नई दिल्ली। आधार की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को महत्वपूर्ण सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की संवैधानिक बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। इस पूरे मामले में सबसे अहम सवाल ये है कि क्या आधार की वजह से किसी की निजता का उल्लंघन होता है।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट यह रूलिंग पहले ही दे चुका है कि निजता एक मौलिक अधिकार है। बीते 15 दिसंबर को मामले की सुनवाई के बाद सरकार ने बैंक खातों और मोबाइल नंबर सहित सभी सेवाओं और योजनाओं के साथ आधार को जोड़ने के लिए समय सीमा 31 मार्च 2018 तक बढ़ा दी थी। आधार के खिलाफ जो याचिकाएं दायर की गई हैं उनमें निजता के उल्लंघन और डाटा प्रोटेक्शन को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
आधार की सुरक्षा को लेकर उठ चुके हैं सवाल
कुछ दिन पहले ही अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने चेतावनी दी थी कि आधार डाटाबेस का मिसयूज किया जा सकता है। स्नोडेन ने यह बात ऐसे वक्त पर कही है जब आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर कई तरह की खबरें आ रही हैं।
इस बयान से एक दिन पहले यह खबर आई थी कि महज 500 रुपए में आधार डाटा उपलब्ध है। इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए यूआईडीएआई ने कहा कि उनका सिस्टम पूरी तरह सिक्योर है। इसके मिसयूज को तुरंत पकड़ा जा सकता है।
डाटाबेस में डाटा चोरी की बात उठी
अथॉरिटी ने अपने बयान में कहा था कि, ‘बायोमीट्रिक डाटाबेस से डाटा चोरी का कोई मामला सामने नहीं आया है, यह पूरी तरह सुरक्षित है। सर्च फैसिलिटी पर उपलब्ध जानकारी के बिना बायोमैट्रिक्स का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।’
यूआईडीएआई ने कहा था कि आधार नंबर कोई सीक्रेट नंबर नहीं है और आधार होल्डर की मर्जी पर किसी सेवा या सरकारी वेलफेयर स्कीम्स का फायदा लेने के लिए इसे अधिकृत एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है।
ममता सरकार आधार की अनिवार्यता के खिलाफ
आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ कई राजनीतिक दल हैं। पश्चिम बंगाल सरकार आधार के खिलाफ है और वह अपना रुख पहले ही जता चुकी है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आधार की अनिवार्यता के खिलाफ बेहद तल्ख टिप्पणियां की हैं।
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से दायर याचिका दायर की गई थी। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। आधार लिंक अनिवार्यता के खिलाफ ममता सरकार ने शीर्ष कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। इस मामले पर कोर्ट ने कहा था कि संसद द्वारा पारित कानून को राज्य सरकार किस आधार पर चुनौती दे सकते हैं?