Sunday, June 2, 2024
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एक रुपये का नया नोट गुलाबी और हरे रंग का होगा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार एक रुपये का नया नोट जारी करने जा रही है। हालांकि पुराने नोट भी चलते रहेंगे। यह नया नोट गुलाबी और हरे रंग का होगा। करीब 2 दशक तक एक रुपये के नोट की छपाई बंद रहने के बाद 2015 में इसे दोबारा लॉन्च किया गया था।

बताया जा रहा है कि नए नोट के डिजाइन में कोई बदलाव नहीं किया गया है, सिर्फ रंग अलग होगा। नोट के पिछले हिस्से में सागर सम्राट की ही तस्वीर होगी।एक रुपये का नोट सरकार जारी करती है और इस पर वित्त मंत्रालय के सचिव का हस्ताक्षर होता है, जबकि अन्य नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। 

आरबीआई की ओर से जारी प्रेस रिलीस में कहा गया है कि सरकार नए नोटों की छपाई कर चुकी है और जल्द ही इन्हें चलन में लाया जाएगा। आरबीआई के मुताबिक नोट पर ‘GOVERNMENT OF INDIA’ के ऊपर देवनागरी में ‘भारत सरकार’ लिखा होगा। इसके अलावा हिंदी और इंग्लिश में वित्त मंत्रालय के सचिव शशिकांत दास के हस्ताक्षर हिंदी और इंग्लिश में होंगे।

इस पर नए 1 रुपये के सिक्के की प्रतिलिपि और रुपये का साइन (₹) होगा। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने पिछले साल 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था और 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे

UGC बनाएगा डिग्री पर पिता का नाम वैकल्पिक, मेनका गांधी का सुझाव

नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) शीघ्र ही डिग्री पर पिता का नाम वैकल्पिक बनाने की दिशा में काम करेगा। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के सुझाव पर मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय की सैद्धांतिक सहमति के बाद यूजीसी यह कदम उठाएगा।एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘इस विचार से हम सहमत हैं। छात्र अपनी इच्छा से माता या पिता के नाम का उल्लेख कर सकते हैं।

हम इस विचार को पसंद करते हैं और हमें कोई आपत्ति नहीं है।यूजीसी शीघ्र ही इस दिशा में काम करेगा।’ मेनका गांधी ने पिछले महीने जावड़ेकर को पत्र लिखा था। उन्होंने एचआरडी मंत्री से छात्रों के डिग्री प्रमाण पत्र पर पिता के नाम की अनिवार्यता संबंधी नियम में बदलाव का आग्रह किया था।अपने पत्र में मेनका ने कहा था, ‘मेरी मुलाकात ऐसी कई महिलाओं से हुई जो अपने पति को छोड़ चुकी हैं।

ऐसी महिलाएं भारी कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।उन्हें बच्चों का डिग्री प्रमाण पत्र लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पिता के नाम के बगैर प्रमाण पत्र नहीं मिलता है।’उन्होंने आगे लिखा था कि शादी टूटना और पति एवं पत्नी में अलगाव आज के जीवन की वास्तविकता बन चुकी है। ऐसे में नियमों में इसकी झलक दिखाई देनी चाहिए।

पतंजलि के 32 उत्पाद क्वालिटी टेस्ट में फेल, बाबा रामदेव को झटका

नई दिल्ली। स्वदेशी और बेहतर उत्पादों का दावा करने वाले बाबा रामदेव को बड़ा झटका लगा है। पतंजलि के 40 प्रतिशत उत्पाद क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए हैं जिसके बाद इनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार हरिद्वार के आयुर्वेद व यूनानी ऑफिस ने जांच के बाद यह रिपोर्ट दी है।

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार जांच के लिए 2013 से 2016 के बीच एकत्रित किए गए 82 सैंपल लिए गए थे जिनमें से 32 सैंपल इस क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए हैं। जो उत्पाद टेस्ट में फेल हुए हैं उनमें इन उत्पादों में पतंजलि का दिव्य आंवला ज्यूस व शिवलिंगी बीज भी शामिल है।रिपोर्ट के अनुसार इन उत्पादों में तय मानकों के अनुपात में पीएच वैल्यू बेहद कम है।

