अमेरिका ने भारत की एक्सपोर्ट सब्सिडी को WTO में दी चुनौती

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वॉशिंगटन। अमेरिका ने भारत की एक्सपोर्ट सब्सिडी स्कीम को विश्व व्यापार संगठन में यह कहते हुए चुनौती दी है कि ऐसी नीतियां अमेरिकी कार्मिकों के खिलाफ हैं। यूएस ट्रेड रेप्रिजेंटेटिव (यूएसटीआर) ने कहा कि भारत के कई प्रोग्राम भारतीय निर्यातकों को ऐसी सहूलियत देते हैं कि वे अमेरिका में अपना सामान सस्ते दामों पर बेच सकते हैं और यह अमेरिका के कार्मिकों और मैन्युफैक्चर्स के खिलाफ है।

यूएस ट्रेड रेप्रिजेंटेटिव के मुताबिक स्पेशल इकनॉमिक जोन, इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेअर टेक्नॉलजी पार्क और एक्सपोर्टर प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम सहित ऐसी आधा दर्जन प्रोग्राम इसमें शामिल हैं। ट्रेड रेप्रिजेंटेटिव रॉबर्ट लाइटहाइजर ने कहा, ‘यूएसटीआर अपने व्यापारिक सहयोगियों के साथ अमेरिका के व्यापारिक हितों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसके लिए वह विश्व व्यापार संगठन सहित अन्य मंचों पर निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार को बढ़ावा देगा।’ बता दें कि लाइटहाइजर की तरफ से यह बयान उस समय आया है जबकि भारत के विदेश सचिव विजय गोखले अपनी पहली अमेरिकी यात्रा पर वहां पहुंचे हैं। उनका यूएसटीआर के साथ मिलने का कार्यक्रम भी पूर्वनिर्धारित है।

एक वक्तव्य में यूएसटीआर ने यह आरोप लगाया है कि भारत की नीतियां कुछ खास टैक्स और फी को माफ कर देती हैं जिससे भारतीय निर्यातकों को लाभ मिलता है। इन नीतियों से स्टील, दवाइयां, केमिक, इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी प्रॉडक्ट्स, टेक्सटाइल आदि निर्यातकों को लाभ मिलता है।

भारत सरकार के दस्तावेजों के मुताबिक हर साल इन नीतियों से भारतीय निर्यातकों को 7 अरब डॉलर का लाभ होता है। यूएसटीआर के मुताबिक, ऐसी सब्सिडी स्कीम्स बाजार प्रतियोगिता में लाभार्थियों को अनुचित लाभ पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ खास विकासशील देशों को निर्यात में ऐसी सब्सिडी दिए जाने से छूट है।

इन देशों में 2015 तक भारत भी शामिल था लेकिन अब वह इनमें शामिल नहीं है और उसने अपनी एक्सपोर्ट सब्सिडी को वापस भी नहीं लिया है। यूएसटीआर का यह भी आरोप है कि भारत ने इन सब्सिडी को हटाने के बजाए इन प्रोग्राम को और ज्यादा बढ़ावा दिया है।

यूएसटीआ का आरोप है कि भारत ने 2015 के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम शुरू की थी जिसमें 8,000 से ज्यादा सामानों को शामिल किया गया है जिनकी संख्या इसके शुरू होने के समय इसकी आधी थी। इसी तरह साल 2000 से 2017 के बीच स्पेशल इकनॉमिक जोन से होने वाला एक्सपोर्ट 6,000 पर्सेंट बढ़ गया है।

साल 2016 में भारत से होने वाला 30 पर्सेंट एक्सपोर्ट स्पेशल इकनॉमिक जोन्स से हो रहा है जिसकी कीमत लगभग 82 अरब डॉलर है। यूएसटीआर ने यह भी कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक हार्टवेअर टेक्नॉलडी स्कीम जैसी सेक्टर स्पेसिफिक स्कीम्स के कारण साल 2000 से 2016 के बीच एक्सपोर्ट में 160 पर्सेंट का इजाफा हुआ है।

यूएसटीआर ने अपने वक्तव्य में कहा है कि विश्व व्यापार संगठन के नियमों के मुताबिक भारत और अमेरिका पहले आपसी विचार-विमर्श से इस मुद्दे को सुलझाएंगे लेकिन अगर ऐसा करने में दोनों देश असफल रहते हैं तो यूएसटीआर विश्व व्यापार संगठन के डिस्प्यूट सेटलमेंट पैनल से इस मामले की समीक्षा किए जाने का अनुरोध कर सकता है।