Wednesday, June 26, 2024
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कोटा व्यापार महासंघ का पौधरोपण अभियान शुरू

कोटा। शहर को ग्रीन एवं क्लीन सिटी बनाने को लेकर कोटा व्यापार महासंघ की ओर से आयोजित सघन पौधरोपण अभियान का शुभारम्भ सोमवार को कोटड़ी रोड गुमानपुरा पर नगर निगम की उपमहापौर सुनीता व्यास ने किया।

माणक भवन दुकानदार संघ के सहयोग से शुरू किये गए महासंघ के इस अभियान को सफल बनाने के लिए 150 व्यापारिक संस्थाएं तैयार हैं। इस मौके पर उपमहापौर ने महासंघ के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि इससे शहर में खाली पड़ी जमीन को कचरे से मुक्ति मिलेगी।

साथ ही शहर में हरियाली बढ़ेगी। एलन कॅरियर द्वारा हर वर्ष एक लाख पौधे लगाने के मिशन की भी उपमहापौर ने तारीफ की। नगर निगम शहर को स्वच्छ एवं हरियाली युक्त बनाने के प्रयास किये जायेंगे।

एलन के निदेशक राजेश माहेश्वरी ने कहा कि हर वर्ष एक लाख पौधे लगाने के लिए वह कटिबद्ध हैं। साथ ही इनके रख-रखाव के लिए स्थानीय व्यापार संघ एवं मोहल्ले की विकास समितियों का सहयोग लेने के लिए तैयार हैं। हमारा मिशन शहर को सुन्दर और ग्रीन बनाना है।

कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने कहा कि जिस -जिस क्षेत्र में पौधरोपण अभियान चलाया जायेगा। उसका रखरखाव एवं सींचने का कार्य क्षेत्रीय व्यापार संगठन करने को तैयार हैं।

माणक भवन दुकानदार संघ के अध्यक्ष हरविंदर सिंह एवं सचिव राजीव पाटनी ने महासंघ के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि101 वृक्षों की देखभाल कर इनको वट वृक्ष बनाने का पूरा प्रयास करेंगे ।

अध्यक्ष क्रांति जैन ने कहा कि स्थानीय व्यापर संगठन के सहयोग से सघन पौधरोपण अभियान चलाया जायेगा। समारोह में 50 व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे।

चीनी पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 50 फीसद किया

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नई दिल्ली । सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया है। इससे पहले चीनी पर 40 फीसद का आयात शुल्क लगा करता था। सरकार ने यह फैसला विदेश से चीनी की सस्ती आवक को रोकने और घरेलू कीमतों को बनाए रखने के लिए किया है।

खाद्य मंत्रालय ने इस आधार पर आयात शुल्क में वृद्धि का प्रस्ताव किया था कि स्थानीय कीमतों में गिरावट से मिलर्स की गन्ना उत्पादकों को भुगतान की क्षमता प्रभावित होगी।

राजस्व विभाग की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सुगर (रॉ सुगर, रिफाइन्ड या व्हाइट सुगर, बल्क कंज्यूमर्स की ओर से आयात की गई रॉ सुगर) पर इंपोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) को 40 फीसद से बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया गया है।

साथ ही इसे तुरंत प्रभाव से बिना किसी देरी के लागू भी कर दिया गया है। 2016-17 के मार्केटिंग इयर (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान भारत (ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्माता देश) में सुगर के प्रोडक्शन के घटकर 21 मिलियन टन होने की उम्मीद है।

यह बीते वर्ष की समान अवधि के दौरान 25 मिलियन टन रहा था। घरेलू आपूर्ति को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने अप्रैल महीने के दौरान अनुमति दी थी कि जून के अंत तक 500,000 टन चीनी को बिना किसी शुल्क के साथ आयात किया जा सकता है। 

डीबीटी स्कीम से 57,000 करोड़ रुपये की बचत

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नयी दिल्ली। सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत 57,000 करोड़ रुपये की बचत की। डीबीटी के तहत सब्सिडी सीधे लाभार्थियों को दी जाती है।