 गत माह ही पश्चिम बंगाल की जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला में पतंजलि के आंवला ज्यूस का गुणवत्ता परीक्षण किया था। परीक्षण की जो रिपोर्ट सामने आई उसके बाद से ही सशस्त्र बलों के कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट ने आंवला ज्यूस को बेचने से इंकार कर रोक लगा दी थी।

एनसीडेक्स में एग्री कमोडिटीज़ पर लाल रंग हावी

मुंबई। कुछ  महीनों से एग्री कमोडिटीज़ लाल रंग में ऐसा जकड़ा है, जिससे वो बाहर नहीं निकल पा रहा। हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन भी NCDEX पर सभी एग्री कमोडिटीज़ में भारी बिकवाली का दबाव देखने को मिला है। माॅनसून के केरल समय पर पहुंचने के चलते गिरावट और भी बढ़ सकती है।

 फिलहाल कुछ बड़े कारण एग्री कमोडिटीज़ में गिरावट का कारण बने हुए हैं और फिलहाल गिरावट हावी रह सकती है और यही नहीं बाजार से खरीददार दूरी बनाए रख सकते हैं। एग्री कमोडिटीज़ में गिरावट का सबसे बड़ा कारण जीएसटी माना जा रहा है। कारोबारी, बड़े कार्पोरेट हाऊसिस, फंड हाऊसिस और स्टाॅकिस्ट अपने स्टाॅक को जीएसटी के पहले जिरो करना चाह रहे हैं।

जीएसटी से पहले ज्यादा से ज्यादा स्टाॅक को बाजार में निकाला जा रहा है। कार्पोरेट हाऊसिस के पास बड़ी मात्रा में माल की खरीद थी जिसे वो जीएसटी से पहले बाजार से निकालने पर जोर दे रहे हैं। जीएसटी के लागू होेने के बाद और स्टाॅक पर स्थिति साफ होने के बाद नई खरीददारी पर जोर दे सकते हैं। जीएसटी में स्टाॅक को रखने की समय सीमा भी कारोबारियों को माल निकालने के लिए दबाव बना रही है।

अब कारोबारी लंबे समय तक स्टाॅक की हाॅल्डिंग नहीं कर पाऐंगे जिससे कृत्रिम तेजी बाजार में हावी नहीं होगी। और कारोबारी बाजार को नियन्त्रित नहीं कर पाऐंगे। कार्टेलाइजेशन पर जीएसटी एक बड़ी मार के तौर पर देखा जा रहा है।   देश के मौसम विभाग के मुताबिक माॅनसून समय के साथ साथ बेहतर रहेगा। बेहतर माॅनसून के चलते साल 2016 की तरह साल 2017 में कृषि उत्पादन रिकाॅर्ड दर्ज किया जा सकता है।

खाद्यानों की खासी उपलब्धता और सरकार के बफ्फर स्टाॅक के चलते एग्री कमोडिटीज़ में गिरावट दर्ज की जा रही है।  एक महत्वपूर्ण कारण देश की मंडियों में देखने को मिल रहा है वो है बाजार में नकदी की समस्या। मंडियों में आढ़तियों का पैसा प्राॅपर्टी बाजार में फस चुका है। बहुत से आढ़तियों ने प्राॅपर्टी बाजार में पैसा ब्याज पर ली गई पूंजी का लगाया जिससे उनपर मंदी और ब्याज़ की दोहरी मार पड़ी है।

भारत का एक्सपोर्ट शेयर पिछले पांच सालों में घटा

नई दिल्ली। इंडिया के एक्सपोर्ट सेक्टर के पोस्टर बॉयज- रेडीमेड गारमेंट्स, जेम्स एंड जूलरी और एग्रीकल्चरल प्रॉडक्ट्स सभी ने गुजरे पांच साल में मार्केट शेयर गंवाया है। कारें, डायमंड्स, मक्का, ट्राउजर्स, मेक अप और स्किन केयर आइटम्स, हैंडबैग्स, कॉटन स्वेटर्स उन 61 प्रॉडक्ट्स में शामिल हैं, जिनमें इंडिया ने 2011-16 के दौरान मार्केट शेयर में गिरावट दर्ज की है। हालांकि, इंडिया महंगी कारों और हैंडबैग्स की बढ़ती डिमांड के साथ कदमताल मिलाने में नाकाम रहा है।

