कोटा। हाड़ौती के धनिए की विदेशों से लगातार डिमांड बढ़ रही है। इस बार कोटा संभाग में करीब 58 हैक्टेयर में धनिए की फसल है। इससे 87 हजार मीट्रिक टन से अधिक धनिए का उत्पादन होने की उम्मीद है। इस बार धनिये की क्वालिटी भी अन्य सालाें के मुकाबले अच्छी है, राेग भी नहीं लगा है। ऐसे में क्वालिटी व उत्पादन ठीक हाेने से विदेशाें में ज्यादा डिमांड है। कोटा का धनिया अरोमा व फ्लेवर में दुनिया में नंबर-1 माना जाता है।
इसकी वैरायटी में एक्स्ट्रा ग्रीन, डबल ग्रीन, सिंगल ग्रीन, स्कूटर, ईगल व बादामी धनिया सरहद पार तक महक रहा है। दक्षिण भारतीय राज्यों में हाड़ाैती के धनिए की सबसे ज्यादा मांग रहती है। इस बार विदेशाें में भी डिमांड बढ़ी है। निर्यातक कंपनी के एमडी पीसीके महेश्वरन के अनुसार रोमानिया, यूक्रेन, मलेशिया, यूके व यूएसए, दुबई, मस्कट, खाड़ी के देश, नेपाल, बांग्लादेश में भारतीय धनिया निर्यात किया जाता है। विदेशों से डिमांड बढ़ने से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं।
धनिया से आयुर्वेदिक तेल
हाड़ाैती का धनिया मसालों के अलावा आयुर्वेदिक तेल बनाने में भी उपयोग किया जा रहा है। इससे निर्मित तेल की कीमत 5000 रुपए लीटर तक होती है, जो केरल में प्रचलित थैरेपी में उपयोग किया जाता है। कोल्डड्रिंक कंपनियां भी धनिए की खुशबू का उपयोग करती हैं। बर्फीले देशों में धनिया पाउडर से ऑयल की मांग रहती है। धनिए की भविष्य में डिमांड ज्यादा रहेगी।
धनिए की पैदावार कम
इस वर्ष बुल्गारिया, रोमानिया, यूक्रेन में धनिए की पैदावार कम हुई, इससे वहां धनिया 100 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि यहां का धनिया 60 से 70 रुपए किलो में मिल जाता है। रामगंजमंडी से 2 लाख बोरी तथा कोटा-बारां से डेढ़ लाख बोरी धनिया प्रतिवर्ष विदेशों में निर्यात हाेता है। इस बार यहां धनिया की पैदावार अच्छी हुई है। क्वालिटी भी अच्छी है।
ब्रांडेड मसालों में हाड़ौती से जाता है धनिया
सभी तरह के ब्रांडेड मसालों में 65 से 80 फीसदी मात्रा हरे धनिए की होती है। इलायची, लोंग, जायपत्री, जायफल आदि की मात्रा 1 से 2 प्रतिशत ही होती है। इसीलिए प्रतिवर्ष कई प्रमुख मसाला कंपनियों के प्रतिनिधि कोटा, रामगंजमंडी व कुम्भकोट का धनिया खरीदने कोटा आते हैं। पिछले कुछ वर्षों से धनिए की औसत खपत 1 करोड़ 20 लाख बोरी है, जो इस वर्ष बढ़ने की उम्मीद है।
धनिए की मांग में वृद्धि
वहीं, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट, उड़ीसा, दिल्ली व यूपी की कई मसाला कम्पनियों में रामगंजमंडी व कुंभराज के क्वालिटी धनिए की मांग निरंतर बढ़ रही है। कोरोना महामारी के बाद इस वर्ष धनिए की डिमांड में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले 7 वर्षों में राजस्थान में धनिए की औसत पैदावार 2.19 लाख रही है।