मुंबई। कुछ महीनों से एग्री कमोडिटीज़ लाल रंग में ऐसा जकड़ा है, जिससे वो बाहर नहीं निकल पा रहा। हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन भी NCDEX पर सभी एग्री कमोडिटीज़ में भारी बिकवाली का दबाव देखने को मिला है। माॅनसून के केरल समय पर पहुंचने के चलते गिरावट और भी बढ़ सकती है।
फिलहाल कुछ बड़े कारण एग्री कमोडिटीज़ में गिरावट का कारण बने हुए हैं और फिलहाल गिरावट हावी रह सकती है और यही नहीं बाजार से खरीददार दूरी बनाए रख सकते हैं। एग्री कमोडिटीज़ में गिरावट का सबसे बड़ा कारण जीएसटी माना जा रहा है। कारोबारी, बड़े कार्पोरेट हाऊसिस, फंड हाऊसिस और स्टाॅकिस्ट अपने स्टाॅक को जीएसटी के पहले जिरो करना चाह रहे हैं।
जीएसटी से पहले ज्यादा से ज्यादा स्टाॅक को बाजार में निकाला जा रहा है। कार्पोरेट हाऊसिस के पास बड़ी मात्रा में माल की खरीद थी जिसे वो जीएसटी से पहले बाजार से निकालने पर जोर दे रहे हैं। जीएसटी के लागू होेने के बाद और स्टाॅक पर स्थिति साफ होने के बाद नई खरीददारी पर जोर दे सकते हैं। जीएसटी में स्टाॅक को रखने की समय सीमा भी कारोबारियों को माल निकालने के लिए दबाव बना रही है।
अब कारोबारी लंबे समय तक स्टाॅक की हाॅल्डिंग नहीं कर पाऐंगे जिससे कृत्रिम तेजी बाजार में हावी नहीं होगी। और कारोबारी बाजार को नियन्त्रित नहीं कर पाऐंगे। कार्टेलाइजेशन पर जीएसटी एक बड़ी मार के तौर पर देखा जा रहा है। देश के मौसम विभाग के मुताबिक माॅनसून समय के साथ साथ बेहतर रहेगा। बेहतर माॅनसून के चलते साल 2016 की तरह साल 2017 में कृषि उत्पादन रिकाॅर्ड दर्ज किया जा सकता है।
खाद्यानों की खासी उपलब्धता और सरकार के बफ्फर स्टाॅक के चलते एग्री कमोडिटीज़ में गिरावट दर्ज की जा रही है। एक महत्वपूर्ण कारण देश की मंडियों में देखने को मिल रहा है वो है बाजार में नकदी की समस्या। मंडियों में आढ़तियों का पैसा प्राॅपर्टी बाजार में फस चुका है। बहुत से आढ़तियों ने प्राॅपर्टी बाजार में पैसा ब्याज पर ली गई पूंजी का लगाया जिससे उनपर मंदी और ब्याज़ की दोहरी मार पड़ी है।