नई दिल्ली। ऑटो कंपनियों ने 1 जुलाई को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद दाम घटाए थे, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने नई गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस में 2 पर्सेंट की बढ़ोतरी कर दी। इस बीच, तमिलनाडु के सिनेमाहॉल ने 28 पर्सेंट जीएसटी के बाद 30 पर्सेंट लोकल टैक्स लगाए जाने के विरोध में हड़ताल कर दी है।
सेल्स टैक्स चेकपोस्ट हटाए जाने के बाद देश भर में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी इंस्पेक्टर राज के नए प्रतीक बन गए हैं। वे ऐसे रूल्स के नाम पर पेनल्टी लगा रहे हैं, जिनकी वर्षों से अनदेखी करते आए थे।
इन वजहों से जीएसटी से देश के कॉमन मार्केट बनने का पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। इस तरह के और लोकल टैक्स लगाए जाने और राज्य सरकारों के दूसरे पैतरों से जीएसटी का फायदा कम हो सकता है।
जीएसटी से भले ही 17 केंद्र और राज्य स्तर के टैक्स और 23 उपकर खत्म हो गए हैं, लेकिन इसके दायरे से कई चीजों को बाहर रखा गया है। ऐसे में आशंका बढ़ी है कि इस ऐतिहासिक रिफॉर्म का शायद पूरा फायदा न मिले।
म्यूनिसिपल बॉडी के एंट्री टैक्स, स्थानीय निकायों की तरफ से लगाए जाने वाले एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, शराब और पेट्रोलियम प्रॉजेक्ट्स और बिजली उपकर को जीएसटी से बाहर रखा गया है।
पीडब्ल्यूसी में इनडायरेक्ट टैक्स के लीडर प्रतीक जैन ने बताया, ‘स्थानीय निकायों के कुछ टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टैंप ड्यूटी को जीएसटी से अलग रखा गया है। हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें इनके बहाने तुरंत टैक्स बढ़ाने की कोशिश नहीं करेंगी।
जीएसटी अभी लागू हुआ है। ऐसे में इस तरह के टैक्स बढ़ाने से कंज्यूमर कॉन्फिडेंस कमजोर पड़ सकता है।’रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन चार्ज में बढ़ोतरी से जहां गाड़ी खरीदना महंगा पड़ेगा, वहीं म्यूनिसिपल बॉडीज के एंट्री टैक्स लगाने से बड़ा नुकसान हो सकता है।
मिसाल के लिए, म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली ने कमर्शियल गाड़ियों पर एंट्री टैक्स लगाया है। दूसरी म्यूनिसिपैलिटी भी इस रास्ते से आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर सकती हैं। हालांकि, ऐसा हुआ तो उन इलाकों से सामान की आवाजाही आसान नहीं रह जाएगी।
महाराष्ट्र का नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन चार्ज में बढ़ोतरी करना चिंता की बात है क्योंकि केंद्र सरकार ने जीएसटी से होने वाले किसी रेवेन्यू लॉस की भरपाई का राज्य सरकारों से वादा किया है।
हालांकि, अब जीएसटी लागू से पहले की तुलना में नई गाड़ियों की लागत बढ़ गई है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘राज्यों को देखना चाहिए कि जीएसटी का फायदा ग्राहकों को मिले।
इस रिफॉर्म में वे भी बराबर के भागीदार हैं।’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस मामले में राज्यों की सभी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है। आमदनी बढ़ाने के लिए राज्य स्टैंप ड्यूटी, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर अधिक वैट और बिजली उपकर में बढ़ोतरी जैसे रास्ते अपना सकते हैं।