पूरी उम्मीद है।

बैंक व डाकघर से नकदी निकासी पर प्रतिबंध नहीं

नई दिल्ली। आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि दो लाख रुपये से ज्यादा नकदी पर रोक का नियम बैंक और पोस्ट ऑफिस से निकासी पर लागू नहीं होगा।सरकार ने वित्त विधेयक 2017 के जरिये दो लाख रुपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर रोक लगा दी है और इस नियम के उल्लंघन पर बराबर राशि का जुर्माना नकदी प्राप्तकर्ता पर लगाने की व्यवस्था की है।केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर कानून के नये सेक्शन 269एसटी पर स्पष्ट किया है कि बैंक, सहकारी बैंक और डाकघर से पैसा निकालने पर यह प्रतिबंध न लगाने का फैसला किया गया है।जल्दी ही विभाग इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2017-18 के बजट पेश करते समय तीन लाख रुपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर रोक लगाने का प्रस्ताव किया था।लेकिन लोकसभा से पिछले महीने पारित वित्त विधेयक में यह सीमा घटाकर दो लाख रुपये कर दी गई। सरकार ने काले धन पर रोक लगाने और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए यह नियम लागू किया है। अगर कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है तो जुर्माना लगेगा।

अच्छी याददाश्त चाहिए तो कम खाइए मीठा

नई दिल्ली। चमकदार त्वचा, अच्छी याददाश्त और गहरी नींद चाहिए तो मीठा कम खाइए। मोती जैसे सफेद दांत पसंद करते हैं तो भी मीठे में कटौती करनी पड़ेगी। विशेषज्ञों की मानें तो अच्छी सेहत के लिए मीठे से परहेज करना जरूरी है।
1. अच्छी त्वचा के लिए परहेज करें
अमेरिकी जर्नल क्नीनिकल न्यूट्रीशन के मुताबिक, सुबह उठकर आईना देखने की बहुत से लोगों की आदत होती है। लेकिन जब उन्हें आईने में अपने चेहरे पर छोटे-छोटे गड्ढे दिखते हैं तो वे परेशान हो जाते हैं। दरअसल ये निशान शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र के बैक्टीरिया से लड़ने की वजह से पड़ते हैं। ज्यादा मीठा खाने की वजह से ही ये समस्याएं होती हैं। स्विट्जरलैंड में हुए अध्ययन में देखा गया कि ज्यादा मीठा पेय दिन में एक बार तीन हफ्ते तक पीने से शरीर में सूजन का स्तर दोगु बढ़ गया।
2. गहरी नींद के लिए मीठे पर नियंत्रण रखें
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए अध्ययन के मुताबिक, खाने में शक्कर लेने से रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है और रक्त में शर्करा का स्तर घटता है तो ज्यादा शक्कर लेने की जरूरत पड़ती है। कभी ज्यादा और कभी कम शक्कर खाने के बाद शरीर का चक्र बिगड़ जाता है। इससे नींद में बाधा पहुंचती है। शर्करा की रोजाना नियंत्रित मात्रा लेने से ऐसी समस्या नहीं होती है और नींद भी गहरी आती है।
3. याद्दाश्त क्षमता बढ़ेगी
ज्यादा मीठा खाने से सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। यूसीएलए में पशुओं पर हुए एक अध्ययन के अनुसार, ज्यादा शक्कर इंसुलिन के प्रतिरोध को रोकता है। इससे मस्तिष्क के उस हिस्से को काफी क्षति पहुंचती है जो एक से दूसरी कोशिका के बीच संवाद स्थापित करता है और संदेशों को एकत्र करता है।
4. डायबिटीज से बचे रहेंगे
एक अमेरिकी अध्ययन में 175 देशों के लोगों का विश्लेषण किया गया। इसमें पता चला कि जो लोग खाने में अतिरिक्त शर्करा ले रहे थे, उन्हें अपने जीवनकाल में 11 गुना अधिक टाइप 2डायबिटीज का खतरा था। लेकिन अतिरिक्त वसा और कैलोरी से किसी अन्य बीमारी की संभावना नहीं पाई गई। इसलिए, डायबिटीज से बचने के लिए कम मीठा खाना जरूरी है।
5. स्वस्थ रहेगा दिल
लंदन के विशेषज्ञों की सलाह है कि दैनिक कैलोरी का सिर्फ पांच फीसदी ही मीठा खाइए। ओपन हार्ट जर्नल के एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग दैनिक कैलोरी का 10 से 25 फीसदी मीठा खाते हैं, उनके हृदय रोग से मरने का जोखिम 30 फीसदी तक अधिक होता है। शोधकर्ताओं ने चीनी की फ्रक्टोज़ शुगर और अंगों के चारों ओर एकत्र होने वाली वसा के बीच संबंध पाया है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।

