कोटा। एमबीएस अस्पताल में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों के कैशलेस उपचार के बावजूद क्लेम डिलीट कर सरकार को 83 लाख का नुकसान के मामले में आखिर राज्य सरकार ने जांच के निर्देश दे दिए हैं।
एनएचएम के निदेशक नवीन जैन ने कोटा जोन के बीएसबीवाई के नोडल ऑफिसर और चिकित्सा विभाग के उपनिदेशक डॉ. एमपी सिंह को मामले की जांच करने को कहा हैं।
दूसरी तरफ मेडिकल कॉलेज और एमबीएस प्रशासन ने इस मामले में आंखें मूंदी हुई हैं। अब तक किसी ने भी योजना के क्रियान्वयन से जुड़े कार्मिकों और अधिकारियों से जवाब तक भी नहीं मांगा हैं।
गौरतलब है कि एमबीएस अस्पताल ने 7 से 9 जुलाई के बीच भामाशाह योजना के तहत कैशलेस उपचार के लिए भर्ती 997 मरीजों के 57 लाख 84 हजार 545 रुपए के क्लेमों की प्रक्रिया को पूरी कर सबमिट करने की जगह डिलीट कर दिया था।
ताकि राज्य सरकार पेडिंग क्लेम पर नोटिस व कार्यवाही नहीं करें। इन मरीजों के इलाज में करीब 25 लाख रुपए भी अस्पताल के खर्च हुए थे।
एमबीएस अधीक्षक डॉ. पीके तिवारी का कहना है कि इस मामले में जांच करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज से कोई दिशानिर्देश नहीं मिले हैं। ना ही जांच के लिए कोई कमेटी बनाई हैं। मैं इस मामले को देख रहा हूं।
उपनिदेशक डॉ. एमपी सिंह का कहना है कि एमडी ने जांच करने को कहा है, जिसकी कार्रवाई शुरू कर दी है। जल्द जांच कर रिपोर्ट जयपुर भेज देंगे।