दूसरी ओर, इसने गोल्ड और सिल्वर जूलरी के मामले में चाइना से मिल रहे तगड़े कॉम्पिटीशन के चलते भी मार्केट शेयर गंवाया है। इसके अलावा रेडीमेड गारमेंट्स के क्षेत्र में कंबोडिया और बांग्लादेश के हाथों भारत के मार्केट शेयर में सेंध लगी है। 2011 में मीडियम और हाई कार सेगमेंट में भारत का मार्केट शेयर 8.84 फीसदी था, जो 2016 में घटकर 5.77 फीसदी रह गया। यह एक बड़ा नुकसान है।

इस मार्केट शेयर में गिरावट की वजह कोरिया और जापान हैं जो कि पैसेंजर व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग में लीडर हैं। जेम्स एंड जूलरी सेक्टर में कारीगरों में स्किल का अभाव खासतौर पर डायमंड्स के मामले में भारी पड़ा है। इस सेगमेंट में मार्केट शेयर 2011 में 31.36 फीसदी था, जो 2016 में घटकर 30.79 फीसदी रह गया है। इंडिया के मार्केट शेयर का बड़ा हिस्सा चाइना और वियतनाम ने झटक लिया है जो कि भारत के मुख्य कॉम्पिटीटर्स साबित हो रहे हैं।

एक्सपोर्टर्स इन 61 प्रॉडक्ट्स को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं और उन्होंने कॉमर्स मिनिस्ट्री से कहा है कि वह इनके एक्सपोर्ट को प्रोत्साहित करने के लिए फिर से स्ट्रैटजी बनाए। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा, ‘हमने एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स और डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स से इन आइटमों के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए नए तरीके से स्ट्रैटजी बनाने की मांग की है।’

मक्का और खली जैसे कृषि आइटमों के मामले में करेंसी में उतार-चढ़ाव का भारत के मार्केट  शेयर में नुकसान के पीछे बड़ा योगदान रहा है। ब्राजीलियाई करेंसी रियाल के कमजोर होने से इंडिया को इस लैटिन अमेरिकी देश में खली के निर्यात में मुश्किलें आई हैं। सहाय ने कहा, ‘हमें इनकी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए या तो और जोर लगाना पड़ेगा या फिर डोमेस्टिक कैपेबिलिटी तैयार करनी होगी।’

मॉनसून ने दी केरल तट पर दस्तक, बारिश का मौसम शुरू

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नई दिल्ली। गर्मी से झुलस रहे देश के लिए अच्छी खबर है। दक्षिण पश्चिमी मॉनसून मंगलवार को केरल तट पहुंच गया। केरल में मॉनसून के पहुंचने से पहले ही सोमवार को राज्य में जोरदार बारिश हुई। केरल में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की दस्तक इस बात का संकेत है कि बारिश का मौसम शुरू हो गया है।

नॉर्थ ईस्ट में भी आज ही दस्तक?
आज ही उसके उत्तर पूर्वी भारत में भी दस्तक देने की संभावना है। आमतौर पर केरल में मॉनसून के पहुंचने के कुछ दिनों बाद नॉर्थ ईस्ट में बारिश शुरू होती है। हालांकि, इस बार चक्रवाती तूफान मोरा की वजह से नॉर्थ ईस्ट में मॉनसून जल्द पहुंचेगा।

मॉनसूनी बादल फिलहाल बंगाल की खाड़ी से उत्तर की ओर बढ़ रहे हैं। मौसम विभाग ने कहा कि केरल के अलावा लक्षद्वीप, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों में भी मॉनसून अगले 24 घंटों में दस्तक दे सकता है।