उम्र को नहीं बढ़ने देगी ये गोली, छह महीनों में इंसानों पर शुरू होगा परीक्षण

लंदन। वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी दवा की खोज की है, जो वास्तव में बुढ़ापे के असर को उलट देगी। यह दवा नासा के अंतरिक्ष यात्रियों की सौर विकिरण से रक्षा करेगी और इसके साथ ही क्षतिग्रस्त डीएनए की चमत्कारिक तरीके से मरम्मत भी करेगी।शोधकर्ताओं की एक टीम ने डीएनए की मरम्मत और कोशिकाओं की उम्र बढ़ने से रोकने में महत्वपूर्ण संकेत प्रक्रिया की खोज के बाद दवा विकसित की है। इंसानों पर इस दवा का परीक्षण छह महीने में शुरू होगा।चूहों पर परीक्षण के दौरान टीम ने पाया कि दवा सीधे रेडिएशन एक्सपोजर या बुढ़ापे के कारण होने वाली डीएनए क्षति की मरम्मत हुई। प्रमुख लेखक प्रोफेसर डेविड सिंक्लेयर ने कहा कि बूढ़े चूहों की कोशिकाएं सिर्फ एक सप्ताह के उपचार के बाद युवा चूहों की कोशिकाओं जैसी थी। उन्होंने कहा कि यह हम एक सुरक्षित और प्रभावी एंटी-एजिंग ड्रग बनाने के काफी करीब है, जो शायद तीन से पांच साल में बाजार में उपलब्ध होगी। प्रोफेसर सिंक्लेयर के इस काम ने नासा का ध्यान खींचा है, जो मंगल ग्रह पर चार साल के मिशन के दौरान अपने अंतरिक्ष यात्री स्वस्थ रखने की चुनौती पर विचार कर रहा है।यहां तक कि छोटे मिशनों पर भी अंतरिक्ष यात्री कॉस्मिक रेडिएशन के कारण तेजी से उम्र बढ़ने का अनुभव करते हैं। मिशन से लौटने के बाद वे मांसपेशियों में कमजोरी, याददाश्त में कमी और अन्य लक्षणों से पीड़ित होने का अनुभव करते हैं। मंगल की यात्रा पर स्थिति बहुत ही खराब होगी। अंतरिक्ष यात्रियों की पांच प्रतिशत कोशिकाएं मर जाएंगी और उन्हें कैंसर होने की आशंका 100 प्रतिशत तक होगी। –

भारत में 182 दिन से अधिक रहने वाले प्रवासियों के लिए भी आधार जरूरी

मुंबई ।सरकार ने बुधवार को कहा कि भारत में रहकर नौकरी या व्यापार करने वाले ऐसे विदेशियों के लिए भी आधार कार्ड जरूरी होगा, जो 182 दिनों से अधिक समय से यहां रह रहे हों और भारत में इनकम टैक्स भरते हैं। सेंट्रल बोर्ड और डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने स्टेटमेंट जारी कर यह बात की है।
सीबीडीटी ने साफ किया है कि जो प्रवासी 12 महीनों में 182 दिन या इससे अधिक दिनों से भारत में रह रहे हैं और यहां टैक्स चुका रहे हैं उन्हें आधार कार्ड के लिए आवेदन जरूरी है। अभी तक बहुत से प्रवासी यह उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें आधार से छूट मिल सकती है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि आधार या नामांकन आईडी का ब्योरा उन लोगों को देना होगा जो आधार नंबर पाने के पात्र हैं। आयकर कानून की धारा 139 एए के तहत आधार नंबर देना उन लोगों के लिए अनिवार्य नहीं होगा जो आधार कानून, 2016 के मुताबिक निवासी नहीं हैं।’
कानून के तहत निवासी से तात्पर्य उन लोगों से है जो नामांकन के लिए आवेदन करने की तारीख से पहले कम से कम 12 महीने या कुल 182 दिन तक भारत में रहे हैं। आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी की लक्षित आपूर्ति, लाभ और सेवा) कानून, 2016 के तहत सिर्फ निवासी को ही आधार नंबर प्राप्त करने का अधिकार है।