पूर्व संप्रग सरकार ने एक जनवरी 2013 को कल्याणकारी योजनाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिये डीबीटी कार्यक्रम की शुरूआत की थी।इसके तहत केंद्र सरकार की विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जाता है।

सरकारी आंकड़े के अनुसार 2016-17 में 57,029 करोड़ रुपये की बचत हुई। इसमें एलपीजी सब्सिडी योजना पहल की हिस्सेदारी 29,769 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली :पीडीएस: के तहत करीब 14,000 करोड़ रुपये की बचत की गयी।

मंत्रिमंडल सचिव के ताजा आंकड़े के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 11,741 करोड़ रुपये तथा 399 करोड़ रुपये राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत बचत हुई। इस कार्यक्रम में अन्य बातों के अलावा वृद्धावस्था पेंशन और विधवा पेंशन शामिल नहीं हैं।

 

 

 

CA बनने के लिए अब दो की जगह देने होंगे चार पेपर, GST भी शामिल

नई दिल्ली।  12वीं पास करने वाले स्टूडेंट्स अगर चार्टर्ड अकाउंटेंट यानी सीए बनने की ख्वाहिश रखते हैं तो उनका प्रवेश पाना अब पहले के मुकाबले अधिक कठिन हो गया है। एंट्रेस एग्जाम के लिए होने वाली शुरुआती परीक्षा कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट यानी सीपीटी का नाम बदलकर फाउंडेशन कोर्स किया गया है।

एंट्रेंस के लिए पहले दो पेपर होते थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाकर चार कर दी गई है। 11 जुलाई 2017 से सीए के फाउंडेशन कोर्स से लेकर इंटरमीडिएट और फाइनल कोर्स के सिलेबस में भी बदलाव कर दिया जाएगा।

सीए में एंट्रेंस से जुड़े बदलावों को ऐसे समझें:

  •  100 अंकों के अब तक दो पेपर होते थे लेकिन अब ऐसे ही चार पेपर होंगे।
  • पेपर नंबर 1 और पेपर नंबर 2 में सब्जेक्टिव और पेपर नंबर 3 और 4 में आॅब्जेक्टिव प्रश्न होंगे।
  •  पेपर नंबर 3 और 4 में नेगेटिव मार्किंग भी होगी। ऐसा होने से सीए में ऐडमिशन मिलना और भी मुश्किल हो गया है।
  • पास होने के लिए हर पेपर में औसतन 50 प्रतिशत और हर एक सब्जेक्ट में 40 पर्सेंट मार्क्स लाना आवश्यक है।
  • 1 जुलाई से रजिस्ट्रेशन कराने वाले स्टूडेंट्स का बदले हुए नए कोर्स के हिसाब से ही पंजीकरण होगा। 2018 की मई में नए कोर्स के मुताबिक परीक्षा देनी होगी।

GST को अच्छे से समझें
सीए फाइनल एग्जाम में GST का पेपर बतौर आठवें विषय के रूप में शामिल किया गया है। इसके कुल 8 पेपर होंगे। इसमें इंटरनैशनल टैक्सेशन, इकनॉमिक लॉ, फाइनैंशल सर्विस ऐंड कैपिटल मार्किट आदि विषयों के रूप में 6वें सब्जेक्ट को चुना जा सकेगा।

 

 

50 हजार से ज्यादा के गिफ्ट पर लगेगा जीएसटी

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नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि 50 हजार रुपए से ज्यादा की कीमत के गिफ्ट्स पर जीएसटी देना होगा। मंत्रालय ने साफ किया कि एक साल में 50 हजार रुपए तक के गिफ्ट्स पर जीएसटी नहीं लगेगा। मंत्रालय ने एक ट्वीट कर बताया, ‘अब 50 हजार की कीमत से ज्यादा के गिफ्ट्स पर अब गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स देना होगा।