मौसम विभाग के दिल्ली कार्यालय के अनुसार, आमतौर पर जून के प्रथम सप्ताह में केरल में मॉनसून दस्तक देता है। आईएमडी के अधिकारी एम. महापात्रा ने कहा, ‘केरल के लिए इसके पहले का अनुमान पांच जून था।’ केरल में मॉनसून पहुंचने की सामान्य तिथि पहली जून है।

दूसरे के अकाउंट में रखा अघोषित धन सरकार कर सकती है जब्त: हाई कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटबंदी के बाद इस साल राजधानी में इनकम टैक्स अथॉरिटीज के छापों और कुर्की-जब्ती को वैध करार दिया है। जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस चंदर शेखर की पीठ ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के यहां छापेमारी के दौरान पता चले कि किसी बैंक अकाउंट में अघोषित धन जमा है, लेकिन वह बैंक अकाउंट उसके नाम पर नहीं है तो विभाग उस धन को जब्त कर सकता है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दिल्ली के एक बिजनसमेन के ठिकानों पर छापेमारी की और जानकारी मिलने के बाद उसकी आठ कंपनियों और एक सहयोगी के अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में जमा अघोषित रकम को जब्त कर लिया था। हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि बैंक अकाउंट में पड़ा पैसा ‘निःसंदेह एक मूल्यवान वस्तु’ है।

उसने इनकम टैक्स ऐक्ट का हवाला देते हुए कहा कि ‘किसी बैंक अकाउंट में रखी गई रकम सेक्शन 132(1) के दायरे से बाहर नहीं है और इसकी तलाश और कुर्की हो सकती है’ क्योंकि ‘कोई व्यक्ति न केवल अपने बैंक अकाउंट में बल्कि किसी दूसरे के अकाउंट में भी अघोषित आय छिपा सकता है।’

नोटबंदी के बाद काला धन तलाशी अभियान में तेजी लाते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जनवरी में मोहनीश मोहन मुक्कर के ठिकानों पर छापेमारी की थी। उन पर कई कागजी कंपनियां खोलने का आरोप था। डिपार्टमेंट ने हाई कोर्ट से कहा कि इन कंपनियों में ज्यादातर का कोई जमीनी संचालन नहीं हो रहा था।

 ये सिर्फ एक-दूसरे को पैसे का लेनदेन करती थीं ताकि आय का असली स्रोत छिपाकर टैक्स चोरी की जा सके। बैंक रिकॉर्ड्स की पड़ताल करने और पैसों की आवाजाही की विस्तृत जानकारी लेने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ कंपनियों और एक महिला कर्मचारी के आठ बैंक खातों में 24 करोड़ रुपये ढूंढ निकाले।

आरोपियों ने इस कुर्की के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और विभाग की कार्रवाई को चुनौती दी। वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने उन आठ कंपनियों का बचाव किया जिनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया। लेकिन, हाई कोर्ट ने उसे भ्रमित करने की कोशिश के आरोप में उल्टा उन आठों कंपनियों और उस महिला याचिकाकर्ता पर ही एक-एक लाख का जुर्माना लगा दिया।

साथ ही, बेंच ने तलाशी के बाद पूछताछ के दौरान विभाग के सामने फर्जी दस्तावेज पेश करने की बात छिपाने के मकसद से कोर्ट को झूठा शपथ पत्र देने के लिए उन पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया।

पी-नोट से निवेश के नियमों को और सख्त बनाने का किया प्रस्ताव

  • प्रत्येक ओडीआई सबस्क्राइबर से 1,000 डॉलर ‘नियामकीय शुल्क’ वसूलने का प्रस्ताव
  •  पी-नोट के जरिये निवेश को हतोत्साहित कर एफपीआई पंजीकरण को बढ़ावा देना है मकसद
  • सट्टेबाजी के मकसद से डेरिवेटिव में निवेश पर होगी रोक
  • इस कदम से बाजार पर मामूली असर पडऩे की आशंका

मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पार्टसिपेटरी नोट (पी-नोट) संचालन के नियमन को और सख्त बनाने का आज प्रस्ताव किया। पी-नोट के जरिये विदेशी निवेशकों को भारत में बिना पंजीकरण के ही घरेलू बाजार में निवेश करने की अनुमति होती है।

