Palm Oil: पाम ऑयल तीन महीनों में 40% तक महंगा होने से खाद्य तेलों में तेजी

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नई दिल्ली। Palm Oil Prices: सब्जी, दाले, और खाद्य तेलों की बढ़ती हुई कीमतों ने महंगाई की आग में घी डालने का काम कर रही हैं। इसकी वजह रसोई का बजट तो बिगड़ रहा है, साथ ही आम लोगों की जेब पर इसका असर सबसे अधिक देखने को मिल रहा है।

पिछले कुछ महीनों में पाम तेल की कीमतों में वृद्धि बनी हुई है, इसकी वजह से 920 रुपये प्रति 10 किलो की कीमत पर बिकने वाले पाम तेल के दाम 1360 रुपये प्रति 10 किलो पर पहुंच गए हैं। इसका असर अब सूरजमूखी के तेल पर भी देखने को मिला है।

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अनुसार पिछले 3 महीने से अधिक समय में खाद्य तेलों के दामों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान 30 से लेकर 40 प्रतिशत तक दाम बढ़ चुके हैं और अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। लगातार आ रही तेजी की खबरों ने सामान्य लोगों का तेल कहे जाने वाले पाम तेल को खाने के तेलों में सबसे ऊंची पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया है। तीन महीने पहले 920 रुपए प्रति 10 किलो बिकने वाले पाम तेल के दाम 1360 रुपए प्रति 10 किलो तक पहुंचा दिए हैं।

सूरजमुखी तेल के भी बढ़े दाम
पाम तेल महंगा होने के कारण लोगों ने सूरजमुखी तेल का ज्यादा इस्तेमाल करना शुरु किया, तो सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश से कम उत्पादन की खबर सामने आई। वहीं इस बीच रूस ने भी सूरजमुखी तेल के निर्यात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी। इस सबके अलावा इंडोनेशिया मलेशिया और थाईलैंड जैसे पाम तेल के सर्वाधिक उत्पादन करने वाले प्रायद्वीपीय देशों में बाढ़ आने से सप्लाई पर असर पड़ेगा। इसकी वजह से व्यापारी अभी से परेशान है।

पाम ऑयल के उत्पादन में कमी
सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश इंडोनेशिया में उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिली है। दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश मलेशिया में भी पाम तेल का इस्तेमाल जैव ईंधन बनाने के लिए किया जा रहा है, पहले यहां उत्पादन के 35 प्रतिशत से जैव ईंधन बनाया जा रहा था, जिसे 1 जनवरी से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का ऐलान किया जा चुका है। वहीं इस बड़े घटनाक्रम के तुरंत बाद थाईलैंड ने घरेलू आपूर्ति और दामों को काबू में रखने के लिए कच्चे पाम तेल के निर्यात पर बैन लगा दिया, जिसकी वजह से पाम तेल की कीमतों में आग लग गई है।

तेल की कीमतों हो सकती वृद्धि
इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड जैसे देश दुनिया में सबसे अधिक पाम तेल का उत्पादन करते हैं। इन सभी प्रायद्वीपीय देशों में हाल ही में बाढ़ के आने से आपूर्ति होने में समस्या हो रही है, जिसकी वजह से पाम तेल के भारतीय व्यापारी काफी परेशान है। अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि इन प्रायद्वीपीय देशों में आई बाढ़ एक दशक के सबसे भयानक रूप ले सकती है, जिसकी वजह से पाम के तेल के उत्पादन पर भारी असर पड़ सकता है। वहीं दुनिया के सबसे बड़े पाम तेल निर्यातक इंडोनेशिया द्वारा लगाए गए हाई एक्सपोर्ट टैक्स और लेवी से भी कीमतों को समर्थन मिल रहा है।

इंडोनेशिया ने बढ़ाये दाम
इंडोनेशिया ने दिसंबर के लिए अपने कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के संदर्भ मूल्य को नवंबर के 961.97 डॉलर से बढ़ाकर 1,071.67 डॉलर प्रति मीट्रिक टन कर दिया है, जिससे निर्यात कर नवंबर के 124 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 178 डॉलर प्रति टन हो गया है। कच्चे पाम तेल की कीमतों बढ़ोतरी होने के कारण दैनिक उपभोग का सामान बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों ने साबुन की कीमतों 8 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है। कच्चे पाम तेल का इस्तेमाल साबुन बनाने में करती हैं। जिसकी वजह से साबुन के दामों बढ़ोतरी हुई है। हिंदुस्तान यूनिलिवर, विप्रो, गोदेरज जैसी कंपनियों ने दाम बढ़ाने का फैसला लिया है। जिसका असर सीधे उपभोक्ता पर पड़ेगा।