बेंगलुरु। रिजर्व बैंक द्वारा हाल में जारी किए गए डेटा के मुताबिक देश के 64 बैंकों के 3 करोड़ से ज्यादा अकाउंट्स में जमा 11,302 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं है। इस रकम में सबसे ज्यादा स्टेट बैंक में 1,262 करोड़ है जबकि पंजाब नैशनल बैंक में 1,250 करोड़ और अन्य सरकारी बैंकों में कुल मिलाकर 7,040 करोड़ रुपये ऐसे हैं जिनका कोई दावेदार नहीं है। हालांकि यह रकम पूरे भारत में बैंकों में जमा 100 लाख करोड़ रुपयों का एक छोटा सा भाग ही है।
आईआईएम बेंगलुरु में फॉर्मर आरबीआई चेयर प्रोफेसर चरण सिंह ने कहा, ‘इन जमाओं में ज्यादातर रकम ऐसे अकाउंट होल्डर्स की हो जिनकी मौत हो चुकी है या जिनके पास कई बैंकों में अकाउंट हैं। ऐसी संभावना नहीं है कि इसमें से ज्यादातर या कुछ रकम बेनामी हो।’
बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट 1949 के सेक्शन 26 के मुताबिक हर कैलेंडर इयर के समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर भारत के सभी बैंकों अपने ऐसे अकाउंट्स की जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को देनी होती है जिन्हें 10 साल से इस्तेमाल नहीं किया गया है।
हालांकि बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट 1949 के सेक्शन 26ए कहता है कि 10 साल के बाद भी रकम जमा करने वाले व्यक्ति इस रकम पर दावा कर सकते हैं और बैंकिंग कंपनी इस रकम को वापस करने के लिए बाध्य है। बैंकिंग लॉ (संशोधित) ऐक्ट, 2012 के नियम मुताबिक बनाए गए डिपॉजिटर ऐजुकेशन ऐंज अवेयरनेस फंड में इन निष्क्रिय खातों की रकम को जमा कर दिया जाता है।
आरबीआई के मुताबिक, 7 प्राइवेट बैंकों ऐक्सिस, डीसीबी, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, इंडसइंड, कोटक महिंद्रा और यस बैंक के पास ऐसी कुल 824 करोड़ रुपये की धनराशि जमा है जिनका कोई भी दावेदार नहीं है। 12 अन्य प्राइवेट बैंकों के पास 592 करोड़ रुपये जमा हैं। इस तरह से प्राइवेट बैंकों में 1,416 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं है।
प्राइवेट बैंकों में सबसे ज्यादा आईसीआईसीआई के पास 476 करोड़ और कोटक महिंद्रा बैंक के पास 151 करोड़ रुपये की रकम ऐसी जमा है जिसका कोई दावेदार नहीं है। हालांकि 25 विदेशी बैंकों के पास ऐसी जमा रकम केवल 332 करोड़ रुपये है जिसमें सबसे ज्यादा 105 करोड़ रुपये एचएसबीसी बैंक के पास जमा हैं जिसका कोई दावेदार नहीं है।