बाजार नियामक ने अपने परिचर्चा पत्र में वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) खंड में सटोरिया उद्देश्य के लिए पी-नोट या विदेशी डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआई) के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव किया है। सेबी ने कहा है कि पी-नोट धारकों को डेरिवेटिव बाजार में केवल हेजिंग मकसद से ही निवेश की अनुमति होगी और सट्टेबाजी के उद्देश्य से निवेश नहीं किया जा सकेगा।

सेबी ने प्रत्येक ओडीआई निवेशक से 1,000 डॉलर (करीब 65,000 रुपये) ‘नियामकीय शुल्क’ वसूलने का प्रस्ताव भी किया है। यह शुल्क विदेेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा जारी पी-नोट पर वसूला जाएगा। सेबी ने परिचर्चा पत्र में कहा है, ‘इस शुल्क को लगाने का मकसद ओडीआई निवेशक को को ओडीआई के जरिये निवेश करने से हतोत्साहित कर उन्हें सीधे एफपीआई के तौर पंजीकृत कराने के लिए प्रोत्साहित करना है।’

पीडब्ल्यूसी में वित्तीय सेवा कर लीडर भवीन शाह ने कहा, ‘यह पी-नोटस के जरिये विदेशी फंडों द्वारा सट्टेबाजी के मकसद से ट्रेडिंग के चलन को कम करना है क्योंकि ऐसे निवेश साधनों में पारदर्शिता अपेक्षाकृत कम होती है। इस कदम से ओडीआई निवेश पर कुछ असर पड़ सकता है। लेकिन कुल डेरिवेटिव निवेश में पी-नोट की हिस्सेदारी कम रहने से बाजार पर इसका ज्यादा असर पड़ने की आशंका नहीं है।’

पिछले महीने के अंत में डेरिवेटिव में पी-नोट का कुल निवेश 40,165 करोड़ रुपये (सांकेतिक मूल्य) था, जो पी-नोट के कुल निवेश का करीब एक-चौथाई था। उद्योग के अनुमान के मुताबिक भारतीय डेरिवेटिव में विदेशी निवेशकों के कुल निवेश का 15 फीसदी पी-नोट के जरिये किया जाता है। यह आंकड़ा कुल एफपीआई निवेश में पी-नोट की हिस्सेदारी से कहीं ज्यादा है। एफपीआई का पी-नोट से निवेश करीब 6 फीसदी है।

सेबी ने कहा कि अगर प्रस्तावित नियमों को लागू किया जाता है तो पी-नोट धारकों को अपनी मौजूदा पोजिशन के निपटान के लिए 31 दिसंबर 2020 तक का समय दिया जाएगा। काले धन के देश में आने की आशंका के मद्देनजर सेबी पिछले कुछ वर्षों से पी-नोट नियमों को सख्त बनाने में जुटा है।

वर्ष 2016 में सेबी ने अपने ग्राहक को जानें जरूरतों को लागू किया था, वहीं पी-नोट के हस्तांतरण पर रोक लगाने तथा पी-नोट जारीकार्ताओं और धारकों के रिपोर्टिंग नियमों को भी सख्त बनाया गया था। लगातार की जा रही सख्ती से विदेशी निवेशकों के बीच पी-नोट का आकर्षण घट रहा है और निवेश साधन के तौर पर 2007 में यह अपने उच्च स्तर 50 फीसदी पर था जो अब घटकर 6 फीसदी पर आ गया है। नियामक ने अपने नए प्रस्तावों पर 12 जून तक प्रतिक्रिया मांगी है।

एसबीआई ग्राहकों पर अब फिर सर्विस चार्ज की मार

नई दिल्ली। सरकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक बार फिर अपनी सेवाओं पर लगने वाले शुल्क में बदलाव करने जा रहा है। सर्विस चार्ज में ये बदलाव एक जून से लागू हो जाएंगे। बचत खाते में जमा रकम की न्यूनतम सीमा लागू होने से एसबीआई ग्राहकों की जेब नए नियमों से और कटने वाली है।