कुछ निवेशकों  के लिए जोखिम का मतलब रोमांच

नयी दिल्ली । निवेशकों को जब यह लाइन सुनाई देती है कि यह निवेश बाजार जोखिमांे से जुड़ा है, तो उनके लिए इसका मतलब खतरे या नुकसान से होता है। हालांकि, कुछ निवेशक मानते हैं कि जोखिम का मतलब उनके लिए रोमांच और अवसरों  से है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड :सेबी: द्वारा कराए गए ताजा सर्वेक्षण में  यह निष्कर्ष निकाला गया है। इसमें  यह भी कहा गया है कि निवेशक बाजार जोखिमों   मसलन उतार चढ़ाव और वित्तीय नुकसान को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं। वे परिचालन जोखिमों मसलन कामकाज के संचालन के मुद्दों  और भेदिया कारोबार आदि को अधिक महत्व नहीं देते।
जोखिम, रिटर्न और तरलता को लेकर अवधारणा से यह पता चलता है कि व्यक्तिगत खुदरा निवेशक वित्तीय निर्णय प्रक्रिया को लेकर आश्चर्यजनक रूप से अधिक तार्किक होते हैं, हालांकि बाजार से जुड़े अन्य पहलुओं को लेकर वह पूरी तरह से तर्कहीन होते हैं।
जोखिम शब्द का मतलब ही विभिन्न  निवेशकों  के लिए भिन्न होता है।
सर्वे में   कहा गया है कि जब जोखिम शब्द का उल्लेख है तो 33 प्रतिशत  निवेशकों   के जहन में  खतरा शब्द सबसे पहले आता है। 23 प्रतिशत इसे नुकसान से जोड़ते हैं। वहीं 20 प्रतिशत अन्य इसे अनिश्चितता मानते है। वहीं 16 प्रतिशत निवेशक इस शब्द को रोमांच से जोड़ते हैं। आठ प्रतिशत निवेशक मानते हैं कि जोखिम से आशय अवसरो  से है।

टैक्सपेयर से प्रॉपर्टी का वैध किराएदार होने का सबूत मांग सकता है आयकर विभाग

कोटा। टैक्स का बोझ घटाने के लिए कई लोग प्रॉपर्टी रेंट की फर्जी रसीदें लगा दिया करते हैं। टैक्स रूल को धता बताने की ऐसी हरकत को ज्यादातर एंप्लॉयर्स नजरंदाज करते रहे हैं। टैक्स ऑफिस को भी संभवत: लगता रहा है कि यह छोटी गलती है। हालांकि अब हालात बदल सकते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अब एक ठोस जमीन लग गई है, जिसके आधार पर वह टैक्सपेयर से इस बात का सबूत मांग सकता है कि वह संबंधित प्रॉपर्टी का वैध किराएदार है। एंप्लॉयर से ‘हाउस रेंट अलाउंस’ पाने वाला सैलरीड एंप्लॉयी इस रकम के कम से कम 60% हिस्से पर टैक्स देने से बच सकता है, बशर्ते वह रेंट रसीद दे।
ट्राइब्यूनल की एक हालिया रूलिंग के अनुसार, असेसिंग ऑफिसर अब सैलरीड एंप्लॉयी की ओर से दिखाई गई टैक्सेबल इनकम का आंकड़ा मंजूर करते वक्त सबूत की मांग कर सकता है। वह लीज ऐंड लाइसेंस अग्रीमेंट, किराएदारी के बारे में हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी को जानकारी देने वाले लेटर, इलेक्ट्रिसिटी बिल, वॉटर बिल जैसे सबूत मांग सकता है। आईटीएटी मुंबई ने ऐसे सैलरीड एंप्लॉयी का एचआरए इग्जेम्पशन क्लेम खारिज किया था, जिसने दावा किया था कि वह अपनी मां को रेंट पेमेंट कर रहा है।
डेलॉयट हास्किंस एंड सेल्स एलएलपी के सीनियर टैक्स अडवाइजर दिलीप लखानी ने कहा, ‘इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल की रूलिंग ने सैलरीड एंप्लॉयी के क्लेम पर विचार करने और जरूरी होने पर उस पर सवाल करने के लिए असेसिंग ऑफिसर के सामने एक मानक रख दिया है। इससे सैलरीड क्लास पर यह जिम्मेदारी आएगी कि वह टैक्स छूट पाने के लिए नियमों का पालन करे।’
माना जाता है कि फर्जी रेंट रसीदें देने वाले सैलरीड एंप्लॉयीज के पास इनमें से कोई भी जरूरी दस्तावेज नहीं होता है। हो सकता है कि वह व्यक्ति असल में रेंट चुका ही न रहा हो और अपने परिवार के घर में ही रह रहा हो और अपने पिता की दस्तखत वाली रसीदें दिखा रहा हो। कुछ मामलों में असल में किराएदार होने पर भी किराए की रकम बढ़ाकर दिखाई जाती है और इसमें तब तक दिक्कत नहीं आती है, जब तक कि किराया पाने वाला शख्स टैक्स चुकाने की लिमिट से बाहर हो।
ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जिनमें कोई व्यक्ति भले ही अलग रह रहा हो, लेकिन वह दावा करता है कि उसी शहर में रहने वाले एक रिश्तेदार को किराया चुका रहा है, जिनकी वहीं कोई प्रॉपर्टी हो। कुछ मामलों में परिवार का एक सदस्य लोन पेमेंट डिडक्शन का क्लेम करता है तो दूसरा टैक्स से बचने के लिए फर्जी रेंट रसीद चिपका देता है। एचआरए को लेकर इस तरह की जैसी हरकतें होती हैं, उन्हें देखते हुए टैक्स अधिकारियों को बहुत ज्यादा क्लेम्स पर सवाल करने होंगे। एक टैक्स ऑफिसर ने कहा, ‘टेक्नॉलजी और सख्त रिपोर्टिंग सिस्टम से नजर बनाए रखने में आसानी होगी।’

