मुंबई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल का परीक्षण बुधवार से शुरू हो गया। इसके साथ ही कारोबारियों की धड़कनें भी तेज हो गई हैं। ई-वे बिल की व्यवस्था एक फरवरी से शुरू कर दी जाएगी।
कारोबारियों का कहना है कि सरकार को उन्हें थोड़ा समय देना चाहिए और इसे अगले वित्त वर्ष से शुरू किया जाना चाहिए। इस बीच ई-वे बिल प्रणाली में गुजरात, हरियाणा और बिहार सहित छह और राज्य आज शामिल हो गए। इस तरह ई-वे बिल से जुड़ने वाले राज्यों की संख्या 10 हो गई है।
ई-वे बिल की व्यवस्था लागू करने के बारे में जीएसटी परिषद की 18 जनवरी को होने वाली बैठक में फैसला होगा। लेकिन कारोबारियों को भरोसा है कि इसे लागू किए जाने की तिथि आगे खिसकेगी। कारोबारी संगठनों का तर्क है कि अभी सरकार और कारोबारी दोनों इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं।
सरकार एक फरवरी से ई-वे बिल लागू करने की बात कह रही है लेकिन उसका आईटी नेटवर्क अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं हो सका है। मौजूदा व्यवस्था की विश्वासनीयता पर आशंका जताते हुए उद्योगपति राजीव सिंघल ने कहा कि अभी रिटर्न फाइल करने में दिक्कत आ रही है तो फिर जब रोजाना करोड़ों ई-वे बिल जेनरेट होंगे तो क्या व्यवस्था काम कर पाएगी।
उन्होंने कहा, ‘हम सरकारी नीति का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमारा कहना है कि सिस्टम को पूरी तरह से तैयार करके कोई नियम लागू किया जाना चाहिए। बाजार में खासकर छोटे कारोबारियों में भय का माहौल है जो अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है।
सरकार को उन्हें सिस्टम की बारीकियां समझानी होंगी तभी काम बनेगा। साथ ही ई-वे बिल में 50 हजार रुपये की सीमा बहुत कम है सरकार को इस पर भी ध्यान देना होगा।’ मौजूदा व्यवस्था में रोजाना 50 लाख ई-वे बिल की क्षमता है जबकि जमा होने वालों बिलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा होगी।
कारोबारी संगठनों का कहना है कि व्यापारी अभी जीएसटी को ही पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं लेकिन अब सरकार नई व्यवस्था थोपने जा रही है। मेटल ऐड स्टेनलेस स्टील मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाह ने कहा कि ई-वे बिल व्यवस्था को एक फरवरी के बजाय एक अप्रैल से लागू किया जाना चाहिए।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्टर कांग्रेस की कोर कमेटी के चेयरमैन मलकीत सिंह ने कहा कि ट्रांसपोर्टर को जबरदस्ती इसमें घसीटा गया है क्योंकि सारी जानकारी और कर तो जीएसटी में समाहित हैं।