सबसे अहम बदलाव खाते से कैश निकालने के नियम में किया जा रहा है। एक जून से एक माह में केवल चार बार ही रकम निकासी मुफ्त होगी। इसमें एटीएम के जरिये पैसे निकालना भी शामिल है। अगर कोई व्यक्ति पांचवीं बार रकम निकासी अपनी बैंक शाखा से करता है तो उसे 50 रुपये और सर्विस टैक्स अतिरिक्त चुकाना होगा। वहीं, अगर यह निकासी एसबीआई के एटीएम से होती है तो 10 रुपये और दूसरे बैंक के एटीएम से होती है तो 20 रुपये शुल्क देना होगा। सर्विस टैक्स अलग से लगेगा। 

कटे-फटे नोट बदलना भारी
अगर कोई व्यक्ति 20 कटे-फटे नोट जिनकी कुल कीमत 5000 रुपये तक होगी, बदलता है तो उस पर कोई शुल्क नहीं है। लेकिन बदले जाने वाले नोटों की संख्या अगर 20 से ज्यादा है तो हर नोट पर दो रुपये एवं सर्विस टैक्स देना होगा। इसी तरह अगर नोटों की कीमत 5000 रुपये से ज्यादा है तो दो रुपये प्रति नोट और पांच रुपये प्रति हजार (सर्विस टैक्स सहित), जो भी शुल्क ज्यादा आएगा वह चुकाना पड़ेगा। 

पीएम मोदी ने बना लिया दुनिया को अपना दफ्तर

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगन के सामने दुनिया मानो सिकुड़ सी गई है। उन्हें अपनी आक्रामक विदेश नीति के मद्देनजर दुनियाभर का दौरा करने की जरूरत है, इसलिए मोदी को अच्छी तरह पता है कि कैसे पूरी दुनिया को ही अपने दफ्तर में तब्दील कर दिया जाए। यही वजह है कि अपने कार्यकाल का तीन साल पूरा करने के बाद भी उनकी ट्रैवल स्टाइल में कोई फर्क नहीं आया है। इसी क्रम में वह अगले महीने यूरोप और इस्राइल का दौरा करने वाले हैं।

45 देशों का दौरा, अभियान जारी है
मई 2014 में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद से मोदी आधिकारिक विदेश यात्रा के रूप में कथित रूप से 3.4 लाख किलोमीटर का दौरा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की वेबसाइट के मुताबिक, उन्होंने बतौर पीएम 45 देशों में 119 दिन बिताए हैं। यह अवधि उनके अब तक के कार्यकाल का करीब 10 प्रतिशत है।

विदेश यात्रा में मनमोहन के मुकाबले मोदी की उपलब्धियां ज्यादा
मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले दो वर्षों में कुल 95 दिन विदेश में बिताए जबकि यूपीए की पहली और दूसरी सरकार में बतौर पीएम पहले दो-दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह ने 72 दिन विदेश में बिताए थे। लेकिन, मोदी ने जहां 20 यात्राओं में 40 देशों के दौरे किए, वहीं मनमोहन सिंह ने यूपीए-1 के पहले दो सालों में 15 विदेशी यात्रा कर 18 देशों के दौरे किए थे। उन्होंने यूपीए-2 के पहले दो सालों में 17 विदेशी यात्राओं में 24 देशों के दौरे किए थे।

मोदी का पसंदीदा ठिकाना
मोदी कौन-कौन से देश बार-बार जाते हैं, इससे आपको उनकी विदेशी नीति की दिशा का अंदाजा लग सकता है। उन्होंने नौ देशों की बार-बार यात्रा की है। वह चार बार अमेरिका गए हैं जबकि चीन, फ्रांस, अफगानिस्तान, जापान, नेपाल, रूस, सिंगापुर, श्री लंका और उज्बेकिस्तान का दो-दो बार दौरा कर चुके हैं।