इसमें हर साल एंप्लॉयर द्वारा अपने कर्मचारी को दिए जाने वाले 50 हजार तक के गिफ्ट पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। ये जीएसटी की सीमा से बाहर होंगे।’ मंत्रालय का कहना है कि अगर किसी एंप्लॉयर ने अपने कर्मचारी को कोई ऐसा बिजनस गुड या एसेट दिया है जो निजी काम के लिए है और बिजनस से जुड़ा हुआ नहीं है और उसमे भुगतान किया गया है तो उसे सप्लाई माना जाएगा।

साफ है कि अगर कोई गुड को सप्लाई माना जाता है तो उस पर जीएसटी लगेगा। मंत्रालय ने कहा है कि 50 हजार रुपए तक कोई टैक्स नहीं लगेगा।’अगर एंप्लॉयी की बात करें तो 5 हजार रुपए से ज्यादा के गिफ्ट पर, जो एंप्लॉयर द्वारा दिया गया है उस पर टैक्स देना होगा। वित्त मंत्रालय ने भी ‘गिफ्ट’ की परिभाषा साफ करते हुए बताया, ‘जीएसटी में गिफ्ट की परिभाषा नहीं दी गई है। 

एनआईसीआर का एमएनएई के साथ करार, कमोडिटी बाजार पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम

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मुंबई। एनसीडीईएक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कमोडिटी मार्केट्स एंड रिसर्च (एनआईसीआर), एनसीडीईएक्स के शोध और शिक्षा शाखा ने एमएनएई के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए- राष्ट्रीय कृषि विकास प्रबंधन संस्थान ने संयुक्त रूप से भारतीय कमोडिटी बाजारों के लिए विभिन्न ज्ञान निर्माण पहलों का उपक्रम किया।

यह सहयोग एमएएनसीआर के पीजीडीएम (एबीएम) छात्रों को एनआईसीआर की कमोडिटी प्रमाणन पाठ्यक्रम की पेशकश करने के लिए सक्षम बनाता है, जिससे कमोडिटी बाजारों में क्षमता निर्माण के लिए रास्ता तैयार किया जा सकता है। किसानों, कौशल निर्माण और अनुसंधान करने के लिए मूल्य प्रसार सहयोग के अन्य क्षेत्र हैं

एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ समीर शाह ने कहा, “कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में गहराई से समझने के साथ, बाजारों के ज्ञान, एनआईसीआर पूरी तरह से जागरूकता और प्रशिक्षण के माध्यम से कुशल कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र के एक समुदाय को बनाने में मदद करने के लिए रखा गया है। हम MANAGE के साथ हमारे सहयोग से बेहद खुश हैं, जो प्रमाणित कृषि पेशेवरों की महत्वपूर्ण क्षमता के निर्माण में मदद करेंगे “।

एनएसीआर के साथ हमारी साझेदारी, कमोडिटी मार्केट के बारे में अपनी समझ और ज्ञान को आकार देने में हमारे छात्रों को महत्वपूर्ण मूल्य मिलेगी। मुझे यकीन है कि पाठ्यक्रम उन्हें बेहतर कैरियर के अवसरों से लैस करेगा और इस विषय पर अपने ज्ञान को कम करेगा। “

एस.आर.पब्लिक के सितारे एवं परिजनों को किया सम्मानित

कोटा। एस.आर.पब्लिक स्कूल के होनहार एवं प्रतिभावान छात्रों को सम्मानित किया गया। अनिकेत निरंजन मिश्रा कक्षा बारहवीं में स्कूल टॉपर 96.8% एवं कुशाग्र जैन को  NEET  में  35 वीं एवं AIIMS में 94वीं रैंक प्राप्त होने पर शाला परिवार द्वारा उनका एवं उनके परिजनों का सम्मान किया गया एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

इस अवसर पर विद्यालय निदेशक अंकित राठी एवं प्राचार्य सीमा शर्मा ने बच्चों को सम्मानित कर उनके आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएँ दी। एवं उन्हांने अपनी सफलता किस प्रकार अर्जित की बच्चों के साथ साझा किया और बताया कि किस तरह हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहें। उन्होंने बच्चों से कहा असफलता से निराश न हों बल्कि उसे सफलता तक पहुँचने की सीढ़ी समझे और सफलता हासिल करें।

जीएसटी : छोटे कारोबारियों पर पंजीकरण का दबाव

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नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत गैर-पंजीकृत कारोबारियों से सामान खरीदने पर कर चुकाने की जिम्मेदारी पंजीकृत इकाइयों की है। लेकिन बड़ी कंपनियों को यह व्यवस्था रास नहीं आ रही है और वे गैर-पंजीकृत कारोबारियों पर जीएसटी पंजीकरण के लिए दबाव डाल रही हैं। इससे सालाना कारोबार 20 लाख रुपये से कम होने के बावजूद पंजीकरण नहीं कराने के नियम का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।

जीएसटी के तहत 20 लाख रुपये तक सालाना कारोबार वाली इकाई के पंजीकरण की जरूरत नहीं है। मगर पंजीकरण की स्थिति में कारोबार के इस सीमा से कम रहने के बावजूद कर देना पड़ सकता है। जीएसटी के मौजूदा प्रावधान के तहत अगर पंजीकृत इकाइयां वस्तु एवं सेवाएं गैर-पंजीकृत कारोबारियों से खरीदती हैं तो उन्हें सरकार को कर भुगतान करना होगा। इसके बाद वे इस भुगतान पर क्रेडिट की मांग करेंगी। इसे रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म कहते हैं क्योंकि आम तौर पर सामान्य विक्रेता को सरकार को कर भुगतान करना होता है।

हालांकि रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म की यह व्यवस्था मझोली कंपनियों के लिए कारगर होगी। डेलॉयट के एम एस मणि कहा कि गैर-पंजीकृत इकाइयों से कारोबार करने पर मझोली कंपनियों को कर देने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। अगर वे गैर-पंजीकृत कारोबारियों को पंजीयन कराने के लिए कहती हैं तो इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए उन्हें इन कारोबारियों के कर भुगतान करने तक इंतजार करना होगा। कुछ कारोबारी तो कर भुगतान करने में चूक भी कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि गैर-पंजीकृत कारोबारियों को पंजीकरण के लिए कहने में बड़ी कंपनियों को आर्थिक लाभ है। पीडब्ल्यूसी में इनडायरेक्ट टैक्स लीडर प्रतीक जैन कहते हैं, ‘गैर-पंजीकृत कारोबारियों के मामले में सरकार ने नियमों के अनुपालन की जिम्मेदारी खरीदार पर डाली है, इसलिए लोग गैर-पंजीकृत कारोबारियों के साथ कारोबार करना नहीं चाहते हैं।’

जैन कहते हैं कि इसकी वजह यह है कि सबसे पहले तो नियमों के अनुपालन की जिम्मेदारी है, जो लागत के लिहाज से प्रभावी नहीं है। इसका मतलब हुआ कि अगर वेंडर पंजीकृत नहीं है तो वह क्रेडिट का लाभ आगे नहीं बढ़ा सकता है। वह कहते हैं,’वेंडर अपनी वस्तु या सामानों पर जितने इनपुट कर का भुगतान करता है वह भी लेनदेन के खर्च में शामिल हो जाता है। लिहाजा इससे गैर-पंजीकृत वेंडरों से खरीदारी को बढ़ावा नहीं मिलेगा।’

जीएसटी में रिवर्स कॉस्ट मैकेनिज्म के तहत आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं की एक सूची तैयार की गई है। मूल्य वर्धित कर और सेवा कर की पुरानी कर प्रणाली की सूची के मुकाबले यह अधिक व्यापक है। वैट में रिवर्स कॉस्ट कुछ राज्यों जैसें पंजाब और हरियाणा में क्रय कर के मामले में चलन में था। सेवा में भी कुछ चीजों पर यह लागू होता था। हालांकि अब गैर-पंजीकृत वेंडरों से वस्तु एवं सेवाएं खरीदने वाली किसी भी पंजीकृत इकाई को सरकार को कर देना होगा। 

मणि कहते हैं कि जहां तक ऑडिट का सवाल है तो जीएसटी मेंरिवर्स कॉस्ट मैकेनिज्म सेवाओं के अनुरूप ही है। सेवा कर में अधिकारी गैरी-पंजीकृत इकाइयों पर नियंत्रण रखने के लिए पंजीकृत इकाइयों से इनके बारे में सूचनाएं लेते थे। यह प्रणाली भी अब जीएसटी में होगी।पहले पुरानी कर प्रणाली में रिवर्स कॉस्ट मैकेनिज्म पूर्ण एवं आंशिक थी, लेकिन अब ऐसी बात नहीं है। पहले परिवहन एजेंसी जैसी सेवाओं में पूर्ण रिवर्स चार्ज और 40 प्रतिशत या 50 प्रतिशत आंशिक रिवर्स चार्ज हुआ करते थे। अब सरकार ने आंशिक रिवर्स चार्ज समाप्त कर दिया है और गैर-पंजीकृत वेंडरों से खरीदी गई सभी वस्तु एवं सेवाओं के लिए 100 प्रतिशत कर दिया है।

मणि कहते हैं,’पहले ज्यादातर सेवा 100 प्रतिशत के नीचे थीं और कुछ ही 50 प्रतिशत दायरे के नीचे थीं। अगर सरकार 50 प्रतिशत का प्रावधान जारी रखती है तो उन्हें दूसरे पक्ष से भी कर संग्रहित करना होगा। 100 प्रतिशत मामले में रिवर्स चार्ज वसूलना आसान है। यानी पूरा संग्रह एक व्यक्ति यानी प्राप्तकर्ता से होता है। सरकार ने प्रशासनिक सुविधाओं के लिए ऐसा किया है, जो हरेक के लिए आसान है।’

पूर्ण रिर्वस कॉस्ट में सरकार के लिए कर संग्रह कम होगा और जो व्यक्ति रिवर्स कॉस्ट का भुगतान कर रहा है, उनके लिए यह आसान होगा। रिवर्स कॉस्ट प्रणाली में वह पूरी रकम का भुगतान करेंगे और उन्हें पूरा क्रेडिट मिल जाएगा। जैन कहते हैं, ‘आप जब भी कोई वस्तु खरीदते हैं या किसी सेवा का लाभ लेते हैं उस स्थिति में जब तक इनका स्रोत गैर-पंजीकृत वेंडर हैं उन्हें पूरे मूल्य पर कर देना होगा। लिहाजा अब आंशिक शुल्क की आवश्यकता नहीं है। जीएसट में यह एक बुनियादी बदलाव आया है।’

शेयर बाजार की रिकॉर्ड क्लोजिंग, सेंसेक्स 31715 पर

नई दिल्ली। सोमवार को भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ कारोबार कर बंद हुआ है। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 355 अंक की तेजी के साथ 31715 के और निफ्टी 105 अंक की तेजी के साथ 9771 के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुए है। दिनभर के कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 31768 और निफ्टी ने 9772 का उच्चतम स्तर छुआ है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर मिडकैप में 0.75 फीसद और स्मॉलकैप में 0.80 फीसद की बढ़त के कारोबार कर बंद हुआ है।

आईटी शेयर्स में खरीदारी
सेक्टोरियल इंडेक्स की बात करें तो एफएमसीजी को छोड़ सभी सूचकांक हरे निशान में कारोबार कर बंद हुए है। सबसे ज्यादा खरीदारी आईटी और बैंकिंग शेयर्स में देखने को मिल रही है। ऑटो (0.50 फीसद), फाइनेंशियल सर्विस (0.71 फीसद), मेटल (1.27 फीसद) और फार्मा (1.86 फीसद) की बढ़त हुई है।

टीसीएस टॉप गेनर
दिग्गज शेयर्स की बात करें तो निफ्टी में शुमार शेयर्स में से 45 हरे निशान में और 6 गिरावट के साथ कारोबार कर बंद हुए हैं।सबसे ज्यादा तेजी टीसीएस, टाटा मोटर्स, बैंक ऑफ बड़ौदा, ल्यूपिन और टाटा पावर के शेयर्स में हुई है। वहीं, गिरावट एमएंडएम, एचडीएफसी, आईटीसी, एचडीएफसी बैंक और आईशर मोटर्स के शेयर्स हुई है।