‘बेगम जान’ SONG ‘ओ रे काहरो’: ‘नींद आधी सपना आधा, पूरा तो होने दो जरा’

नई दिल्ली। बॉलीवुड में संजीदा एक्टिंग के लिये मशहूर विद्या बालन की आने फिल्म ‘बेगम जान’ का गाना ‘ओ रे काहरो’ रिलीज किया गया है। गाने को कल्पना पटवारी और अलतमश फरीदी ने गाया है, अनु मलिक ने कंपोज किया है और इसके लिरिक्स कौसर मलिक ने लिखे हैं।
विद्या फिल्म के प्रमोशन में बिजी हैं, इस दौरान विद्या नए लुक में फिल्म के अपने किरदार के रंग में रंगी नजर आ रही हैं। विद्या का कहना है कि ‘बेगम जान’ में काम करने का उनका अनुभव बेहद शानदार रहा और वह इसकी रिलीज को लेकर बेहद उत्साहित हैं। इसे लेकर लोगों की प्रतिक्रियाओं का मजा उठा रही हूं।’
गौरतलब है कि श्रीजीत मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म बेगम जान, बंगाली फिल्म ‘राज कहिनी’ का हिंदी रीमेक है। इसमें विद्या भारत के विभाजन के समय के एक कोठे की मालकिन के किरदार में नजर आएंगी। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और गौहर खान भी मेन रोल में हैं। यह फिल्म 14 अप्रैल को रिलीज होगी।
 ओ रे कहारो     …………………..

एटीएम में नहीं मिल रहा कैश, परेशान ग्राहक

दिनेश माहेश्वरी
कोटा  । अगर आपको पिछले कुछ दिनों से एटीएम में कैश नहीं मिल रहा है तो यह दिक्कत सिर्फ आपके इलाके में ही नहीं है। देशभर में लोगों को इसका सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कैश की सप्लाई कम हो गई है। इससे लोगों के मन में नोटबंदी वाले दौर की याद ताजा हो गई है। वैसे तो 60 पर्सेंट एटीएम काम कर रहे हैं, लेकिन उनमें पूरा कैश नहीं डाला जा रहा है। इसलिए एटीएम में कैश जल्द खत्म हो जाता है और फिर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इंडस्ट्री एग्जिक्युटिव्स का कहना है कि नए साल से कैश की सप्लाई सुधरी थी, लेकिन उसके बाद स्थिति और बेहतर नहीं हुई है। देश की बड़ी एटीएम मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में से एक के सीईओ ने बताया, ‘हम एटीएम में 70 पर्सेंट कपैसिटी से कम कैश डाल रहे हैं। 100 रुपये के नोटों की सप्लाई को लेकर चिंता है। हमें 100 रुपये के बहुत नोट नहीं मिल रहे हैं, जिसे एटीएम में डाला जा सके।’
एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष खत्म होने और लोगों के सैलरी निकालने की वजह से अभी कैश की मांग बढ़ गई है। कैश लॉजिस्टिक्स कंपनी में कैश ट्रांसपोर्ट और एटीएम मैनेजमेंट का जिम्मा संभालने वाले एक और टॉप एग्जिक्यूटिव ने बताया, ‘हर साल इस वक्त कैश की सप्लाई बढ़ती है ताकि लोगों की मांग पूरी की जा सके। इस साल पहले की तरह ही मांग है, लेकिन कैश सप्लाई में सुधार नहीं हुआ है। इससे देश के कई इलाकों में कैश की कमी हो गई है।’
उन्होंने बताया, ‘आमतौर पर हम देखते आए हैं कि मार्च महीने में 35 पर्सेंट कैश आखिरी हफ्ते में आता है। इस साल वैसा नहीं हुआ।’ इंडस्ट्री एग्जिक्युटिव्स ने यह भी बताया कि एक एटीएम में 30 लाख रुपये डाले जा सकते हैं, लेकिन उनकी पूरी कपैसिटी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। मशीनों में 10 लाख रुपये से कम रकम डाली जा रही है इसलिए सामान्य की तुलना में उनका कैश जल्द खत्म हो जा रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डेटा से पता चलता है कि मार्च महीने में सर्कुलेशन में 11.3 लाख करोड़ की करेंसी थी, जबकि पिछले साल इस समय 15.9 लाख करोड़ रुपये सिस्टम में थे।