नई दिल्ली। कोरोना वायरस के दुनियाभर में प्रसार के बाद चीन के छवि को बहुत बड़ा झटका लगा है। एक टेक स्टार्टअप की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते चीन और चीनी लोगों की ट्विटर पर अभद्र भाषा में 900 फीसदी तक उछाल आया है। कोरोना के कहर के बीच दुनिया में मास्क और चिकित्सा उपकरण बांटने के बावजूद चीन को लोग नफरत भरी निगाहों से देख रहे हैं।
सोशल मीडिया से लेकर संचार एप्लीकेशन, चैट रूम और गेमिंग सेवाओं में भी यूजर्स चीन को लेकर नफरत, दुर्व्यवहार और भद्दे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस्राइल की टेक स्टार्टअप कंपनी एल1जेएचटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमारे आंकड़ों के अनुसार, इस घृणा और गाली-गलौच का हिस्सा चीन और वहां की आबादी बन रही है। यह सब सिर्फ इसलिए क्योंकि चीन को कोरोना वायरस महामारी के केंद्र को रूप में जाना जा रहा है।
कंपनी के अध्ययन में पाया कि ‘नफरत भरे ट्वीट्स में कोरोना वायरस से संक्रमित एशियाई लोगों के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है तथा विषाणु फैलाने के लिए चीनी मूल के एशियाई लोगों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।’ रिपोर्ट के अनुसार, कई लोग नस्लवादी हैशटैग जैसे कि कुंगफ्लू, चाइनीज वायरस और कम्युनिस्ट वायरस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
निशाने पर आए एशियाई अमेरिकी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मीडिया संगठन भी एशियाई लोगों के खिलाफ गुस्सा भड़काने का काम कर रहे हैं। इसमें स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया के वीडियो ‘चीन ने जानबूझकर दुनिया पर कोरोना वायरस थोपा’ का जिक्र किया गया है। इस वीडियो पर पांच हजार से ज्यादा टिप्पणियां आ चुकी हैं और उनमें से ज्यादातर नफरत भरी हैं।
ट्रंप के ‘चाइनीज वायरस’ कहने से भी नफरत बढ़ी
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका के कई मानवाधिकार समूहों, कार्यकर्ताओं और नेताओं ने एशियाई अमेरिकियों को निशाना बनाते हुए कई नस्लवादी घटनाओं में वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की है। आलोचकों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगातार कोविड-19 वायरस को ‘चाइनीज वायरस’ कहने से भी विदेशी लोगों के प्रति सोशल मीडिया पर चीन के विरुद्ध नफरत भरे भाषणों की संख्या बढ़ी है।