पल-पल के उपयोग की अनोखी कला
विदेश यात्रा के दौरान पीएम मोदी एक-एक सेकंड का हिसाब-किताब रखते हैं। उन्होंने विदेशी यात्रा के दौरान वक्त बचाने का शानदार तरीका इजाद कर लिया है। वह होटल के बजाय प्लेन में सोते हैं। उड़ान के वक्त प्लेन में सोने से सुबह उनकी नींद उसी देश में खुलती है जहां उनका अगला कार्यक्रम होता है। अगर वह रात में होटल में रुक रहे होते तो वह सुबह जगने के बाद ही नई जगह पर पहुंच पाते।

पिछले साल 30 मार्च से 2 अप्रैल के बीच बेल्जियम, अमेरिका और सऊदी अरब की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने तीन रातें एयर इंडिया वन में ही बिताईं जब वह दिल्ली से ब्रसल्स, ब्रसल्स से वॉशिंगटन डीसी और वॉशिंगटन डीसी से रियाद का सफर कर रहे थे। पूरे दौरे में उन्होंने महज दो रातें होटलों में बिताईं- एक रात वॉशिंगटन में और दूसरी रियाद में। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘किसी पीएम के अमेरिका समेत कई देशों का दौरा महज 97 घंटों में पूरा करने का यह पहला उदाहरण है। पीएम अगर प्लेन में नहीं सोते तो हम कम-से-कम छह दिनों में तो नहीं ही लौट पाते।’

प्लेन में भी गहरी नींद सोते हैं पीएम
क्या अलग-अलग देशों के दौरे से मोदी को नींद नहीं आने की समस्या नहीं झेलनी पड़ती है? भला नींद से सराबोर कोई पीएम दूसरे देश के प्रमुख के साथ महत्वपूर्ण मीटिंग में क्या हासिल कर सकते हैं? एक अधिकारी ने एक बार कहा था, ‘उन्हें अनिद्रा की समस्या खाक होगी, जब उन्हें गहरी नींद आ जाती है।’ दरअसल, पीएम मोदी कड़ी मेहनत करने वाले व्यक्ति हैं। इसलिए वह यात्रा के दौरान ऐसी समस्याओं का सामना करना अच्छी तरह जानते हैं।

प्लेन ही बन जाता है पीएमओ
पीएम मोदी प्लेन में भी सिर्फ सोते ही नहीं रहते हैं। एक अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘जब सफर का कोई हिस्सा पूरा हो जाता है तो वह (पीएम मोदी) प्लेन में इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांग लेते हैं। अधिकारियों को इतनी छूट नहीं मिलती है कि वो भारत लौटकर ही रिपोर्ट दें।’ इतना ही नहीं, ‘जब किसी देश में महत्वपूर्ण मीटिंग होनी होती है तो पीएम होटल में प्रवेश करने के 30 मिनट के अंदर ही ब्रीफिंग का बुलावा भेज देते हैं।’

अब दौरे में कमी
मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साल में ही ज्यादा-से-ज्यादा दौरे किए क्योंकि तब बतौर पीएम उन्हें बहुत ग्राउंड वर्क करना था। धीरे-धीरे उनकी विदेश यात्राओं में कमी आ गई। साल-दर-साल विदेश में उनके ठहरने का वक्त भी कम हुआ है। पहले साल (मई 2014 से मई 2015) पीएम ने 55 दिन दूसरे देशों में बिताए। दूसरे साल में यह आंकड़ा घटकर 40 और तीसरे साल 24 हो गया।

मोदी के हवाई सफर पर 275 करोड़ खर्च
पीएमओ की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी के हवाई सफर पर 275 करोड़ रुपये खर्च हुए। इनमें पांच यात्राओं पर खर्च के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। 9 से 17 अप्रैल 2015 के दौरान फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा पर सबसे ज्यादा 31.2 करोड़ रुपये खर्च हुए।

इस लिहाज से दूसरे नंबर पर 11 से 20 नवंबर 2014 के दौरान म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फीजी की यात्रा है जिसकी लागत 22.58 करोड़ रुपये आई। पीएम मोदी की तीसरी महंगी विदेश यात्रा 13 से 17 जुलाई 2014 के दौरान ब्राजील की थी जिस पर 20.35 करोड़ रुपये का खर्च आया।