दिनेश माहेश्वरी, कोटा/जोधपुर । सौ साल पहले बाल-विवाह नहीं करने का फैसला लेने वाली अंतरराष्ट्रीय माहेश्वरी महासभा ने जोधपुर के महाकुंभ में एक और बड़ा फैसला लिया है। यह फैसला है- अब हम दो-हमारे दो नहीं होगा, हम दो-हमारे तीन होगा। देश में माहेश्वरी समाज की आबादी महज 10 लाख है, और वह लगातार कम भी हो रही है। महासभा में उस पर चिंता जताई गई।
महासभा की शनिवार देर रात तक चली कार्यसमिति व कार्यकारिणी मंडल के सभापति श्यामसुंदर सोनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया था। सोनी ने बताया कि समाज की जनसंख्या को बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
इस बैठक में समाज के आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक स्तर को सुधारने के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी रखे गए थे। जिस पर अधिवेशन के समापन के अवसर पर ध्वनिमत से मंजूर करवाए गए। महासभा के सभापति श्यामसुंदर सोनी व महामंत्री संदीप काबरा ने इन सभी प्रस्तावों से अवगत करवाया।
प्री वेडिंग शूट पर प्रतिबंध
मौजूदा हालातों में देखने में आया है कि शादी के साथ प्री वेडिंग शूट की नई परंपरा चली है। इस परंपरा में धन का अपव्यय हो रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि समाज में प्री वेडिंग शूट को प्रतिबंधित किया जाए। शादी में ज्यादा खर्च नहीं करने के लिए महासभा की ओर से पूर्व में भी निर्णय लिए जा चुके हैं।
किराए के मकान से मुक्ति
समाज के आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आया कि समाज के कई परिवार किराए के मकान में रह रहे हैं। इसकी वजह से उनका आर्थिक विकास भी प्रभावित हो रहा है। समाज के स्तर पर विभिन्न शहरों में महेश कॉलोनी व महेश कॉम्पलेक्स स्थापित किए जाएंगे ताकि 2030 तक कोई भी माहेश्वरी किराए के मकान में न रहे।
कन्या के जन्म पर उत्सव
सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि समाज में लड़कियों की संख्या 14 फीसदी कम है। यह चिंता का विषय है। इसलिए यह भी तय किया गया कि समाज के किसी भी घर में कन्या का जन्म होगा तो उसका उत्सव मनाया जाएगा। यदि कोई परिवार उत्सव मनाने में असक्षम होगा तो संस्थाओं के माध्यम से उत्सव मनाए जाने का प्रयास होगा।
उच्च शिक्षा के हॉस्टल व कौशल विकास केंद्र
जिन शहरों में माहेश्वरी समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है। वहां उच्च शिक्षा के विकास के लिए भामाशाहों के माध्यम से हॉस्टल खोले जाएंगे। इससे आस-पास के क्षेत्रों से आने वाले माहेश्वरी बच्चों को किराए की जगह नहीं लेना पड़ेगी। इसी तरह विभिन्न शहरों में कौशल विकास केंद्र की भी स्थापना करने का निर्णय लिया गया।
आर्थिक पिछड़ों को मुख्यधारा से जोड़ेंगे
समाज के आर्थिक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि 15 फीसदी परिवारों की सालाना अाय 1 लाख रुपए से भी कम है। हमारा प्रयास रहेगा कि इनकी मदद करवाकर वर्ष 2030, यानि अगले महाधिवेशन तक इस संख्या को 7 से 10 प्रतिशत तक ले आएं। ताकि ये लोग भी समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें।