नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 5.15 फीसदी पर ही रखने का फैसला किया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए फिलहाल रेपो रेट को इसी दर पर रखने का फैसला किया है। वहीं रिवर्स रेपो रेट और बैंक रेट को भी बिना बदलाव क्रमश: 4.90 फीसदी और 5.40 फीसदी रखने का फैसला किया है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ को घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। इससे पहले अक्टूबर में हुई एमपीसी की बैठक में 6.1 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान जताया था। अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.9 से 6.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।
समिति ने वैश्विक और घरेलू कारकों से आर्थिक विकास में आई सुस्ती का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5.0 फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई अनुमान को बढ़ा दिया है।
आरबीआई ने दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई दर 5.1 से 4.7 फीसदी रहने के अनुमान जताया है। अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर 4 से 3.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
आरबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला एकमत से किया है। आरबीआई के इस फैसले से घर, वाहन आदि के लिए सस्ते ऋण की उम्मीद लगाए लोगों को निराश होना पड़ेगा।
2019 में फरवरी से अक्टूबर के बीच में आरबीआई पांच बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है। इससे रेपो रेट में 135 आधार अंक की कमी दर्ज की गई है। इस बार छठी बैठक में भी रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी की कमी किए जाने की उम्मीद जताई जा रही थी।