आरकॉम टॉप गेनर
बीएसई पर टॉप गेनर की सूची में आरकॉम, पीएनबी, यूनियन बैंक और वेल्स्पन इंड के शेयर्स शामिल है। वहीं टॉप लूजर्स में बायोकॉन, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड, श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस लिमिटेड और आईडीएफसी के शेयर्स शामिल है।

GST के फायदे में राज्यों के लोकल टैक्स बनेंगे बाधक

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नई दिल्ली। ऑटो कंपनियों ने 1 जुलाई को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद दाम घटाए थे, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने नई गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस में 2 पर्सेंट की बढ़ोतरी कर दी। इस बीच, तमिलनाडु के सिनेमाहॉल ने 28 पर्सेंट जीएसटी के बाद 30 पर्सेंट लोकल टैक्स लगाए जाने के विरोध में हड़ताल कर दी है।

सेल्स टैक्स चेकपोस्ट हटाए जाने के बाद देश भर में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी इंस्पेक्टर राज के नए प्रतीक बन गए हैं। वे ऐसे रूल्स के नाम पर पेनल्टी लगा रहे हैं, जिनकी वर्षों से अनदेखी करते आए थे।

इन वजहों से जीएसटी से देश के कॉमन मार्केट बनने का पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। इस तरह के और लोकल टैक्स लगाए जाने और राज्य सरकारों के दूसरे पैतरों से जीएसटी का फायदा कम हो सकता है।

जीएसटी से भले ही 17 केंद्र और राज्य स्तर के टैक्स और 23 उपकर खत्म हो गए हैं, लेकिन इसके दायरे से कई चीजों को बाहर रखा गया है। ऐसे में आशंका बढ़ी है कि इस ऐतिहासिक रिफॉर्म का शायद पूरा फायदा न मिले।

म्यूनिसिपल बॉडी के एंट्री टैक्स, स्थानीय निकायों की तरफ से लगाए जाने वाले एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, शराब और पेट्रोलियम प्रॉजेक्ट्स और बिजली उपकर को जीएसटी से बाहर रखा गया है।

पीडब्ल्यूसी में इनडायरेक्ट टैक्स के लीडर प्रतीक जैन ने बताया, ‘स्थानीय निकायों के कुछ टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टैंप ड्यूटी को जीएसटी से अलग रखा गया है। हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें इनके बहाने तुरंत टैक्स बढ़ाने की कोशिश नहीं करेंगी।

जीएसटी अभी लागू हुआ है। ऐसे में इस तरह के टैक्स बढ़ाने से कंज्यूमर कॉन्फिडेंस कमजोर पड़ सकता है।’रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन चार्ज में बढ़ोतरी से जहां गाड़ी खरीदना महंगा पड़ेगा, वहीं म्यूनिसिपल बॉडीज के एंट्री टैक्स लगाने से बड़ा नुकसान हो सकता है।

मिसाल के लिए, म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली ने कमर्शियल गाड़ियों पर एंट्री टैक्स लगाया है। दूसरी म्यूनिसिपैलिटी भी इस रास्ते से आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर सकती हैं। हालांकि, ऐसा हुआ तो उन इलाकों से सामान की आवाजाही आसान नहीं रह जाएगी।

महाराष्ट्र का नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन चार्ज में बढ़ोतरी करना चिंता की बात है क्योंकि केंद्र सरकार ने जीएसटी से होने वाले किसी रेवेन्यू लॉस की भरपाई का राज्य सरकारों से वादा किया है।

हालांकि, अब जीएसटी लागू से पहले की तुलना में नई गाड़ियों की लागत बढ़ गई है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘राज्यों को देखना चाहिए कि जीएसटी का फायदा ग्राहकों को मिले।

इस रिफॉर्म में वे भी बराबर के भागीदार हैं।’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस मामले में राज्यों की सभी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है। आमदनी बढ़ाने के लिए राज्य स्टैंप ड्यूटी, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर अधिक वैट और बिजली उपकर में बढ़ोतरी जैसे रास्ते अपना सकते हैं।